सरकार पर शेष बचे महीनों में विकास कार्यों का बढ़ा दबाव
प्रदेश में आर्थिक संकट से विकास कार्यों पर पड़ रहे असर को लेकर सरकार की छटपटाहट बढ़ रही है। चालू वित्तीय वर्ष के शेष महीनों में अब विकास गतिविधियों और निर्माण कार्यों में तेजी लाई जा रही है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में आर्थिक संकट से विकास कार्यों पर पड़ रहे असर को लेकर सरकार की छटपटाहट बढ़ रही है। चालू वित्तीय वर्ष के शेष महीनों में अब विकास गतिविधियों और निर्माण कार्यों में तेजी लाई जा रही है। कोविड के चलते निर्माण कार्यों के बजट खर्च करने पर अघोषित रोक हटाते हुए अब बजट प्रविधान का 70 फीसद तक खर्च के लिए मंजूर करने के निर्देश दिए हैं। विकास कार्यों के लिए अब हर महीने बाजार से कर्ज उठाया जाएगा।
चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में करीब सात महीने गुजर चुके हैं। इस दौरान कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा असर राज्य की विकास गतिविधियों पर पड़ा है। आय के स्रोत प्रभावित होने से राज्य में विकास कार्यों के लिए धन की कमी बनी हुई। फिलवक्त स्वास्थ्य पर ज्यादा खर्च करना सरकार की मजबूरी है। मौजूदा स्थिति ने सरकार को दबाव में ला दिया है। दरअसल, वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में शेष बचे थोड़े समय में अब विकास कार्यों को नजर अंदाज करना सरकार को भारी पड़ सकता है। इसे देखते हुए सरकार ने विकास गतिविधियों में इजाफा लाने के निर्देश दिए है।
अब 70 फीसद तक बजट मिलेगा
चालू वित्तीय वर्ष में पहली बार सरकार ने बड़े व छोड़े निर्माण कार्यों के साथ ही मरम्मत के कामकाज के लिए बजट खर्च में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। वित्त सचिव अमित नेगी की ओर से इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों को आदेश जारी किए जा चुके हैं। आदेश में कहा गया कि बजट प्रविधान का अब 70 फीसद तक निर्माण कार्यों पर खर्च के लिए मंजूर किया जाए। चालू वित्तीय वर्ष के करीब पांच महीने पहले जारी इस आदेश से अब शेष वक्त में बजट में विकास संबंधी योजनाओं पर खर्च में सरकार का रवैया ज्यादा उदार रहने जा रहा है।
जीएसटी क्षतिपूर्ति में हिस्सेदारी
राज्य के सामने विकास कार्यों को अंजाम देने में वित्तीय संकट बड़ी बाधा है। इस बाधा से पार पाने के लिए राज्य सरकार को केंद्र से जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में मिलने वाली धनराशि और इसके स्थान पर कर्जमुक्त ऋण सुविधा मिलने का इंतजार किया जा रहा है। फिलवक्त राज्य सरकार के लिए राहत की बात ये भी है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने उत्तराखंड समेत कई राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए 6000 करोड़ की धनराशि मंजूर की है। राज्य सरकार इसमें अपनी हिस्सेदारी मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रही है।
ब्याजमुक्त कर्ज का बेसब्री से इंतजार
राजस्व आमदनी घटने के साथ ही केंद्र से विभिन्न केंद्रीय योजनाओं में राज्य को मिलने वाली मदद में कमी देखी जा रही है। दरअसल कोविड-19 महामारी की वजह से आमदनी में गिरावट की वजह से केंद्र सरकार के हाथ भी बड़े तंग हैं। राज्य 2200 करोड़ से ज्यादा की जीएसटी क्षतिपूर्ति मिलने का इंतजार कर रहा है। फिलवक्त इसके स्थान पर केंद्र सरकार ने ब्याज मुक्त ऋण का ऑफर भी दिया है। राज्य सरकार इस पर अपनी सहमति दे चुकी है। ऐसा हुआ तो राज्य को विकास कार्यों के लिए ऋण उपलब्ध होगा। साथ में उसे ब्याज के भुगतान से निजात मिल जाएगी। इस मामले में राज्य को केंद्र से आदेश जारी होने का इंतजार है।
बजट खर्च की बढ़ रही रफ्तार
कोरोना महामारी की मार से प्रदेश के बजट को झटका लगा है। खासतौर पर अप्रैल से लेकर जून माह तक पहली तिमाही में लॉकडाउन के दौरान बजट खर्च की हालत बेहद खराब रही है। छमाही तक पहुंचते हुए इसमें सुधार देखा गया। जून तक बजट प्रविधान की तुलना में महज नौ फीसद तक बजट खर्च हुआ था, जबकि सितंबर आते-आते यह खर्च करीब 38 फीसद तक पहुंच गया। चालू वित्तीय वर्ष के लिए कुल 53526.97 करोड़ बजट का प्रविधान है। वित्तीय वर्ष के शुरुआती तीन महीनों में राज्य को तकरीबन 2500 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ है।
जोर पकड़ रही विकास गतिविधियां
नतीजा ये हुआ कि पहली तिमाही यानी जून माह तक बजट प्रविधान का सिर्फ नौ फीसद खर्च हो सका। हालांकि खर्च के लिए 12943.23 करोड़ की बजट राशि जारी की गई थी। इसमें से सिर्फ 4842 करोड़ खर्च हो पाया था। खर्च में यह गिरावट चारों सेक्टर जिला, राज्य, केंद्रपोषित और बाह्य सहायतित योजनाओं में रही है। लॉकडाउन खत्म होने और अनलॉक के रूप में पाबंदियां खत्म होने का सिलसिला शुरू होने से बजट खर्च की गति में भी वृद्धि हुई है। अब राजस्व आमदनी में कुछ वृद्धि होने से राज्य सरकार का भरोसा बढ़ रहा है।
राज्य की विकास दर में आई 1.50 फीसद तक गिरावट
प्रदेश की आर्थिक विकास दर को बड़ा झटका लगा है। वर्ष 2018-19 की तुलना में वर्ष 2019-20 में विकास दर डेढ़ फीसद घटकर 4.30 फीसद रह गई है। राहत की बात ये है कि इस अवधि में प्रति व्यक्ति आय 191450 से बढ़कर 202895 रुपये अनुमानित है। प्रति व्यक्ति आय में करीब 5.98 फीसद वृद्धि हुई है।
बीते तीन वर्षों 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में राज्य की आर्थिक गतिविधियों में हो रहे बदलाव को दर्शाया गया है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019-20 में 2018-19 की तुलना में अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ा है। वास्तविक सकल राज्य घरेलू उत्पाद के मुताबिक 2019-20 में अर्थव्यवस्था का आकार 199.72 हजार करोड़ अनुमानित किया गया है। राज्य में सालाना प्रति व्यक्ति आय 2017-18, 2018-19 व 2019-20 में क्रमश: 1,80,613 रुपये, 1,91,450 रुपये व 202895 रुपये रहने का अनुमान है। प्रति व्यक्ति आय में राज्य में 2019-20 में इससे पहले साल की तुलना में 5.98 फीसद की वृद्धि हुई।
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