हल्द्वानी और काठगोदाम के साथ ही काशीपुर स्टेशनों का हो सौंदर्यीकरण
लोकसभा में नैनीताल से भाजपा सांसद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने हल्द्वानी काठगोदाम काशीपुर व रामनगर के रेलवे स्टेशनों के सौंदर्यीकरण का मुद्दा उठाया।
By Edited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 10:33 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 02:48 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। नैनीताल से भाजपा सांसद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने लोकसभा में हल्द्वानी, काठगोदाम, काशीपुर के साथ ही रामनगर के रेलवे स्टेशनों के सौंदर्यीकरण का मुद्दा उठाया। उन्होंने टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन को सामरिक दृष्टि से अहम बताया। साथ ही उन्होंने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की तर्ज पर कुमाऊं में रामनगर-चौखुटिया-खनसर-गैरसैंण से कर्णप्रयाग तक रेल लाइन की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे उत्तराखंड में रेलवे सर्किट स्थापित होगा।
लोकसभा में गुरुवार को रेल मंत्रालय के अधीन अनुदान मांगों पर चर्चा करते हुए सांसद अजय भट्ट ने कहा कि भाजपा सरकार बनने के बाद पहली बार पूर्वोत्तर राज्यों और पर्वतीय क्षेत्रों में ट्रेन गई है। उन्होंने कहा कि कुमाऊं क्षेत्र के रेलवे स्टेशनों का सौंदर्यीकरण किया जाए। यहां से नैनीताल और विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट पार्क के लिए सालभर देश विदेश से पर्यटक आते हैं।
हल्द्वानी और रामनगर से देश के विभिन्न कोने में जाने वाली ट्रेनें को प्रतिदिन चलाया जाए और रामनगर से दिल्ली जाने वाली ट्रेन में एसी कोच लगाया जाए। उन्होने काशीपुर-जसपुर और धामपुर के स्टेशनों को सीधे जोड़ने के साथ ही रीठा साहिब गुरुद्वारे तक रेल लाइन और देहरादून से ऋषिकेश के बीच सीधी रेल लाइन की भी पैरवी की। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले के लिए हरिद्वार के ज्वालापुर तथा हरिद्वार स्टेशनों की यात्री क्षमता बढ़ाई जाए और ऋषिकेश रेलवे स्टेशन का सौंदर्यीकरण किया जाए।
सांसद नैनीताल ने कहा कि रेलवे, एचएमटी कारखाने का प्रयोग कोच निर्माण के लिए कर सकता है। इससे बंद पड़ी फैक्ट्री शुरू हो सकती है और युवाओं को भी रोजगार मिल सकता है।
राज्यसभा में बलूनी बोले गढ़वाली
उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने गुरुवार को राज्यसभा में अपने संबोधन के दौरान गढ़वाली बोली में एक मुहावरे का प्रयोग किया। जीएसटी और नोटबंदी पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में जीएसटी और नोटबंदी जैसे निर्णय हुए। ऐसे निर्णय जिन के कारण लोग कतार में लगे, परेशान भी हुए फिर भी उन्होंने साथ दिया। उत्तराखंड के अंदर गढ़वारली में एक कहावत है 'दानू सयाणु कु बोल्यूं, अर औंलू कु स्वाद, बाद मा पता चलदु।' अर्थात बुजुर्गों की सीख और आंवले के स्वाद का असर बाद में पता चलता है। इस सरकार के निर्णय भी ऐसे हैं, चाहे कठोर हुए हैं लेकिन देश और देशवासियों के लिए अच्छे होते हैं।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें