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हिमालय की योजनाओं में पहाड़ के लोगों की उपेक्षा

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. एससी खर्कवाल ने कहा कि हिमालय से संबंधित अब तक की योजनाएं न तो यहां के निवासियों को केंद्र में रखकर बनी हैं और न ही उनको योजनाओं के निर्धारण व रूपरेखा बनाने में सम्मिलित किया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 08:43 PM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 08:43 PM (IST)
हिमालय की योजनाओं में पहाड़ के लोगों की उपेक्षा

जागरण संवाददाता, देहरादून : हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. एससी खर्कवाल ने कहा कि हिमालय से संबंधित अब तक की योजनाएं न तो यहां के निवासियों को केंद्र में रखकर बनी हैं और न ही उनको योजनाओं के निर्धारण व रूपरेखा बनाने में सम्मिलित किया जाता है।

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शुक्रवार को दून विश्वविद्यालय स्थित डॉ. नित्यानंद हिमालयन रिसर्च एंड स्टडी सेंटर के तत्वावधान में डॉ. नित्यानंद स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें डॉ. एससी खर्कवाल ने कहा कि किसी भी शोध की उपयोगिता तभी है जब वह पुस्तकालय तक ही सीमित न रहकर समाज के उत्थान व विकास के लिए सहायक होगा। शोधार्थियों को चाहिए कि वह जनोपयोगी व जनकल्याणकारी शोध करें। उन्होंने विश्वास जताया कि डॉ. नित्यानंद हिमालयन शोध एवं अध्ययन केंद्र इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाएगा, जिससे हिमालय परिक्षेत्र के निवासियों की दैनिक जीवन की समस्याओं का सार्वभौमिक निदान हो। प्रो. खर्कवाल ने सुझाव दिया कि इस क्षेत्र की योजनाओं को बनाने में कम से कम पचास फीसद स्थानीय निवासियों का योगदान होना चाहिए व इसमें महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। इस अवसर पर डॉ. जीएस नेगी, डॉ. सपना सेमवाल, डॉ. सोनू कौर सहित संस्थान के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

हिमालयी क्षेत्र में 123 जनजातियां

प्रो. खर्कवाल ने हिमालय की भूगर्भीय व भौगोलिक संरचनाओं की विस्तारपूर्वक विवेचना की। उन्होंने कहा कि 123 जन जातिया हिमालय में वास करती हैं। हिमालय का दोहन ब्रिटिशकाल में शुरू हुआ था जो आज भी जारी है। यूरोप का उदाहरण देते हुए उन्होंने पारंपरिक घरों व व्यंजनों को संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया व कहा कि पारम्परिक वस्तुओं को मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था से जोड़ना चाहिए। तभी उत्तराखंड व हिमालय क्षेत्र की पलायन, गरीबी, बेरोजगारी जैसी समस्याएं दूर हो पाएंगी और राज्य का आर्थिक विकास व रोजगार सृजन संभव हो पाएगा।

प्रतिष्ठित शोध संस्थाओं से होगा एमओयू

दून विवि के छात्र अधिष्ठाता कल्याण प्रो. एचसी पुरोहित ने डॉ. नित्यानंद के जीवनदर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जीवनदर्शन हिमालय परिक्षेत्र के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए समर्पित रहा। हमें उनसे प्रेरणा लेकर जीवन में उनके आदशरें को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉ. नित्यानंद हिमालयन रिसर्च एंड स्टडी सेंटर के देश व विदेश की प्रतिष्ठित वैज्ञानिक शोध संस्थाओं के साथ अध्ययन के लिए एमओयू किए जाएंगे।

आर्थिक विकास में भागीदार बनेगा

डॉ. नित्यानंद हिमालयी शोध समिति के संयोजक प्रो. डीडी चैनियाल ने कहा कि डॉ. नित्यानंद हिमालयन रिसर्च एंड स्टडी सेंटर उत्तराखंड के आर्थिक विकास में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करेगा। यहा संचालित होने वाले पाठ्यक्रमों में विशेष तौर पर उत्तराखंड की भौगोलिक व भूगर्भीय विषयवस्तु की विद्यार्थियों को विस्तृत जानकारी दी जाएगी।


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