राजाजी में भर्ती फर्जीवाडे़ में दोषियों पर होगी कार्रवाई
राजाजी नेशनल पार्क में 2015 में वन रक्षकों की भर्ती के लिए फर्जी प्रमाणपत्र दिए जाने के मामले में अब दोषियों के खिलाफ कार्रवाई तय है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: राजाजी नेशनल पार्क में 2015 में वन रक्षकों की भर्ती के लिए फर्जी प्रमाणपत्र दिए जाने के मामले में अब दोषियों के खिलाफ कार्रवाई तय है। शासन ने इस संबंध में प्रमुख मुख्य वन संरक्षक को आदेश दिए हैं कि मामले में प्रशासनिक कार्रवाई के साथ ही जरूरत पड़ने पर पुलिस में प्राथमिकी भी दर्ज कराई जाए।
वर्ष 2015 में राजाजी नेशनल पार्क में मस्टररोल पर काम कर रहे दैनिक श्रमिकों की वन रक्षक पद पर भर्ती का निर्णय लिया गया। इसमें तमाम श्रमिक चयनित भी हो गए थे, लेकिन बाद में जब यह शिकायत मिली कि कई अभ्यर्थियों ने कार्य के फर्जी प्रमाणपत्र लगाए हैं तो भर्ती प्रक्रिया रद कर दी गई थी। हालांकि, चयनित 21 अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया, लेकिन उन्हें वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा।
इस प्रकरण की विभागीय स्तर पर जांच हुई तो 16 अभ्यर्थियों के बतौर दैनिक श्रमिक कार्य करने के फर्जी प्रमाणपत्र एक रेंज से जारी होने पाए गए। जांच में ये बात भी सामने आई कि मूल रोकड़ बही के पृष्ठों को फाड़कर उसमें दूसरे पृष्ठ जोड़े गए। यही नहीं, एक अन्य रेंज में तो अधिकारी के पुत्र के नाम से कार्य प्रमाणपत्र जारी किया गया। यही नहीं, एक अधिकारी ने इस भर्ती प्रक्रिया के मूल अभिलेख भी जांच अधिकारी को उपलब्ध नहीं कराए।
इस फर्जीवाड़े को देखते हुए पूर्व में पार्क के तत्कालीन निदेशक ने प्रकरण में एफआइआर के निर्देश दिए थे, मगर इस दिशा में कार्रवाई नहीं हुई। तब उन्होंने प्रमुख मुख्य वन संरक्षक के साथ ही शासन को पत्र भेजकर कार्रवाई का आग्रह किया था। शासन स्तर से भी प्रकरण की जांच पड़ताल कराई गई।
अब शासन ने मामले में कार्रवाई के आदेश दिए हैं। प्रमुख सचिव वन आनंदवर्द्धन ने वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक को भेजे पत्र में कहा है कि यह बेहद गंभीर मामला है। इसमें दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई आवश्यक है। इस क्रम में उन्होंने विभागीय प्रशासनिक कार्रवाई करने के साथ ही प्रकरण की जांच में जो दोषी पाए गए हैं, उनके खिलाफ जरूरत पड़ने पर एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।