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सरकार से नाराज निजी चिकित्सक करेंगे हड़ताल, जानिए वजह

क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह उत्तराखंड हेल्थकेयर एस्टेब्लिश एक्ट लागू करने की मांग को लेकर डाक्टर मुखर हो गए हैं।

By Edited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 07:35 PM (IST)
सरकार से नाराज निजी चिकित्सक करेंगे हड़ताल, जानिए वजह
सरकार से नाराज निजी चिकित्सक करेंगे हड़ताल, जानिए वजह

देहरादून, जेएनएन। क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की जगह उत्तराखंड हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने की मांग को लेकर निजी चिकित्सकों के तेवर तल्ख हो गए हैं। निजी चिकित्सकों ने 15 फरवरी से हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। 

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निजी चिकित्सकों का कहना है कि प्रदेश सरकार के बार-बार के आश्वासनों से वह आजिज आ चुके है। उनका कहना है कि खुद प्रदेश के मुखिया ने भरोसा दिलाया था कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव कैबिनेट में लाकर इसको नए प्रारूप में लागू किया जाएगा। मगर इस पर अमल नहीं हुआ। ऐसे में निजी चिकित्सकों ने फिर आंदोलन की राह पकड़ ली है। इसकी शुरुआत कर दी गई है। तमाम प्राइवेट अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों ने बुधवार को काली पंट्टी बांधकर काम किया। अब 15 फरवरी से उन्होंने बेमियादी हड़ताल पर जाने का एलान कर दिया है। 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. बीएस जज व सचिव डॉ. डीडी चौधरी ने प्रेस वार्ता में कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से वार्ता के बाद ही उनके निर्देश पर उत्तराखंड हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का मसौदा तैयार किया गया था। स्वास्थ्य सचिव नितेश कुमार झा ने इसमें कुछ संशोधन की जरूरत बताई थी। उनके निर्देशानुसार संशोधित प्रारूप अर्से पहले उन्हें सौंप दिया गया था। इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

उन्होंने कहा कि दिसंबर माह में निजी चिकित्सकों ने इसे लेकर आंदोलन किया था। इस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें वार्ता के लिए बुलाया और भरोसा दिया कि नए साल में होने वाली पहली कैबिनेट बैठक में एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव लाया जाएगा, पर ऐसा हुआ नहीं। 

एक फरवरी को हुई कैबिनेट की बैठक में भी इस प्रस्ताव को नहीं लाया गया। ऐसे में प्रदेशभर के निजी चिकित्सक खुद को ठगा महसूस कर रहे है। उनके सामने सिवाय आंदोलन के अब कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि जब तक राज्य सरकार उनकी पांच सूत्रीय मांगों का समाधान नहीं करती हड़ताल जारी रहेगी। 

ये हैं प्रमुख मांग 

-आइएमए व सरकारी अधिकारियों की संयुक्त समिति द्वारा तैयार उत्तराखंड हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट अविलम्ब लागू किया जाए। -आवास विकास द्वारा बिल्डिंग बायलॉज को लेकर जारी आदेश निरस्त किया जाए। -नया प्रस्ताव आइएमए को साथ लेकर तैयार किया जाए।

-आयुष्मान भारत व अटल आयुष्मान योजना समेत अन्य राष्ट्रीय व राज्य स्तर के स्वास्थ्य कार्यक्रमों की अनिवार्यता न रखी जाए। 

-पीसीपीएनडीटी एक्ट में लिपिकीय त्रुटि को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जाए और चिकित्सकों का उत्पीड़न बंद करें। 

-अस्पताल परिसर में हिंसा को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में लाया जाए व पांच साल की सजा का प्रावधान करें।

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