ऋषिकेश एम्स निदेशक के इस्तीफे ने उठाए सिस्टम पर सवाल
एम्स ऋषिकेश प्रथम निदेशक डॉ. राजकुमार ने व्यवस्था से तंग आकर अपना इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफे से सिस्टम पर कई सवाल खड़ा करता है।
ऋषिकेश, [हरीश तिवारी]: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के प्रथम निदेशक डॉ. राजकुमार का इस्तीफा सिस्टम की भूमिका पर कई सवाल खड़े करता है। केंद्र की अनदेखी और राज्य सरकार के सहयोग न मिलने से त्रस्त निदेशक ने आखिरकार त्यागपत्र दे दिया। यही नहीं उन्होंने सिस्टम पर गंभीर सवाल भी खड़े किए।
चार वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए एम्स के निदेशक के रूप में डॉ. राजकुमार की नियुक्ति हुई। इस दौरान यहां एमबीबीएस और नर्सिंग पाठ्यक्रम शुरू हुए। ऑनलाइन पंजीकरण के साथ आइपीडी और ओपीडी की सुविधा शुरू हुई। करीब डेढ़ हजार ऑपरेशन हुए। 940 बेड का लक्ष्य था। यहां 400 बेड की सुविधा उपलब्ध हो पाई, लेकिन सिस्टम से जुड़े मामले लगातार उलझते ही चले गए। सफाई कर्मी, सुरक्षा कर्मी का विवाद हो या फिर फूड प्लाजा मेडिकल स्टोर व भवन निर्माण एजेंसी, सभी मामले विवादों में रहे। एम्स प्रशासन इसकी लगातार शिकायतें करता रहा, मगर मामले में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई। न ही कहीं से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला।
निरंतर हो रही उपेक्षा से त्रस्त डॉ. राजकुमार ने एक जून को इस्तीफा भेजा था। डॉ. राजकुमार का कहना है कि त्याग देना उनकी मजबूरी बन गई थी। कहा कि मैं पढ़ा लिखा मजदूर हूं, मुझे काम पर भरोसा है। यहां से पहले एसजीपीजीआइ लखनऊ में न्यूरो का विभागाध्यक्ष था। अब फिर से वहीं जाकर काम करूंगा। ऋषिकेश एम्स को जो कुछ दिया वह अन्य छह एम्स में भी नहीं हो पाया।
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने नहीं दिया समय
एम्स निदेशक पद से त्याग पत्र देने वाले डॉ. राजकुमार ने बताया कि उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से इन तमाम समस्याओं पर चर्चा करने के लिए समय मांगा था मगर समय तो नहीं मिला, डेढ़ लाइन का इस्तीफा जरूर मंजूर कर लिया गया। एम्स में ठेकेदारों का माफियाराज बर्दाश्त से बाहर हो गया था। प्रदेश सरकार ने भी मेरी शिकायतों का संज्ञान नहीं लिया, मगर राजनीति संरक्षण प्राप्त ठेकेदार माफियाओं की शिकायत पर तत्काल नोटिस जारी हो जाते थे। निदेशक का पद सचिव भारत सरकार स्तर का होता है, मगर मुझसे तीन ग्रेड नीचे का अधिकारी मुझे नोटिस जारी करता है। मंत्रालय में बैठे लोग ठेकेदारों के दबाव में काम कर रहे हैं। भुगतान का अधिकार निदेशक के पास आने के बाद मुझ पर कई तरह के दबाव डाले गए मगर मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता। मेडिकल स्टोर, ब्लड बैंक, अल्ट्रासाउंड लाइसेंस के मानक पूरे न होने पर भी संबंधित के खिलाफ शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं होती है।
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एम्स में लंबित कार्य
- इमरजेंसी के लिए 250 बैड की सुविधा मगर इमरजेंसी शुरू नहीं।
- एम्स में फाइनेंस निदेशक डिप्टी डायरेक्टर (आइएएस स्तर) और एमएस की सुविधा नहीं।
- निदेशक के साथ चार स्टाफ आफिसर की अब तक नियुक्ति नहीं।
- एम्स विस्तारीकरण के लिए 100 एकड़ भूमि की मांग प्रदेश स्तर पर लंबित।
- आरोपी अनुबंधित एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं।
- एम्स में मैन पावर की कमी बरकरार।
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