Move to Jagran APP

Budget 2022 Analysis: दिल्ली ने दिखाई पहाड़ी प्रदेश को उम्मीद, उत्तराखंड में मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहन से होगा फायदा

Union Budget 2022 Analysis प्रधानमंत्री भी कई बार पहाड़ों पर पानी व जवानी रोकने की अपनी चिंता सार्वजनिक कर चुके हैं। जैविक खेती सब्जी फल मोटा अनाज जैसे शब्द अगर कहीं जमीन पर उतरते हैं तो पहाड़ पर जवानी को भी रोका जा सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 02 Feb 2022 12:23 PM (IST)Updated: Wed, 02 Feb 2022 12:39 PM (IST)
Budget 2022 Analysis: दिल्ली ने दिखाई पहाड़ी प्रदेश को उम्मीद, उत्तराखंड में मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहन से होगा फायदा
बजट 2022 विश्लेषण उत्तराखंड में मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहन से होगा फायदा। प्रतीकात्मक

देहरादून, कुशल कोठियाल। वैसे तो केंद्रीय बजट की घोषणाओं के लाभार्थी सभी राज्य होते हैं, लेकिन इस बजट में उत्तराखंड जैसे सीमांत हिमालयी व छोटे राज्य को मुस्कराने के कुछ ठोस आधार भी दिए हैं। इस बार बजट में कुछ न कुछ ऐसा जरूर है कि जिसके क्रियान्वयन के लिए उत्तराखंड में भी उपजाऊ भूमि है। राज्य सरकारें ईमानदारी से पूरी जिजीविषा के साथ काम करें तो जंगलों में परिवर्तित हो रहे पहाड़ों के सीढ़ीनुमा खेत फिर से लहलहा सकते हैं। वित्त मंत्री सीतारमण के बजट भाषण में मोटा अनाज, जैविक खेती, फल और सब्जी जैसे शब्दों का उल्लेख पहाड़ के किसानों के लिए एक सौगात में तब्दील हो सकती है। इसके अलावा पर्वतमाला योजना, छोटे शहरों के विकास, सौर ऊर्जा, रोपवे, लघु एवं एमएसएमई संबंधी घोषणाओं पर उत्तराखंड अपनी अच्छी हिस्सेदारी बना सकता है।

loksabha election banner

चुनावी परिवेश में मोदी सरकार के बजट को राजनीतिक रूप-रंग न मिले, ऐसा होना संभव नहीं है। प्रदेश की सत्ताधारी भाजपा इसे डबल इंजन की स्वाभाविक वित्तीय उत्पत्ति बताएगी तो मुकाबले में खड़ी कांग्रेस इसे नाकाफी करार देगी। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों के हितों का ध्यान केंद्र ने रखा इसकी तरह-तरह की राजनीतिक टिप्पणी चुनावी मैदान में गूंजेगी।

चुनावी परिवेश में होने वाली बजट घोषणाओं की राजनीतिक व्याख्या को एक तरफ रखें व केवल प्रदेश के हितों को ही देखें तो इस बजट में काफी कुछ है। सबसे पहले कृषि को देखें तो इसमें समूचे राज्य के किसानों के लिए ऐसे प्रविधान हैं जिनका लाभ लिया जा सकता है। सरकार ने एमएसपी पर रिकार्ड खरीदारी करने की घोषणा की है, इसका लाभ हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर जैसे जिलों के किसानों को मिलेगा। यही हर बार होता भी है, लेकिन इस बार पहाड़ के किसानों को कुछ समझने व कुछ करने की प्रेरणा बजट से मिलती दिखती है। वर्ष 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया, यह राज्य के पहाड़ी क्षेत्र के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। पहाड़ों में मोटे अनाज होते हैं व इनका उत्पादन बढ़ाने की काफी संभावनाएं भी हैं।

आज की तारीख में भी देहरादून से लेकर दिल्ली तक मोटे अनाज की अच्छी कीमत मिल रही है। कई गैरसरकारी संस्थाएं इस काम में लगी हैं। इससे रोजगार भी मिल रहा है। स्थिति यहां तक आ गई है कि सीमित उपज व ऊंची कीमत के कारण मोटा अनाज राज्य के ही मध्यम वर्ग की पहुंच से दूर हो गया है। अभी तक मांग व मूल्य बढ़ने का मुख्य कारण मोटे अनाज के गुण व स्वास्थ्य के प्रति लोगों में बढ़ती जागरूकता थी। केंद्र सरकार की यह पहल रंग लाई तो पहाड़ों में मोटे अनाज की उपज व्यावसायिक रूप ले सकती है। बजट में जैविक खेती को प्रोत्साहन देने वाले प्रविधान भी हैं। जैविक खेती के लिए पहाड़ों में बहुत संभावनाएं हैं। मोटे अनाज के बड़े पैमाने पर जैविक उत्पादन के लिए मानव संसाधन की आवश्यकता होगी। पहाड़ी क्षेत्रों से मैदान की ओर तेजी से हुए पलायन के कारण खेत जंगल का रूप लेते जा रहे हैं। रोजगार के लिए युवा वर्ग नीचे उतर रहा है।

इस बार बजट में की गई घोषणाओं में उनकी चिंता भी झलक रही हैं और कुछ आशाएं जगाती हैं। इस तरह की खेती के लिए स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने की बात भी बजट भाषण में रही। गंगा किनारे प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जाता है तो कई जिलों के गांव लाभार्थी हो सकते हैं।

राज्य चारधाम जैसी कई परियोजनाएं चल रही हैं, लेकिन फिर भी दूरस्थ व सीमांत के गांवों में सड़कों का अभाव है, बजट में पर्वतमाला योजना को काफी महत्व दिया गया है। इससे कई दुर्गम क्षेत्रों को सुगम बनाया जा सकता है। इस तरह के प्रविधान पहाड़ में खाली हो रहे गांवों को जीवंत भी कर सकते हैं व सीमाओं को सतर्क भी रख सकते हैं।

उत्तराखंड में औद्योगिक विकास धीमी गति से हुआ। बजट में लघु एवं मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन देने की घोषणा है। राज्य की 68,888 इकाइयां इसका लाभ ले सकती हैं। बुरे दौर से गुजर रहे होटल एवं आतिथ्य उद्योग को खड़ा करने का संकल्प पूरा होता है तो प्रदेश का पर्यटन व तीर्थाटन भी तेजी से पटरी पर लौट सकता है। रोपवे परियोजनाओं को प्राथमिकताओं में रखना भी उत्तराखंड के पर्यटन के लिए शुभ समाचार ही माना जाएगा।

[राज्य संपादक, उत्तराखंड]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.