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लॉकडाउन अंतिम विकल्प और कर्फ्यू में सख्ती काफूर; कर्फ्यू महज नाम का

कोरोना वायरस का प्रसार हर दिन बढ़ता जा रहा है। कर्फ्यू के दूसरे चरण में दून में सभी कार्यालय बंद कर दिए गए थे मगर फिर शासन के आदेश पर इन्हें खोल दिया गया। इस नए निर्णय के साथ ही कर्फ्यू में सख्ती काफूर हो गई।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 11:34 AM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 11:34 AM (IST)
लॉकडाउन अंतिम विकल्प और कर्फ्यू में सख्ती काफूर; कर्फ्यू महज नाम का
कोविड कर्फ्यू के दौरान जीएमएस रोड के समीप किनारे बैठे पुलिस कर्मी।

जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोना वायरस का प्रसार हर दिन बढ़ता जा रहा है। इस महामारी के कारण हो रहीं मौत के आंकड़े भी भयावहता दिखा रहे हैं। संक्रमण की रोकथाम के लिए सख्ती जरूरी है, मगर जिस लॉकडाउन में अधिकतम प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, उसका इस्तेमाल अंतिम विकल्प के रूप में किया जाना है। फिलहाल, दून में कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है। कर्फ्यू के दूसरे चरण में दून में सभी कार्यालय बंद कर दिए गए थे, मगर फिर शासन के आदेश पर इन्हें खोल दिया गया। इस नए निर्णय के साथ ही कर्फ्यू में सख्ती काफूर हो गई। वजह है कि कौन कार्यालय जा रहा है और कौन बेवजह घूम रहा है, यह पता करना पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इसका परिणाम यह दिख रहा है कि  कर्फ्यू महज नाम का रह गया है।

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कोरोना कर्फ्यू में सिर्फ आवश्यक सेवा के प्रतिष्ठानों को ही खोलने की अनुमति है। इसका समय भी दोपहर 12 बजे तक तय किया गया है। होना यह चाहिए कि दोपहर 12 बजे के बाद कोई भी व्यक्ति अनावश्यक बाहर न घूमे। ऐसा तभी हो सकता है, जब कार्यालय भी बंद हों, क्योंकि कामकाज के नाम पर तमाम लोग दिनभर सड़कों पर धमाचौकड़ी मचा रहे हैं। इसका फायदा उठाकर जो लोग कार्यालय नहीं जा रहे, वह भी सड़कों पर निकल रहे हैं। ऐसे व्यक्तियों पर पुलिस प्रभावी अंकुश नहीं लगा पा रही है, क्योंकि हर वाहन की पड़ताल करना आसान भी नहीं है। 

दूसरी तरफ, अंतरजनपदीय आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं होने के चलते भी बेवजह घूमने वाले व्यक्तियों की पहचान नहीं हो पा रही। ऐसे उलझे हालात में पुलिस भी अनावश्यक दौड़ते वाहनों के प्रति बेपरवाह हो गई है। बस बीच-बीच में रैंडम आधार पर कुछ वाहनों की चेकिंग कर दी जाती है, मगर सख्ती नहीं दिख रही।

चौराहों पर पुलिस तैनात, मुस्तैदी नदारद

बुधवार को भी सभी चौराहों और तिराहों पर पुलिस तैनात दिखी। हालांकि, वाहनों की आवाजाही का जो आलम दोपहर 12 बजे से पहले था, लगभग वैसा ही इसके बाद भी रहा। पुलिस भी वाहनों की आवाजाही के प्रति कुछ खास सख्त नहीं दिखी। चेकिंग उसी तरह ढुलमुल रवैये से जारी रही। लालपुल, जीएमएस रोड, सेंट ज्यूड्स चौक, सहरनपुर चौक पर वाहन बेरोकटोक आते-जाते रहे।

आशारोड़ी पर दिखी सतर्कता

पुलिस की मुस्तैदी सिर्फ आशारोड़ी चेकपोस्ट पर नजर आई। यहां बाहर से आने वाले वाहनों की सख्ती से चेकिंग की जा रही थी। जिन व्यक्तियों के पास कोरोना निगेटिव रिपोर्ट नहीं थी या स्मार्ट सिटी के पोर्टल पर पंजीकरण नहीं था, उन्हें चेकपोस्ट से वापस लौटा दिया जा रहा था।

लॉकडाउन नहीं तो प्रतिबंध करने होंगे कड़े

आवश्यक वस्तुओं की खरीद के नाम पर दोपहर 12 बजे से पहले लोग मनमानी कर रहे हैं। आवश्यक वस्तुओं की खरीद के नाम पर घर से कई किलोमीटर दूर तक घूमने निकल पड़ रहे हैं। आवश्यक वस्तुओं की खरीद जरूरी है, मगर इसके लिए नियमों को थोड़ा सख्त बनाना होगा। इस तरह के प्रयास किए जाने चाहिएं कि लोग राशन, दूध, दही, पनीर, फल-सब्जी व मीट आसपास की दुकानों से ही लें। इसके लिए यह विकल्प अपनाया जा सकता है कि मुख्य सड़कों के प्रतिष्ठान बंद कर दिए जाएं और मोहल्लों की दुकानों को ही खोलने की छूट दी जाए। आज के दौर में हर मोहल्ले में सभी तरह की आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध हैं। यदि मुख्य सड़कों के प्रतिष्ठान बंद नहीं किए जा सकते तो उन्हें एक दिन छोड़कर या सप्ताह में एक दिन खोला जाए। अधिकतर बड़े स्टोर मुख्य सड़कों पर ही स्थित हैं। इन स्टोर के संचालक जरूरी वस्तुओं की होम डिलीवरी कर सकते हैं।

मोहल्लों की दुकानों का विकल्प रहेगा तो अनावश्यक मेलजोल भी घटेगा

कोरोनाकाल में मित्रगण और रिश्तेदारों से दूरी रखना ही रिश्तों को स्वस्थ बनाना है। दरअसल, तमाम लोग आवश्यक वस्तुओं की खरीद के नाम पर घर से कई किलोमीटर दूर जा रहे हैं। फिर रास्ते में मित्रगणों व रिश्तेदारों से भी मेल-मिलाप कर रहे हैं। इससे भी कोरोना का संक्रमण अनावश्यक बढ़ रहा है। इस लिहाज से भी देखें तो मोहल्लों की दुकानों से ही खरीदारी सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है।

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