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शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण प्लांट के गंदे पानी से दूषित हो रही यमुना नदी

विकासनगर में शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण प्लांट से निकलने वाला गंदा पानी पहले आसन नदी को मैला कर रहा है और फिर इससे यमुना नदी प्रदूषित हो रही है।

By Edited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 10:29 PM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 01:01 PM (IST)
शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण प्लांट के गंदे पानी से दूषित हो रही यमुना नदी
शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण प्लांट के गंदे पानी से दूषित हो रही यमुना नदी

विकासनगर, जेएनएन। स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत का सबब बना शीशमबाड़ा कूड़ा निस्तारण प्लांट अब यमुना नदी के लिए भी घातक साबित हो रहा है। इस प्लांट से निकलने वाला गंदा पानी पहले आसन नदी को मैला कर रहा है और फिर इससे यमुना नदी प्रदूषित हो रही है। अगर ये सिलसिला जारी रहा तो भविष्य में कई जलीय जीव और पक्षियां इससे प्रभावित होंगे।

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शीशमबाड़ा प्लांट प्रबंधन की लापरवाही ने आसन से लेकर यमुना नदी तक एक गंभीर समस्या खड़ी कर दी है। दरअसल आसन नदी रामपुर मंडी स्थित आसन बैराज पर आकर यमुना नदी में मिल जाती है। जिसके चलते आसन में फैल रहा प्रदूषण यमुना नदी को भी प्रभावित कर रहा है। सेलाकुई के पूर्व ग्राम प्रधान भगत सिंह राठौर, पूर्व दर्जाधारी राज्यमंत्री आकिल अहमद, अरशद अली, नरगिस कश्यप आदि का कहना है प्लांट प्रबंधन की लापरवाही के चलते पूरे क्षेत्र की आबोहवा को खतरनाक स्तर तक नुकसान पहुंच रहा है।

आसन बैराज में आने वाले विदेशी परिंदे भी होंगे प्रभावित

आसन नदी में बढ़ने वाले प्रदूषण का असर सर्दी के मौसम में आसन बैराज में आने वाले विदेशी परिंदों पर भी पड़ सकता है। क्योंकि आसन नदी का पानी आसन बैराज में एकत्र होता है और इसी पानी में प्रवासी परिंदें प्रवास करते हैं। बताते चलें कि सर्दी के मौसम में आसन बैराज में भारी तादाद में साईबेरियन पक्षी आते हैं। जिसके कारण यहां हर साल हजारों की तादाद में पर्यटक व पक्षी प्रेमी भी उन्हें देखने के लिए आते हैं।

डॉ. धनंजय (पक्षी विशेषज्ञ) का कहना है कि नदी के पानी में होने वाले प्रदूषण का पक्षियों पर तब फर्क पड़ेगा जब प्रदूषण की मात्रा बेहद ज्यादा हो जाएगी। लेकिन अमेरिका व यूरोप में हुए कई शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि प्रदूषण का असर फूड चैन के माध्यम से काफी वर्षों के बाद भी सामने आया है। अधिकतर पक्षी मछलियां या पानी में रहने वाले अन्य छोटे जीवों का भोजन करते हैं, ऐसे में प्रदूषण से उन्हें काफी नुकसान पहुंच सकता है।

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सहदेव सिंह पुंडीर (विधायक सहसपुर) का कहना है कि शीशमबाड़ा प्लांट की अव्यवस्थाओं को लेकर प्लांट प्रबंधन से लेकर नगर आयुक्त, नगर निगम के मेयर लगभग सभी को इस प्रकार के तमाम हालात से कई बार अवगत कराया जा चुका है। लेकिन प्लांट प्रबंधन व्यवस्थाओं में सुधार के मामले में लगातार लापरवाही बरत रहा है। ऐसे हालात में वे प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलकर प्लांट को अन्य किसी स्थान पर शिफ्ट कराने की मांग करेंगे।

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