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शायद सांसद मेनका गांधी को गुमराह किया गया है : आर मीनाक्षी सुंदरम

उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में सांसद मेनका गांधी द्वारा वित्तीय अनियमितताओं के आरोप और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा जांच बिठाने के बाद अब सचिव पशुपालन आर मीनाक्षी सुंदरम ने इस विषय पर अपना पक्ष रखा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 01:18 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 01:18 PM (IST)
शायद सांसद मेनका गांधी को गुमराह किया गया है : आर मीनाक्षी सुंदरम
सचिव पशुपालन आर मीनाक्षी सुंदरम। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में सांसद मेनका गांधी द्वारा वित्तीय अनियमितताओं के आरोप और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा जांच बिठाने के बाद अब सचिव पशुपालन आर मीनाक्षी सुंदरम ने इस विषय पर अपना पक्ष रखा है। उनका कहना है कि पूरे पशुपालन विभाग का बजट भी तीन हजार करोड़ रुपये नहीं है। संभवत: इस मामले में भाजपा सांसद को किसी ने गुमराह किया है। जब उनके सामने पूरे तथ्य रखे जाएंगे, तो उन्हें सही स्थिति पता लग जाएगी।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद मेनका गांधी ने हाल में मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर उनका ध्यान भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में वित्तीय अनियमिताओं की ओर आकृष्ट कराया था। पत्र में बोर्ड के सीईओ पर गंभीर आरोप लगाने के साथ ही विभागीय सचिव की भूमिका को भी कठघरे में खड़ा किया गया है। पत्र में आरोप लगाया गया कि पशुआहार खरीद तय से कहीं अधिक दरों पर की गई। कहा गया कि बोर्ड में कुछ लोग बगैर पद सृजन के भी प्रतिनियुक्ति पर रखे गए हैं। ढाई लाख रुपये प्रतिमाह के वेतन पर बोर्ड में कंसल्टेंट रखा गया है। यह कंसल्टेंट के तय वेतन से कहीं अधिक है और इसकी स्वीकृति भी नहीं ली गई है।

पत्र में आस्ट्रेलिया से मंगाई गई मरीनो भेड़ों की उपयोगिता पर भी सवाल उठाए गए। पत्र में बोर्ड के सीईओ पर लक्जरी कार के हिसाब से कई कार खरीदने के साथ ही नोएडा में घर खरीदने की बात भी कही गई है। साथ ही कहा गया कि सीबीसीआइडी, सीबीआइ व ईडी की जांच के लिहाज से यह प्रकरण एकदम सही है। पत्र में भेड़ एवं ऊन विकास योजना को तत्काल बंद करने का सुझाव भी दिया गया है। इस शिकायत पर बीते बीते बुधवार को मुख्यमंत्री ने जांच के निर्देश भी दिए थे।

 वहीं, गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान सचिव पशुपालन ने कहा कि जो योजना चल रही है वह एनसीडीसी की है, जिसका पांच साल के लिए कुल बजट 169 करोड़ रुपये का है। इसमें से अभी केवल 25 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। इसमें से भी सात करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जिससे पशुपालकों को बकरी पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी योजना में बकरी के बच्चे पैदा होने पर बाजार मूल्य से अधिक दर पर खरीदा जाता है। इसी योजना के अंत में मीट बेचा जाता है। जहां तक पशु चारे का सवाल है तो उसकी जांच के लिए समिति गठित हो चुकी है। 

बोर्ड के सीईओ पर अवैध तरीके से संपत्ति खरीदने का मामला कार्मिक एवं सतर्कता विभाग का है। इस पर सीईओ ने अपना पक्ष भी रखा है। जहां तक मरीनो भेड़ की खरीद का सवाल है तो कुल खरीदी गई भेड़ों में से 550 प्रजनन कर चुकी हैं। यह योजना काफी विस्तृत है। इसमें तकरीबन आठ वर्ष बाद ऊन के लिए राज्यों को दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

यह भी पढ़ें-भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में अनियमितता की उच्चस्तरीय जांच के आदेश


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