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उत्तराखंड में नहीं घटेंगी पेट्रोल-डीजल की कीमत

उत्तराखंड में पेट्रोल और डीजल की कीमत नहीं घटेगी। वित्त मंत्री प्रकाश पंत का कहना है कि राज्य के लिए पेट्रोल और वैट पर लिए जा रहे वैट को कम करना मुमकिन नहीं है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 09:07 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 09:24 PM (IST)
उत्तराखंड में नहीं घटेंगी पेट्रोल-डीजल की कीमत
उत्तराखंड में नहीं घटेंगी पेट्रोल-डीजल की कीमत

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगने और आम आदमी को राहत मिलने के आसार फिलहाल नहीं हैं। आमदनी और खर्च के बीच चौड़ी होती खाई को पाटने के लिए पुख्ता बंदोबस्त नहीं होने से पेट्रोल और डीजल पर वैट से सालाना तकरीबन 1450 करोड़ की आमदनी में कमी लाने को सरकार तैयार नहीं है। हालांकि कुछ महीने पहले ही सरकार पेट्रोल और डीजल से सेस घटाकर उपभोक्ताओं को राहत दे चुकी है।

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पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार इजाफा होने के बाद कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर केंद्र से लेकर राज्यों में भाजपा सरकारों पर दबाव बनाने में जुट गई है। विपक्ष के इस मुद्दे को तूल देने के बाद प्रदेश सरकारों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर सुगबुगाहट दिखाई दे रही है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और आंध्र प्रदेश की सरकारों ने उक्त पेट्रोलियम पदार्थों पर अपना टैक्स घटाया है। फिलहाल ऐसी सूरत उत्तराखंड में नजर नहीं आ रही है। 

दरअसल, राज्य की कुल आमदनी में पेट्रोल और डीजल की हिस्सेदारी काफी ज्यादा है। उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में पेट्रोल और डीजल से होने वाली आय राज्य के खर्चों की प्रतिपूर्ति का बड़ा जरिया भी है। बीते वर्ष 2017-18 में प्रदेश को पेट्रोल से तकरीबन 650 करोड़ और डीजल से करीब 800 करोड़ का राजस्व राज्य सरकार को हर साल मिल रहा है। वर्तमान में पेट्रोल पर 25 फीसद वैट या 17 रुपये जो ज्यादा हो और डीजल पर 17.48 फीसद वैट या 9.41 रुपये जो भी ज्यादा हो, लागू किया गया है।  

दरअसल, जीएसटी लागू होने के बाद राज्य से राजस्व ज्यादा अर्जित तो हो रहा है, लेकिन इस राजस्व में केंद्र की हिस्सेदारी अधिक है। वहीं राज्य को मिलने वाला राजस्व घट गया है। जीएसटी से पहले उत्तराखंड का संयुक्त कर 8336 करोड़ जमा होता रहा था, जो जीएसटी के बाद 15139 करोड़ हो चुका है। राज्य को सेटलमेंट के बाद मात्र 3701 करोड़ मिला है, यह धनराशि प्री-जीएसटी से 29 फीसद कम है। इससे राज्य सरकार के माथे पर बल पड़े हैं। कार्मिकों के वेतन-भत्ते-पेंशन देने में सरकार को पसीने छूट रहे हैं। 

सीमित आर्थिक आमदनी और बढ़ते खर्च के बीच चौड़ी होती खाई को पाटने के लिए पुख्ता बंदोबस्त नहीं होने से सरकार पेट्रोल और डीजल पर वैट घटाने का साहस नहीं जुटा पा रही है। हालांकि कुछ माह पहले ही पेट्रोल और डीजल पर सेस को हटाने का निर्णय सरकार ने लिया था। इस संबंध में वित्त मंत्री प्रकाश पंत का कहना है कि राज्य के लिए पेट्रोल और वैट पर लिए जा रहे वैट को कम करना मुमकिन नहीं है। राज्य सरकार पहले ही यह निर्णय कर चुकी है। कुछ महीने पहले सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर पांच फीसद सेस घटाया था। इससे सरकार के राजस्व में 25 करोड़ की कमी आई है। 

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