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देश के मंदिरों में मिलेगा स्थानीय उत्पादों से बना प्रसाद, जानिए

स्थानीय कृषि उत्पादों से बने प्रसाद से रोजगार सृजन की हिमालयन इन्वायरनमेंटल स्टडीज एंड कंजर्वेशन ऑर्गनाइजेशन की मुहिम अब देशभर में आकार लेगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 09:14 AM (IST)Updated: Tue, 21 May 2019 08:33 PM (IST)
देश के मंदिरों में मिलेगा स्थानीय उत्पादों से बना प्रसाद, जानिए
देश के मंदिरों में मिलेगा स्थानीय उत्पादों से बना प्रसाद, जानिए

देहरादून, राज्य ब्यूरो। स्थानीय कृषि उत्पादों से बने प्रसाद से रोजगार सृजन की हिमालयन इन्वायरनमेंटल स्टडीज एंड कंजर्वेशन ऑर्गनाइजेशन (हेस्को) की मुहिम अब देशभर में आकार लेगी। इस सिलसिले में सोमवार को देहरादून के शुक्लापुर स्थित हेस्को मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में जैव प्रौद्योगिकी सचिव डॉ. रेनू स्वरूप ने राष्ट्रीय स्तर पर 'प्रसाद रोजगार के रूप में' कार्यक्रम की लांचिंग की। उन्होंने कहा कि अभी तक कुछ मंदिरों में ही स्थानीय लोगों द्वारा उत्पादों से बनाया गया प्रसाद उपलब्ध कराया जा रहा था, मगर ये मुहिम अब पूरे देश के मंदिरों में चलेगी। इस मुहिम में मुख्य फोकस ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं पर रहेगा, ताकि उनकी आर्थिकी संवरने के साथ ही जीवनस्तर में भी सुधार आ सके। 

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जम्मू-कश्मीर के वैष्णोदेवी मंदिर व शिवखोड़ी, उत्तराखंड के बदरीनाथ, केदारनाथ समेत अन्य मंदिरों में स्थानीय उत्पादों से बने प्रसाद को प्रोत्साहित करने के लिए हेस्को ने पहल की। इसके तहत स्थानीय ग्रामीणों, विशेषकर महिला समूहों को इसके लिए तकनीकी सहयोग दिया गया। नतीजा ये रहा कि शिवखोड़ी में ही दो महिला समूहों का सालाना टर्नओवर 54 लाख रुपये पहुंच गया। इसी प्रकार केदारनाथ में गत वर्ष स्थानीय समूहों ने सवा करोड़ का प्रसाद बेचा, जबकि बदरीनाथ में 27 लाख रुपये का। कुछ अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार की पहल को प्रोत्साहित किया गया।

अब यह मुहिम पूरे देशभर में ले जाई जा रही है। इसी क्रम में हेस्को मुख्यालय में सोमवार को राष्ट्रीय स्तर पर 'प्रसाद रोजगार के रूप में' कार्यक्रम की लांचिंग करते हुए केंद्रीय जैव प्रौद्योगिकी सचिव डॉ.रेनू स्वरूप ने कहा कि प्रसाद कार्यक्रम की पूर्व में छोटे स्तर पर शुरुआत की गई थी। आज यह आर्थिकी व रोजगार का बड़ा जरिया बनकर उभरा है। इससे तमाम स्थानों पर महिलाएं सशक्त हुई हैं और उनका जीवन स्तर सुधरा है। साथ ही वे टे्रनर बनकर लीडर के तौर पर उभरी हैं। 

डॉ.रेनू ने कहा कि प्रसाद एक अवयव है कि कैसे स्थानीय संसाधनों से आर्थिकी संवरे। इसमें जैव संसाधनों की बड़ी अर्थव्यवस्था है और ग्रामीण दशकों से इनका उपयोग कर रहे हैं। जरूरत इसमें नई तकनीकी से वेल्यू एडीशन की है। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने वाला प्रसाद कार्यक्रम अगले माह से पूरे देश में चलेगा।

डॉ.रेनू ने कहा कि आज जरूरत किसान की जरूरत को समझने के साथ ही उसे वैज्ञानिकों से कनेक्ट करने की है। इस कड़ी में बायोटेक किसान योजना को गति देने की योजना है। अभी तक यह 15 गांवों में चल रही है, जिसे अब देश के 150 गांवों में ले जाया जाएगा। स्थानीय जैव संसाधनों पर आधारित इस कार्यक्रम को संगठित रूप से आगे ले जाया जाएगा।

हेस्को के संस्थापक पद्मश्री डॉ.अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रसाद कार्यक्रम की शुरूआत होने से अब देश के सभी मंदिरों में स्थानीय लोगों द्वारा स्थानीय उत्पादों से निर्मित प्रसाद मिलेगा। इस कार्यक्रम में हेस्को की भूमिका ग्रामीणों को तकनीकी सहयोग देने के साथ ही समन्वयक की भी होगी। कार्यक्रम में जैव प्रौद्योगिकी मंत्रालय की सलाहकार मीनाक्षी मुंशी ने भी विचार रखे। 

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