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बिजली लाइन शिफ्टिंग घोटाले की जांच रिपोर्ट दबा कर बैठा यूपीसीएल

काशीपुर क्षेत्र में बिजली लाइन शिफ्टिंग घोटाले में दोषी अभियंताओं, कर्मचारियों के खिलाफ जांच रिपोर्ट को यूपीसीएल दबाए बैठा है। इससे दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो पाई।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 12:39 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 12:39 PM (IST)
बिजली लाइन शिफ्टिंग घोटाले की जांच रिपोर्ट दबा कर बैठा यूपीसीएल
बिजली लाइन शिफ्टिंग घोटाले की जांच रिपोर्ट दबा कर बैठा यूपीसीएल

देहरादून, हरीश कंडारी। मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के नारे को खुद मुख्यमंत्री के अधीन विभाग यूपीसीएल के अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। ताजा उदाहरण काशीपुर क्षेत्र में बिजली लाइन शिफ्टिंग घोटाले में दोषी अभियंताओं, कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का न होना है। 

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घोटाले में आठ अधिकारियों, कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया है। जांच रिपोर्ट दिसंबर माह में प्रबंध निदेशक को भेजी जा चुकी है, लेकिन परीक्षण के नाम पर अभी तक जांच रिपोर्ट को निगम प्रबंधन दबाए बैठा है। वहीं,  सचिव ऊर्जा राधिका झा कई बार जांच रिपोर्ट शासन को भेजने के निर्देश निगम प्रबंधन को दे चुकी हैं। 

विदित है कि काशीपुर डिविजन में बिजली लाइन शिफ्टिंग के नाम पर अनियमितताओं की शिकायत यूपीसीएल के अधिकारियों से की गई थी। इस पर यूपीसीएल के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली थी। मामला प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचा तो हरकत में आए शासन ने ऊर्जा निगम को मामले के जांच के आदेश दिए। 

जांच ऊर्जा निगम के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता काशीपुर राजकुमार को सौंपी गई। जांच में उन्होंने पाया कि बिल्डरों के साथ मिलकर दोषी अधिकारियों ने यूपीसीएल को करोड़ों रुपये की चपत लगाकर अकूत संपत्ति अर्जित की है। इसमें उन्होंने अवर अभियंता राजेश सिंह बिष्ट, टीजी-द्वितीय दीपक कर्नाटक, अधिशासी अभियंता के पद पर रहे विवेक कांडपाल, विजय कुमार सकारिया, अधिशासी अभियंता तरुण कुमार, उपखंड अधिकारी सुनील कुमार, तकनीकी सहायक चंद्रमोहन पाठक व विद्युत सेल्फ हेल्प गु्रप कर्मी रंजीत को दोषी करार दिया था। 

उन्होंने दोषियों से वसूली के साथ ही उनके निलंबन तक की संस्तुति कर दी थी। जांच रिपोर्ट को यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक को सौंपे डेढ़ माह का समय बीत चुका है, लेकिन प्रबंध निदेशक जांच रिपोर्ट को दबाए बैठे हैं।

सचिव ऊर्जा राधिका झा ने कहा कि एक बार फिर एमडी को जल्द जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही इसमें आगे की कार्रवाई होगी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब मुख्यमंत्री के अधीन विभाग में ही जीरो टॉलरेंस की धज्जियां उड़ रही हैं तो अन्य विभागों में क्या हाल होगा।

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