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मीटू प्रकरण में बयान और साक्ष्यों में विरोधाभास से उलझी पुलिस

मीटू प्रकरण मामले में पुलिस युवती के मजिस्ट्रेटी बयान और जांच में सामने आ रहे साक्ष्यों में विरोधाभास से उलझ गई है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 26 Feb 2019 03:49 PM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 03:49 PM (IST)
मीटू प्रकरण में बयान और साक्ष्यों में विरोधाभास से उलझी पुलिस
मीटू प्रकरण में बयान और साक्ष्यों में विरोधाभास से उलझी पुलिस

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड भाजपा के पूर्व प्रदेश महामंत्री संगठन संजय कुमार पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली युवती के मजिस्ट्रेटी बयान और जांच में सामने आ रहे साक्ष्यों में विरोधाभास से पुलिस उलझ गई है। पीड़िता ने जिस तारीख को दुष्कर्म किए जाने की बात बयान में कही है, उस दिन संजय कुमार की लोकेशन कहीं और है। ऐसे में पुलिस अब पीड़िता से दोबारा सच जानने की कोशिश में जुट गई है। 

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बता दें कि भाजपा नेता संजय कुमार पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगने के बाद बीती पांच जनवरी को सियासी गलियारे में हलचल तब और बढ़ गई, जब पीड़िता ने जांच अधिकारी तत्कालीन एसपी ग्रामीण सरिता डोभाल के समक्ष बयान दर्ज कराए। इसी दिन देर रात को संजय कुमार के खिलाफ शहर कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया था। मामला हाईप्रोफाइल होने के चलते महिला हेल्पलाइन की प्रभारी ज्योति चौहान को विवेचना सौंपी गई। 

इसके तीन दिन बाद यानी आठ जनवरी को पीड़िता ने विवेचक के समक्ष बयान दर्ज कराए। कानूनी पहलू से बयान को मजबूती देने के लिए दोबारा मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराये। इसके बाद विवेचक उसे लेकर कोर्ट पहुंचीं, जहां उसके बयान दर्ज किए गए। मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान में उसने दुष्कर्म किए जाने की बात भी कही थी। जिस पर मामले में दुष्कर्म की भी धारा जोड़ दी गई थी। मगर जब पुलिस बयान में कही गई बातों को क्रॉस चेक करने लगी, तो पता चला कि पीड़िता जिस रोज दुष्कर्म किए जाने की बात कह रही है, उस दिन संजय कुमार एक वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल थे। इसकी फोटो और फुटेज भी पुलिस को मिल गई है। ऐसे में प्रारंभिक विवेचना में ही इस तरह के विरोधाभासी तथ्य उभर कर सामने आने से पुलिस भी उलझ गई है कि आखिर यह माजरा क्या है। 

यह है मामला 

करीब पांच महीने पहले एक युवती ने भाजपा के पूर्व महामंत्री संगठन संजय कुमार पर फोन पर अश्लील बात करने और शारीरिक-मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी पर लगे इन आरोपों से सियासी हलके में तूफान खड़ा हो गया था और आनन-फानन में संजय कुमार को पद से हटा दिया गया था। 

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