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उत्तराखंड: परिवहन अधिकारी के विरुद्ध शिकायत पर PMO गंभीर, जानिए पूरा मामला

राज्य परिवहन मुख्यालय में तैनात एक अधिकारी पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने की शिकायत पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लेकर सरकार को जांच कराने के आदेश दिए हैं। देहरादून सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार संबंधित अधिकारी को बचाना चाह रही।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 08:52 AM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 08:52 AM (IST)
उत्तराखंड: परिवहन अधिकारी के विरुद्ध शिकायत पर PMO गंभीर, जानिए पूरा मामला
दर्शनलाल चौक स्थित अपने कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते सिटी बस यूनियन अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल। जागरण

देहरादून, जेएनएन। राज्य परिवहन मुख्यालय में तैनात एक अधिकारी पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने की शिकायत पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लेकर सरकार को जांच कराने के आदेश दिए हैं। देहरादून सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार संबंधित अधिकारी को बचाना चाह रही। इसलिए प्रधानमंत्री कार्यालय से आए आदेश पर तीन हफ्ते बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही।

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सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के आधार पर सिटी बस महासंघ के अध्यक्ष डंडरियाल ने बताया कि मौजूदा समय में परिवहन मुख्यालय में तैनात एक अधिकारी पर पिछले 22 साल में कईं गंभीर आरोप लगे हैं। कईं में उन्हें दोषी भी पाया गया, लेकिन विभाग ने कभी कार्रवाई नहीं की। डंडरियाल ने बताया कि वर्ष 1998 में जब यह अधिकारी हरिद्वार में थे, तब एक ऐसे ट्रक की फिटनेस कर दी गई, जो थाने में बंद था। 

इसके बाद वर्ष 2003 में जब यह अधिकारी ऋषिकेश में थे, उस दौरान इनके कार्यालय से फिटनेस प्राप्त एक बस बदरीनाथ मार्ग पर हादसे का शिकार हो गई थी, जिसमें 26 यात्रियों की मृत्यु हो गई थी जबकि जांच में बस अनफिट पाई गई थी। इस मामले में उक्त अधिकारी को निलंबित किया गया, लेकिन कुछ समय बाद बहाल कर दिया गया। आरोप है कि वर्ष 2017 में जब यह अधिकारी दून में तैनात थे, तब एक ही नंबर के दो ट्रक पकड़े गए, जिसमें ट्रक मालिक पर मुकदमे के बजाए चालान कर मामला रफादफा कर दिया गया।

इसके साथ ही दून आरटीओ दफ्तर में हुए पेनाल्टी घोटाले में संलिप्तता के बावजूद अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि घोटाले में दो निचले कर्मियों को निलंबित कर दिया गया था। बीते दिनों इस अधिकारी पर एक फर्जी आदेश बनाकर वायरल करने के भी आरोप लगे, लेकिन सरकार ने कार्रवाई नहीं की। इसके चलते डंडरियाल ने प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत की।

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