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Uttarakhand Lockdown: इन उद्योंगों को मिली छूट, जारी रहेगा उत्पाद; जानिए

उत्तराखंड में लॉकडाउन के दौरान अति आवश्यक सेवाओं वाले उद्योगों में उत्पादन जारी रहेगा। इसमें फार्मास्युटिकल और मेडिकल उपकरण बनाने वाले उद्योग भी शामिल हैं।

By Edited By: Published: Tue, 24 Mar 2020 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 24 Mar 2020 02:52 PM (IST)
Uttarakhand Lockdown: इन उद्योंगों को मिली छूट, जारी रहेगा उत्पाद; जानिए
Uttarakhand Lockdown: इन उद्योंगों को मिली छूट, जारी रहेगा उत्पाद; जानिए

देहरादून, जेएनएन। लॉकडाउन के दौरान अति आवश्यक सेवाओं वाले उद्योगों में उत्पादन जारी रहेगा। इसमें फार्मास्युटिकल और मेडिकल उपकरण बनाने वाले उद्योग भी शामिल हैं। इस बाबत उत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन को सचिव नितेश कुमार झा का निर्देश पत्र प्राप्त हो गया है, जिसमें फार्मा उद्योगों को लॉकडाउन से छूट दी गई है।

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उत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन के निर्णय के बाद उन्होंने तत्काल मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से दूरभाष पर संपर्क किया। मुख्य सचिव ने आश्वस्त किया कि प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में ऐसे फार्मा उद्योग लॉकडाउन से प्रभावित नहीं होंगे, जिनमें सैनिटाइजर, मास्क, एंटीबायोटिक दवाओं और मेडिकल उपकरणों का उत्पादन होता है। 

इसमें दवाओं की पैकेजिंग का सामान तैयार करने वाली कंपनी भी शामिल हैं। अन्य उद्योगों में लॉकडाउन प्रभावी रहेगा। प्रदेश में 351 फार्मा इकाइयां उत्तराखंड में सेलाकुई, मोहब्बेवाला, देहरादून, हरिद्वार, काशीपुर, सितारगंज आदि औद्योगिक क्षेत्रों में छोटी-बड़ी 351 फार्मास्युटिकल इकाइयां हैं। जिनमें मेडिकल किट से लेकर सेनिटाइजर और दवाओं का उत्पादन होता है। उद्योग संघ के एक अनुमान के अनुसार राज्य में प्रति माह करीब 100 करोड़ की दवाओं का उत्पादन होता है। 
इनकी सप्लाई चीन और खाड़ी देशों के साथ ही पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली आदि राज्यों में होती है। कामगारों के समक्ष रोटी का संकट प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर की 65 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं। जिनसे करीब 3.58 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिला है। फार्मा उद्योगों को छोड़कर अन्य इकाइयां फिलहाल 31 मार्च तक बंद रहेंगी। सरकार ने पंजीकृत कामगारों को तो राहत देते हुए एक हजार रुपये देने का निर्णय लिया है। लेकिन, इस स्थिति में ठेकेदार के माध्यम से काम करने वाले मजदूरों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो सकता है।

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