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कर्मकार कल्याण बोर्ड में रार : अध्यक्ष की सचिव को हटाने की संस्तुति, कार्यमुक्त करने का पत्र सौंपा

श्रम विभाग के अधीन उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में अध्यक्ष और सचिव के बीच छिड़ी रार थमने का नाम नहीं ले रही। अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल ने वर्चुअल बुलाई गई बोर्ड बैठक के बाद सचिव मधु नेगी चौहान को एकतरफा कार्यमुक्त करने का पत्र थमा दिया

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 11:55 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 11:55 AM (IST)
कर्मकार कल्याण बोर्ड में रार : अध्यक्ष की सचिव को हटाने की संस्तुति, कार्यमुक्त करने का पत्र सौंपा
कर्मकार कल्याण बोर्ड में रार : अध्यक्ष की सचिव को हटाने की संस्तुति, कार्यमुक्त करने का पत्र सौंपा

राज्य ब्यूरो, देहरादून। श्रम विभाग के अधीन उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में अध्यक्ष और सचिव के बीच छिड़ी रार थमने का नाम नहीं ले रही। अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल ने बुधवार को वर्चुअल बुलाई गई बोर्ड बैठक के बाद सचिव मधु नेगी चौहान को एकतरफा कार्यमुक्त करने का पत्र थमा दिया। साथ ही सचिव को हटाने की संस्तुति करते हुए मुख्य सचिव और श्रम सचिव को पत्र भेजा है। उन्होंने बोर्ड की सचिव की कार्यप्रणाली के साथ ही पिछले बोर्ड के कार्यकाल में हुए कार्यों पर सवाल उठाते हुए श्रम मंत्री डा हरक सिंह रावत पर भी निशाना साथा। पिछले बोर्ड में डा रावत अध्यक्ष थे। उधर, बोर्ड की सचिव मधु नेगी चौहान ने कहा कि बोर्ड अध्यक्ष न सिर्फ नियमों के विपरीत कार्य कर रहे हैं, बल्कि नियम विरुद्ध कार्य करने का भी दबाव बना रहे हैं।

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बोर्ड के अध्यक्ष सत्याल ने बीते रोज बोर्ड की सचिव की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री को पत्र भेजा था। उनका आरोप है कि सचिव मनमाने ढंग से कार्य कर रही हैं। और तो और, बोर्ड द्वारा लिए गए निर्णयों का क्रियान्वयन भी नहीं कर रही हैं। पत्र में बोर्ड की सचिव को निलंबित करने और बोर्ड में नए सचिव की नियुक्ति का आग्रह किया गया। बुधवार को सत्याल ने वर्चुअल माध्यम से बोर्ड की बैठक बुलाई, जिसमें उन्होंने सचिव मधु नेगी चौहान से 11 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी। उन्होंने पूछा कि बोर्ड का कार्यालय हल्द्वानी से देहरादून शिफ्ट करने के संबंध में क्या पूर्व में शासन स्तर से आदेश हुए थे। पिछले बोर्ड में सचिव का दायित्व निभाने वाली दमयंती रावत को कार्यवाहक सचिव किसकी अनुमति से नामित किया गया। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि पूर्व में शासन से बोर्ड कार्यालय के लिए एक फ्लोर की अनुमति थी, मगर भुगतान दो फ्लोर का किया जा रहा है। आडिट टीम ने भी इस पर आपत्ति जताई है। ऐसे में क्या भवन मालिक से चार वर्ष के एक फ्लोर के किराये की वसूली की जाएगी।

सत्याल ने कहा कि पिछले बोर्ड के कार्यकाल में श्रम मंत्री और तत्कालीन बोर्ड सचिव ने 3.50 करोड़ से अधिक के राशन किट की खरीद की, जिसका भुगतान भी हो चुका है। उन्होंने इस संबंध में शासन से ली गई अनुमति की जानकारी चाही। उन्होंने कहा कि पिछले बोर्ड में श्रम मंत्री ने बोर्ड में 38 कर्मचारी रखे और कोटद्वार में कैंप आफिस बनाया। सचिव से पूछा कि क्या इसकी शासन से अनुमति ली गई थी। उन्‍होंने कहा कि बोर्ड के वाहन का उपयोग श्रम मंत्री कर रहे हैं और ईंधन का खर्च बोर्ड देता है। सचिव को बताना चाहिए कि ऐसा भुगतान करने का क्या कारण है। यह भी सवाल दागा कि यदि बोर्ड से पूर्व में कोटद्वार में ईएसआइ अस्पताल के लिए 20 करोड़ का धन दिया जाना सही था तो यह राशि संबंधित कंपनी को क्यों वापस नहीं की गई। क्‍यों न इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी जाए।

उन्होंने कहा कि गत वर्ष बोर्ड के आडिट में कई गंभीर अनियमितताएं पाई गईं, जो पिछले बोर्ड अध्यक्ष के कार्यकाल की हैं। सचिव ने इन आपत्तियों का जवाब न तो शासन को भेजा है और न महालेखाकार को ही। उन्होंने इसकी वजह जाननी चाही। उन्होंने कहा कि अदालत के निर्देशों के क्रम में श्रमिकों को राहत सामग्री या धनराशि दी जानी हैं, मगर श्रम मंत्री का कहना है कि राशन खाद्य विभाग देगा। इस पर सचिव से जानकारी चाही कि कितने श्रमिकों के पास राशन कार्ड हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एक पीआरओ द्वारा विभागीय अधिकारियों को बोर्ड की बैठक में भाग न लेने तक के निर्देश दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई बैंकों में बोर्ड की मौजूदा सचिव के हस्ताक्षर तक प्रमाणित नहीं हैं।

सत्याल के अनुसार बोर्ड सचिव ने इन बिंदुओं पर कोई जवाब नहीं दिया। बोर्ड के सभी सदस्यों ने इस पर नाराजगी जताते हुए सचिव को हटाने और नई नियुक्ति होने तक किसी अधिकारी को कार्यवाहक सचिव की जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया। बोर्ड अध्यक्ष सत्याल ने यह भी आरोप लगाया कि जब बैठक चल रही थी, जब बोर्ड का एक निलंबित कर्मचारी भी सचिव के कक्ष में मौजूद था। उन्होंने कहा कि बोर्ड की नियमावली में अध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह सचिव को कार्यमुक्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि गुरुवार को किसी वरिष्ठ अधिकारी को सचिव का चार्ज दे दिया जाएगा। इस प्रकरण में जल्द ही मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की जाएगी।

- मधु नेगी चौहान (सचिव कर्मकार कल्याण बोर्ड) ने कहा कि बोर्ड के अध्यक्ष का एकमात्र ध्येय सचिव को हटाना है। इसीलिए अध्यक्ष ने पूर्व में प्रशासनिक व वित्तीय अधिकार खुद में समाहित करा लिए। अब अध्यक्ष ने मुझे सचिव पद से कार्यमुक्त कर देहरादून के डीएलसी को कार्यवाहक सचिव बनाने संबंधी पत्र दिया है। मेरी नियुक्त मुख्यमंत्री के अनुमोदन पर शासन ने की है। जहां तक उपनल के चार कर्मियों को वापस करने का सवाल है तो उनके स्थान पर कुशल कर्मियों को उपनल से मांगा गया है। अध्यक्ष ने जो भी आरोप लगाए है, वे पूरी तरह निराधार हैं।

श्रम मंत्री डा हरक सिंह रावत ने कहा कि कर्मकार बोर्ड के अध्यक्ष कुछ व्यक्तियों के इशारे पर सरकार और पार्टी की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। जब से शमशेर सिंह सत्याल बोर्ड के अध्यक्ष बने हैं, तब से वह मनमाना रवैया अख्तियार कर मीडिया में सुर्खियां बटोरने की कोशिशों में जुटे हैं। बोर्ड श्रम विभाग के अधीन है। 2005 की नियमावली के अनुसार कोई भी नया काम शुरु करने के लिए बोर्ड को शासन से अनुमोदन लेना अनिवार्य है। जहां तक राशन वितरण की बात है तो केंद्र सरकार पहले ही सभी को मुफ्त राशन दे रही है, ऐसे में राशन किट बांटने का औचित्य नहीं है। बोर्ड की सचिव को हटाने का अधिकार भी अध्यक्ष को नहीं है, क्योंकि सचिव की तैनाती मुख्यमंत्री के अनुमोदन से हुई है।

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