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भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासत शहर भर में लेकर आई आफत

सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के पीछे भाजपा-कांग्रेस की अंदरूनी सियासत को असल वजह माना जा रहा। इस सियासत के चलते शहर भर में हड़ताल रही और शहरवासियों की फजीहत हुई।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 18 May 2018 01:06 PM (IST)Updated: Sat, 19 May 2018 05:04 PM (IST)
भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासत शहर भर में लेकर आई आफत
भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासत शहर भर में लेकर आई आफत

देहरादून, [अंकुर अग्रवाल]: सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के पीछे भाजपा-कांग्रेस की अंदरूनी सियासत को असल वजह माना जा रहा। इस सियासत के चलते शहर भर में हड़ताल रही और शहरवासियों की फजीहत हुई। 

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नगर निगम में सफाई कर्मियों के तीन गुट हैं। इनमें एक निवर्तमान महापौर विनोद चमोली समर्थक जबकि दूसरा गुट महापौर दावेदार सुनील उनियाल का समर्थक माना जाता है। वहीं, तीसरा गुट कांग्रेसी नेताओं राजकुमार और सूर्यकांत धस्माना का समर्थक माना जाता है। इन तीनों गुटों की सियासत में भुगतना शहरवासियों को पड़ रहा। 

पिछले 11 दिन से शहर सड़ रहा और राजनीतिक पार्टियां सिर्फ सियासत कर रही। सरकार भी पहले एक्शन के मूड में नहीं दिखी, लेकिन जब स्थिति काबू से बाहर हुई तो 164 कर्मियों को बर्खास्त कर सख्त संदेश दिया गया पर हड़ताली तब भी नहीं माने। 

गुरूवार सुबह से रात तक बदले घटनाक्रम में भी बवाल की असल वजह सियासत ही मानी जा रही है। गुरूवार रात उत्पात के दौरान कांग्रेसी नेता कर्मियों के साथ खड़े नजर आए। 

कांग्रेस चूंकि इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में शुरूआत से ही लगी रही, तो उसका गुट शांत बैठने को राजी नहीं। इसी तरह चमोली समर्थक गुट भी इसलिए शांत नहीं बैठा, क्योंकि वह महापौर दावेदारों में चमोली की पसंद को टिकट चाह रहा था। 

इस सियासत में हड़ताल चलती रही और शहर सड़ता चला गया। सवाल उठ रहे कि जब जिलाधिकारी ने दस दिन और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने हड़तालियों से वार्ता कर चार दिन का समय मांगा, तब समय क्यों नहीं दिया गया। 

सवाल कायम है कि जब गुरूवार को गामा मुख्यमंत्री की तरफ से दस दिन का समय देने का आग्रह लेकर सफाई कर्मियों के बीच पहुंचे, तब हड़ताली क्यों मान गए। चर्चा है कि गामा को हड़ताल खत्म कराने का श्रेय देने की खातिर पूरी रणनीति बनाई गई। 

रही बात कांग्रेस की तो वह इस मुद्दे को भुनाने में जुटी रही। शहर सड़ता रहा, लेकिन कांग्रेस को इससे मतलब नहीं रहा। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से लेकर प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, पूर्व विधायक राजकुमार, महानगर अध्यक्ष पृथ्वीराज तक हड़तालियों को समर्थन देते रहे। 

धस्माना ने तो हड़तालियों के समर्थन व भाजपा को नीचा दिखाने के लिए कूड़े से भरे शहर की फेसबुक लाइव बदनामी तक की। गुरुवार को भी धस्माना जुलूस लेकर कांवली रोड पर शहर में फैली गंदगी दिखाते रहे। सभी ने इस हड़ताल पर सियासी रोटियां सेंकी, लेकिन शहरवासियों की चिंता शायद ही किसी ने की। 

उमेश को नीचे करने की भी चर्चा

हड़ताल के इस घटनाक्रम में भाजपा के महापौर पद के दावेदार उमेश अग्रवाल को नीचे करने की भी चर्चा रही। दरअसल, ये सभी जानते हैं कि गामा मुख्यमंत्री के खास हैं और महापौर के लिए वहीं उनकी पहली पसंद भी हैं। इधर, उमेश अग्रवाल महापौर पद पर अपनी प्रबल दावेदारी ठोक रहे हैं। 

गुरूवार दोपहर वह शहर में फैले कूड़े की समस्या को लेकर व्यापारी नेताओं के साथ मुख्य सचिव उत्पल कुमार से भी मिले व हड़ताल के मामले में दखल देने की मांग की। इसी बीच गामा को सफाई कर्मियों से वार्ता के लिए निगम भेज दिया गया। वे देर रात तक मामले में मुख्यमंत्री के साथ डटे भी रहे। चर्चा है कि हड़ताल समाप्त कराने का श्रेय गामा को देने के लिए यह रणनीति बनाई गई और देर रात मुख्यमंत्री आवास पर इसका पटाक्षेप किया गया।

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