उत्तराखंड: कैदियों की रिहाई की फाइल राजभवन ने लौटाई, जानिए वजह
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कैदियों की रिहाई करने संबंधी फाइल राजभवन ने शासन को वापस लौटा दी है। राजभवन ने इसमें मुकदमों के संबंध में पूरी जानकारी न होने का हवाला देते हुए फाइल वापस की है।
देहरादून, विकास गुसाईं। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कैदियों की रिहाई करने संबंधी फाइल राजभवन ने शासन को वापस लौटा दी है। राजभवन ने इसमें मुकदमों के संबंध में पूरी जानकारी न होने का हवाला देते हुए फाइल वापस की है। इसके अलावा कैदियों के परिहार की समय सीमा गुजरने का हवाला देते हुए राजभवन ने अब इसके औचित्य को सही नहीं ठहराया है। इससे स्वतंत्रता दिवस पर मिलने वाली रिहाई का इंतजार कर रहे कैदियों को खासा झटका लगा है।
प्रदेश में हर वर्ष गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर कैदियों की रिहाई की जाती है। अमूमन इनमें ऐसे कैदी शामिल होते हैं, जिनकी सजा समाप्त होने वाली होती है। गंभीर बीमार और जेल में अच्छे आचरण वाले कैदियों को भी रिहा किया जाता है। इसके अलावा जेल में बंद कैदियों को परिहार (सजा में छूट) भी दिया जाता है। इसके तहत कैदियों को सजा में 15 दिन से लेकर छह माह तक की छूट दी जाती है। इस वर्ष भी स्वतंत्रता दिवस पर जेल प्रशासन ने जेलों में बंद कैदियों की सूची रिहाई और परिहार माफी के लिए शासन को सौंपी थी। शासन ने इस संबंध में फाइल को अनुमोदन के लिए राजभवन को भेजा था।
गंभीर अपराध जैसे हत्या, दुष्कर्म और दहेज हत्या में शामिल कैदियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। इस सूची में 60 से अधिक कैदियों की रिहाई और 15 से अधिक कैदियों को परिहार दिए जाने की संस्तुति की गई। राजभवन ने इस फाइल पर लंबे समय तक मंथन किया और अब यह फाइल वापस शासन को सौंप दी है। सूत्रों की मानें तो राजभवन ने इसमें कैदियों पर दर्ज मुकदमों के संबंध में विस्तृत जानकारी न होने का हवाला देते हुए इसे वापस किया है। इसके साथ ही परिहार पर भी कोई निर्णय नहीं लिया है।
केवल डीएम और एसएसपी की संस्तुति वाले नामों पर होगा मंथनकैदियों की रिहाई को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश पर बुधवार को शासन में बैठक हुई। इसमें कैदियों की रिहाई को लेकर चर्चा हुई। सूत्रों की मानें तो इसमें तय यह किया गया कि जिन कैदियों की रिहाई के संबंध में जिलाधिकारी व एसएसपी की संस्तुति होगी उस पर जल्द विचार कर निर्णय लिया जाएगा। दरअसल, जेल में सजा काट रहे एक कैदी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
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याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने 14 साल की सजा काट ली है लेकिन अभी तक उसे रिहा नहीं किया गया। इस पर हाईकोर्ट ने ऐसे सभी प्रकरणों पर शासन को जल्द निर्णय लेने को कहा। इस क्रम में शासन में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में बैठक हुई। जिस पर इस मसले पर गंभीरता से मंथन किया गया। तय हुआ कि बैठक में लिए गए निर्णयों से जल्द ही हाईकोर्ट को अवगत करा दिया जाएगा।