प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी की बाबा केदार में है आस्था, केदारपुरी को फिर से बसाने को लेकर हैं गंभीर
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी केदारनाथ में अब तक चार बार आ चुके हैं। वर्ष 2018 में तो दो बार केदारनाथ पहुंचे तथा बाबा के दर्शन के साथ ही पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। केदारनाथ आपदा के बाद से केदारपुरी को बसाने को लेकर पीएम गंभीर रहे हैं।
रुद्रप्रयाग, जेएनएन। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी केदारनाथ में अब तक चार बार आ चुके हैं। वर्ष 2018 में तो दो बार केदारनाथ पहुंचे तथा भोले बाबा के दर्शन के साथ ही पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। केदारनाथ आपदा के बाद से केदारपुरी को फिर से बसाने को लेकर पीएम मोदी काफी गंभीर रहे हैं।
वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा के समय प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस समय तत्कालीन प्रदेश की कांग्रेस सरकार को उनके द्वारा गुजरात सरकार की ओर से केदारनाथ में पुनर्निर्माण का जिम्मा सौंपने का अनुरोध किया था। लेकिन वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री बने तो राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, जिस कारण वह केदारनाथ नहीं आए। लेकिन वर्ष 2017 में राज्य में भाजपा की सरकार बनते ही वर्ष वह केदारनाथ पहुंचे तथा पुनर्निर्माण कार्यों की नींव रखी।
500 करोड़ रुपये की लागत से पुनर्निर्माण की नींव रखते हुए इसे तीन चरण में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसके बाद वर्ष 2018 में दो बार केदारनाथ आए। पहले मई में कपाट खुलते समय और फिर कपाट बंद होते समय। इसके बाद लोक सभा चुनाव नतीजों से ठीक पहले 18 मई को केदारनाथ पहुंचकर केदारनाथ में ध्यान गुफा में एक दिन तप भी किया और पूरी रात केदारनाथ धाम में स्थित गुफा में ही गुजारी। केदारपुरी को नए सिर से बसाने के लिए नरेंद्र मोदी लगातार केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का अधिकारियों से जानकारी लेते रहते हैं।
रोजना आते थे केदारनाथ
केदारनाथ के प्रति प्रधानमंत्री का लगाव नया नहीं हैं। अस्सी व नब्बे के दशक में नरेंद्र मोदी एक साधारण व्यक्ति के रूप में लंबे समय तक केदारनाथ में रहे तथा तप किया। यह लगातार आज भी उनका केदारबाबा के प्रति बना हुआ है। उस समय की याद ताजा करते हुए वयोवृद्ध तीर्थपुरोहित श्रीनिवास पोस्ती बताते हैं कि नरेन्द्र मोदी गुरड़चट्टी से रोजाना केदारनाथ आते थे, तथा मंदिर में परिक्रमा व पूजा अर्चना करते थे। और फिर वापस चले जाते थे।
साधना का केंद्र रही है पौराणिक चट्टी
वयोवृद्ध तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती कहते हैं कि गरुड़चट्टी का संबंध भगवान विष्णु से रहा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु अपने वाहन गरुड़ में सवार होकर केदारनाथ आए थे। इस दौरान वे इस चट्टी में रुके और कुछ समय यहां विश्राम किया। तब से इस चट्टी का नाम गरुड़चट्टी पड़ा। यहां पर भगवान गरुड़ की मूर्ति भी स्थापित है। आपदा से पूर्व कई साधु-संत यहां वर्षभर साधना करते थे। यहां तक कि दस से बारह फीट बर्फ में भी वे यहीं रहते थे।
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