स्टिंग प्रकरण में पुलिस ने बनाए 51 गवाह, जानिए पूरा मामला
स्टिंग मामले में उमेश के खिलाफ दायर करीब एक हजार पन्नों की चार्जशीट में 51 गवाहों को सूचीबद्ध किया गया है।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं और वरिष्ठ नौकरशाहों के स्टिंग की साजिश में फंसे उमेश जे कुमार के खिलाफ राजपुर पुलिस ने भले ही आरोप पत्र दाखिल कर दिया हो, लेकिन अभी इस साजिश की असल कहानी के कुछ किरदारों का राजफाश होना बाकी है। उमेश के खिलाफ दायर करीब एक हजार पन्नों की चार्जशीट में 51 गवाहों को सूचीबद्ध किया गया है। इसके बाद भी उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के निलंबित कुलपति मृत्युंजय मिश्रा समेत दो की भूमिका से पुलिस पर्दा नहीं हटा पाई है। इन दोनों की भूमिका उजागर करने के लिए राजपुर पुलिस ने एक बार फिर चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला को पत्र भेज कर उमेश के मोबाइल फोन, पेन ड्राइव और उसके घर से मिली सीडी की जांच रिपोर्ट को जल्द भेजने को कहा है।
एक निजी चैनल के इन्वेस्टिगेशन एडीटर आयुष गौड़ की ओर से बीते साल 11 अगस्त को राजपुर थाने में सीईओ उमेश जे कुमार, राहुल भाटिया, प्रवीण साहनी, सौरभ साहनी और मृत्युंजय मिश्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। इन सभी पर उत्तराखंड शासन के अपर मुख्य सचिव का स्टिंग कर सरकार को अस्थिर करने की साजिश का आरोप लगा था। मामले में पुलिस ने चैनल के मालिक उमेश जे कुमार को 29 अक्टूबर की रात गाजियाबाद से गिरफ्तार किया था। उसके आवास से पुलिस को 39 लाख रुपये कैश और स्टिंग के उपकरण भी बरामद हुए थे।
पुलिस ने चार्जशीट में दावा किया है कि अधिकारी का स्टिंग कराने में उमेश के साथ पूर्व कुलसचिव मृत्युजंय मिश्रा और चैनल के तीन अन्य कर्मचारियों ने दिल्ली में साजिश रची थी। इसका मकसद सत्तारूढ़ दल के नेताओं में बगावत कराने और अफसर से मोटी रकम वसूलना भी था। मगर मृत्युंजय मिश्रा और राहुल भाटिया की भूमिका साफ नहीं हो पाई है। फिलहाल उमेश के खिलाफ राजपुर पुलिस ने 51 गवाहों को तैयार किया है। इसमें अधिकांश उमेश की गिरफ्तारी से लेकर रिमांड के दौरान उसके घर की तलाशी लेने वाले पुलिसकर्मियों के अलावा सियासी दलों से जुड़े हुए चेहरे शामिल हैं।
प्रवीण-सौरभ के खिलाफ नहीं मिले सबूत
विवेचना के दौरान पुलिस को प्रवीण साहनी और प्रवीण साहनी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। दरअसल, चार्जशीट में पुलिस ने बताया कि आयुष गौड़ ने जिस तारीख को उमेश कुमार की ओर धमकी देने का आरोप लगाया, उस समय ये दोनों वहां थे ही नहीं। ऐसे में प्रत्यक्ष तौर पर कोई साक्ष्य न मिलने पर दोनों के नाम मुकदमे से बाहर कर दिए हैं।
फरवरी 2018 से बन रही थी प्लानिंग
आयुष गौड़ ने पुलिस को बताया था कि अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के स्टिंग की साजिश फरवरी 2018 में रची गई थी। उमेश कुमार ने उसे इसका जिम्मा सौंपा था। उमेश कुमार के साथ भांजे प्रवीण साहनी और सौरभ साहनी व राहुल भाटिया भी शामिल थे। जनवरी में उमेश ने बताया कि उसने कुछ बड़े नेताओं, ब्यूरोक्रेट्स के स्टिंग की प्लानिंग की है। 19 जनवरी को उमेश ने कहा कि उसे दिल्ली स्थित उत्तराखंड गेस्ट हाउस में मृत्युंजय मिश्रा मिलेंगे, वह अपर मुख्य सचिव से मुलाकात कराएंगे। मुलाकात के दौरान वह अपर मुख्य सचिव को किसी काम के लिए रूपये देगा, जिसकी खुफिया कैमरे में रिकॉर्डिंग कर लेगा। आठ फरवरी को मिश्रा से मुलाकात हुई।
दस फरवरी को मिश्रा से उत्तराखंड सदन में मुलाकात हुई। तय साजिश के तहत अपर मुख्य सचिव के स्टिंग के बाद उत्तराखंड के सीएम से भी मिलना था। 16 से लेकर 18 फरवरी के बीच आयुष ने सीएम से भी मिलने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इस बीच उत्तराखंड सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के परिवार के वैवाहिक समारोह में आयुष ने स्टिंग रिकॉर्डिंग की चिप उमेश कुमार को दे दी। आयुष का आरोप है कि इस दौरान उमेश कुमार उस पर जल्द स्टिंग पूरा करने का दबाव बनाता रहा।
आयुष का कहना है कि 29 अप्रैल को उमेश के देहरादून स्थित घर पर फिर मुलाकात हुई। यहां राहुल भाटिया, प्रवीण और अन्य लोग वहां मौजूद थे। उमेश ने कहा कि अभी तक कोई काम नहीं हो रहा है। एक भी राज्य का मुख्य सचिव या कोई अधिकारी फंस गया तो हमारा कोई काम नहीं रुकेगा और प्रदेश में राजनैतिक स्थिरता आ जाएगी। नेताओं में बगावत और अशांति फैलेगी। आयुष ने तहरीर में कहा कि यह सुन उसके होश उड़ गए। ऐसे में पांच मई को जब सीएम के स्टिंग के लिए उसे सीएम आवास भेजा गया तो डर के मारे उसने खुफिया कैमरे आदि बाहर गेट पर ही रख दिए। उसके साथ राहुल भाटिया भी था। स्टिंग सफल न होने जानकारी मिलने के बाद उमेश कुमार ने उसे करियर खत्म करने और उसे और उसके परिवार को जान से मारने तक की धमकी दी।
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