World Environment Day: पर्यावरण की सेहत महफूज रखने को चलाया जाएगा जनजागरण अभियान
सच्चिदानंद भारती आने वाले दिनों में पौड़ी जिले के बीरोंखाल और थलीसैण क्षेत्रों में जनजागरण अभियान चलाएंगे। इसका उन्होंने संकल्प लिया है।
By Edited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 07:57 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 11:08 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। पाणी राखो आंदोलन के प्रणेता और उत्तराखंड के जलपुरुष के नाम से प्रसिद्ध सच्चिदानंद भारती का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण को जरूरी है कि हम प्रकृति को समझें और ऐसे कार्य न करें, जिससे उसे किसी प्रकार का नुकसान न हो। मौजूदा परिस्थितियों ने भी हमें यह सीख दी है।
मनुष्य और प्रकृति के बीच बेहतर तालमेल होगा तो पर्यावरण की सेहत महफूज रहेगी। इस सबको देखते हुए भारती आने वाले दिनों में पौड़ी जिले के बीरोंखाल और थलीसैण क्षेत्रों में जनजागरण अभियान चलाएंगे। इसका उन्होंने संकल्प लिया है। पर्यावरणविद् भारती के प्रयासों से पौड़ी जिले के उफरैंखाल कस्बे से लगी सूखी पहाड़ी न सिर्फ हरे-भरे जंगल में तब्दील हुई, बल्कि वर्षा जल संरक्षण को वहां बनाई गई जल जलैंयों के बूते पहाड़ी से निकलने वाली बरसाती नदी सदानीरा में तब्दील हो गई।
इसे नाम दिया गया है 'गाडगंगा' और क्षेत्र के तमाम गांवों के लोग इस नदी के जल को पीने के उपयोग में ला रहे हैं। यहीं से उन्हें उत्तराखंड के जल पुरुष के रूप में जाना जाने लगा। भारती हर साल क्षेत्र में वर्षा जल संरक्षण के मद्देनजर जल तलैया (बारिश की बूंदों को सहेजने के लिए छोटे-बड़े तालाबनुमा गड्ढे) महिला व युवक मंगल दलों के सहयोग से बनाते हैं। वह बताते हैं कि इस बार क्षेत्र में करीब सौ जल तलैया का निर्माण कराया जाएगा। इसके अलावा जल संरक्षण में सहायक 10 हजार पौधे लगाए जाएंगे।
औषधीय पौधे भी बांटेंगे पर्यावरणविद् भारती बताते हैं कि इस साल के आखिर तक वह क्षेत्र के गांवों में गिलोय, बेल, आंवला, तुलसी जैसे औषधीय महत्व के पौधे लोगों को निरंतर वितरित करेंगे। इसके साथ ही अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक क्षेत्र के गांवों में जाकर महिला व युवक मंगल दलों के साथ बैठकें की जाएंगी, जिससे वे पर्यावरण संरक्षण में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर सकें।
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