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उत्तराखंड में वनों से मिलने वाले हक-हकूक की प्रक्रिया के सरलीकरण की तैयारी

उत्तराखंड में वनों से मिलने वाले हक-हकूक की प्रक्रिया के सरलीकरण की तैयारी है। लंबे समय के बाद यह पड़ताल की जा रही है कि स्थानीय निवासियों को हक-हकूक के रूप में आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए इमारती व अन्य लकड़ी मिल रही है या नहीं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 03:40 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 03:40 PM (IST)
उत्तराखंड में वनों से मिलने वाले हक-हकूक की प्रक्रिया के सरलीकरण की तैयारी
उत्तराखंड में वनों से मिलने वाले हक-हकूक की प्रक्रिया के सरलीकरण की तैयारी है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। विषम भूगोल और 71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में वनों से मिलने वाले हक-हकूक की प्रक्रिया के सरलीकरण की तैयारी है। लंबे समय के बाद यह पड़ताल की जा रही है कि स्थानीय निवासियों को हक-हकूक के रूप में आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए इमारती व अन्य लकड़ी मिल रही है या नहीं। कहीं, इसकी राह में नियम कायदे बाधक तो नहीं बन रहे। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने इस संबंध में अधिकारियों से वस्तुस्थिति की जानकारी मांगी है।

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ज्यादा वक्त नहीं बीता, जब स्थानीय निवासी न सिर्फ वनों का संरक्षण करते थे, बल्कि इनसे अपनी जरूरतें भी पूरी किया करते थे। जाहिर है कि इससे वन और जन के बीच रिश्ता भी मजबूत था। वक्त ने करवट बदली और वन अधिनियम 1980 के बाद ग्रामीणों को वनों से मिलने वाले हक-हकूक में कटौती हुई तो वन और जन के रिश्तों में भी खटास आने लगी।

वर्तमान में स्थिति ये है कि वन प्रभागों की वार्षिक कार्ययोजना में निर्धारित होने वाले हक-हकूक में से आधा ही स्वीकृत करने का प्रविधान है। इसे प्राप्त करने की प्रक्रिया भी जटिल है ग्रामीणों को वन विभाग की चौखट पर ऐडिय़ां रगडऩी पड़ती है। ऐसे में तमाम ग्रामीण इसे छोडऩा ही बेहतर समझते हैं। पिछले वित्तीय वर्ष को ही देखें तो कुल 24313 घन मीटर हक-हकूक स्वीकृत किया गया था, जिसमें से 9999 घनमीटर का ही वितरण हो पाया।

जाहिर है कि सिस्टम में कहीं न कहीं कोई खामी है। लंबे इंतजार के बाद महकमे का ध्यान इस तरफ गया है। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी के मुताबिक इस बात की पड़ताल की जा रही है कि कहीं हक-हकूक के इस्तेमाल में कोई बाधा तो नहीं आ रही। इन्हें दूर करने के साथ ही विभागीय स्तर पर हक-हकूक स्वीकृत करने की प्रक्रिया के सरलीकरण पर भी मंथन चल रहा है। विभाग का प्रयास है कि हक-हकूक समय पर और सही व्यक्ति को मिले। भरतरी के अनुसार उनकी अध्यक्षता में गठित कमेटी इस संबंध में पड़ताल कर अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेगी।

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