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Republic Day 2022: जानिए ब्रह्मकमल टोपी के बारे में, जिसे गणतंत्र दिवस पर पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने पहना

Republic Day 2022 इस बार प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की गणतंत्र दिवस 2022 की पोशाक ने सबको अपनी ओर आकर्षित किया। क्योंकि पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर रंगीन पगड़ी पहनने की परंपरा को छोड़कर ब्रह्मकमल टोपी पहनी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 12:43 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 05:34 PM (IST)
Republic Day 2022: जानिए ब्रह्मकमल टोपी के बारे में, जिसे गणतंत्र दिवस पर पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने पहना
गणतंत्र दिवस 2022 पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने उत्‍तराखंड की ब्रह्मकमल टोपी पहनी।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का देवभूमि उत्तराखंड से विशेष लगाव है और वह अक्सर इसे प्रदर्शित भी करते हैं। बुधवार को दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में नमो ने 'ब्रह्मकमल पहाड़ी टोपी पहनकर एक बार फिर देवभूमि से अपने गहरे जुड़ाव का संदेश दिया। प्रधानमंत्री के लिए यह टोपी पहाड़ों की रानी मसूरी से ही भेजी गई थी।

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प्रधानमंत्री मोदी का देवभूमि से लगाव यूं ही नहीं है। एक दौर में नमो ने केदारनाथ धाम के नजदीक ही एक गुफा में साधना की थी। बाबा केदार उनके आराध्य हैं और जब भी उन्हें अवसर मिलता है, वह केदारनाथ के दर्शनों के लिए चले आते हैं। केदारनाथ से उनके आत्मिक रिश्ते को इसी से समझा जा सकता है कि जून 2013 में जब आपदा आई, तब वह गुजरात से सीधे उत्तराखंड आए थे। तक नमो गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने केदारपुरी को संवारने का जिम्मा उन्हें सौंपने का तत्कालीन सरकार से आग्रह किया था।

प्रधानमंत्री बनने के बाद नमो ने केदारनाथ को संवारने का बीड़ा उठाया और आज उनके विजन के अनुरूप केदारपुरी नए कलेवर में निखर चुकी है। यही नहीं, उनके निर्देश पर अब केदारपुरी की तर्ज पर बदरीनाथ धाम का भी कायाकल्प करने की तैयारी है। देवभूमि से प्रधानमंत्री का कितना लगाव है, यह इससे भी समझा जा सकता है कि वह यहां सबसे अधिक बार आने वाले प्रधानमंत्रियों में हैं। उन्होंने उत्तराखंड को विकसित राज्य बनाने के दृष्टिगत नारा दिया है कि यह दशक उत्तराखंड का दशक होगा।

यही नहीं, समय-समय पर प्रधानमंत्री इस पहाड़ी राज्य से अपने जुड़ाव को प्रदर्शित करते आए हैं। बुधवार को गणतंत्र दिवस समारोह में वह 'ब्रह्मकमल टोपी पहने नजर आए। इसके माध्यम से भी उन्होंने संदेश दिया कि वह उत्तराखंड से बेहद प्यार करते हैं। इस राज्य से उनका गहरा नाता और लगाव है।

देवपुष्प व राज्य पुष्प है ब्रह्मकमल

ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। इसे देवपुष्प भी कहा जाता है। केदारनाथ धाम में ब्रह्मकमल से पूजा संपन्न होती है। यह पुष्प 11 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में बहुतायत में पाया जाता है। इसी पुष्प के नाम पर टोपी का नामकरण भी किया गया है।

मसूरी में लांच हुई 'ब्रह्मकमल पहाड़ी टोपी

प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस पर जो 'ब्रह्मकमल पहाड़ी टोपी पहनी, वह पहाड़ों की रानी मसूरी में तैयार हुई। वर्ष 2017 में उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर नौ नवंबर को इसे लांच किया गया था। इस टोपी को लांच करने वाले समीर शुक्ला बताते हैं कि उत्तराखंड में सर्वमान्य टोपी नहीं थी। हर क्षेत्र में अलग-अलग टोपियां पहनी जा रही हैं। ऐसे में विचार आया कि राज्य की पहचान के तौर पर ऐसी टोपी तैयार की जाए, जिसमें परंपरा तो समाहित हो ही, वह आधुनिकता का पुट लिए भी हो। इसी क्रम में कई रंगों व अच्छे कपड़े से यह टोपी बनाई गई। शुक्ला बताते हैं कि यह टोपी मसूरी के दर्जी जगतदास ने बनाई। नौ नवंबर 2017 को मसूरी में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें सबसे पहले यह टोपी पहनाकर सम्मानित किया गया। मसूरी में संग्रहालय चलाने वाले शुक्ला बताते हैं कि चूंकि केदारनाथ में पूजा ब्रह्कमल से होती है और यह उत्तराखंड का राज्यपुष्प भी है। इन्हीं दो विशेषताओं को देखते हुए इसे ब्रह्मकमल पहाड़ी टोपी नाम दिया गया है।

पवित्रता और शुभ का प्रतीक

ब्रह्मकमल को पवित्रता और शुभ का प्रतीक माना गया है। यह फूल भगवान शिव को भी बहुत पसंद है। सावन के महीने में भक्त ब्रह्मकमल से ही भगवान शिव की पूजा करते हैं। केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में पूजा के लिए भी इसका इस्‍तेमाल किया जाता है। पिछले दिनों केदारनाथ धाम में दर्शनों के लिए आए प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भी ब्रह़मकमल से पूजा की थी। ब्रह्मकमल का वैज्ञानिक नाम सोसेरिया ओबोवेलाटा है। यह फूल 15 से 50 सेमी ऊंचे पौधों पर वर्ष में केवल एक ही बार खिलता है, वह भी सूर्यास्त के बाद। मध्य रात्रि के बाद यह फूल अपने पूरे यौवन पर होता है।

यह है मान्‍यता

मान्यता है कि जब भगवान विष्णु हिमालयी क्षेत्र में आए तो उन्होंने भगवान भोलेनाथ को एक हजार ब्रह्मकमल अर्पित किए। किसी कारण एक पुष्प की कमी पड़ गई। तब भगवान विष्णु ने पुष्प के रूप में अपनी एक आंख भोलेनाथ को ब्रह्मकमल दी। तभी से भोलेनाथ का एक नाम ‘कमलेश्वर’ व विष्णु जी का ‘कमल नयन’ पड़ा।

मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को उत्‍तराखंड से विशेष लगाव है, गणतंत्र दिवस समारोह में उन्‍होंने ब्रहमकमल से सुसज्जित टोपी धारण कर उत्‍तराखंड की संस्‍कृति और परंपरा को गौरवान्वित किया है।

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