कोरना का असर, ऑक्सीजन की अब तीन गुना खपत
कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों ने ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ा दी है। दरअसल कोरोना फेफड़े को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है और इससे मरीजों को श्वास संबंधी समस्या बढ़ रही है।
देहरादून, जेएनएन। कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों ने ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ा दी है। दरअसल, कोरोना फेफड़े को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है और इससे मरीजों को श्वास संबंधी समस्या बढ़ रही है। ऐसे में ऑक्सीजन का स्तर कम होने पर डॉक्टर तुरंत मरीजों को ऑक्सीजन लगाने की सलाह दे रहे हैं। शहर के प्रमुख कोविड हॉस्पिटल दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की ही बात करें तो यहां ऑक्सीजन की खपत करीब तीन गुना तक बढ़ गई है। मार्च-अप्रैल में जहां हर दिन साढ़े चार सौ क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन की खपत थी, जो अब बढ़कर 1200 से ज्यादा पहुंच गई है।
प्रदेश में कोरोना का पहला मामला पंद्रह मार्च को सामने आया था। दून में भी यह पहला मामला था। तब सिर्फ दून मेडिकल कॉलेज में ही कोरोना का इलाज किया जा रहा था। मार्च अंत कर यहां कोरोना संक्रमित पांच मरीज भर्ती थे, इनमें किसी भी मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी। पर हाल में यहां भर्ती 298 मरीजों में तकरीबन 160 मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। इनमें आइसीयू के भी मरीज शामिल हैं। अस्पताल के डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री के अनुसार पहले जो मरीज मिल भी रहे थे, उनमें से अधिकांश बिना लक्षण वाले सामान्य किस्म के मरीज थे। कम मरीजों को ऑक्सीजन, आइसीयू और वेंटीलेटर की जरूरत पड़ रही थी। लेकिन, पिछले दो महीनों में ऐसे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है और अब आइसीयू और वेंटीलेटर फुल चल रहे हैं।
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अचानक गिर रहा मरीजों का ऑक्सीजन लेवल
अस्पतालों में भर्ती हो रहे कोरोना मरीजों के ऑक्सीजन का स्तर अचानक गिर रहा है। इस वजह से कई सामान्य मरीजों को भी ऑक्सीजन पर रखना पड़ रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना सांस सबंधी बीमारी है, इसलिए मरीजों को सबसे अधिक जरूरत ऑक्सीजन की पड़ रही है। ऐसे में ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम को मजबूत करने पर फोकस किया जा रहा है। राज्य में क्रिटिकल केयर और पेशेंट मैनेजमेंट के हेड एवं दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि पहले की तुलना में अब ज्यादा मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है। हालांकि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। इसकी आपूर्ति अभी निर्बाध रूप से चल रही है।