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पशुलोक में स्थानीय लोगों ने रुकवाया नमामि गंगे परियोजना का काम, जानिए वजह

पशुलोक में स्थानीय लोगों ने नमामि गंगे परियोजना का काम रुकवा दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि कार्यदायी संस्था ने उनकी सिंचाई नहर तोड़ दी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 08:02 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 08:02 PM (IST)
पशुलोक में स्थानीय लोगों ने रुकवाया नमामि गंगे परियोजना का काम, जानिए वजह
पशुलोक में स्थानीय लोगों ने रुकवाया नमामि गंगे परियोजना का काम, जानिए वजह

ऋषिकेश, जेएनएन। विस्थापित क्षेत्र पशुलोक में स्थानीय लोगों ने नमामि गंगे परियोजना का काम रुकवा दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि कार्यदायी संस्था ने उनकी सिंचाई नहर तोड़ दी है और नहर बनाने के नाम पर टालमटोल कर रही है। नहर के क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीण रोपाई भी नहीं कर पा रहे हैं।

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नमामि गंगे परियोजना के तहत ऋषिकेश से लक्कड़ घाट तक सीवर की राइजिंग लाइन बिछाई जा रही है। विस्थापित क्षेत्र पशुलोक में जहां इस लाइन पर काम चल रहा है, वहां से विस्थापित क्षेत्र की सिंचाई नहर भी गुजरती है। सीवर लाइन की खुदाई के चलते यहां सिंचाई नहर का करीब डेढ़ किलो मीटर हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। जगह-जगह नहर पर दरार आने के कारण पानी का रिसाव हो रहा है और खेतों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। विस्थापित लंबे समय से कार्यदायी संस्था पेयजल निगम गंगा विंग से सिंचाई नहर की मरम्मत की मांग करते आ रहे हैं। 

इस समस्या को लेकर विस्थापित समन्वय समिति विधानसभा अध्यक्ष से लेकर तमाम प्रशासनिक अधिकारियों से भी शिकायत कर चुके हैं। पूर्व प्रधान हरि सिंह भंडारी ने बताया कि कार्यदाई संस्था के अधिकारी नहर के निर्माण को लेकर लगातार टालमटोल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सिंचाई नहर ही नहीं बल्कि पेयजल लाइन भी नमामि गंगे के कार्य से क्षतिग्रस्त हो चुकी है, जिससे विस्थापित परेशानी झेल रहे हैं। उन्होंने बताया कि सिंचाई नहर के क्षतिग्रस्त होने से अभी तक क्षेत्र में रोपाई भी शुरू नहीं हो पाई है। 

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पानी के अभाव में धान की पौध खेतों में ही खराब हो रही है। उन्होंने बताया कि वह पहले ही कार्यदाई संस्था को चेतावनी दे चुके थे। मगर, बावजूद इसके कार्यदाई संस्था ने नहर को दुरुस्त करने के बजाए काम शुरू कर दिया, जिससे ग्रामीणों ने रोक दिया है। इस अवसर पर प्रेमचंद बुटोला, राजेंद्र कुमार, प्रदीप पडियार, प्रेमलाल मैठाणी, जगदंबा सेमवाल, प्रवीण थपलियाल, कृपाल सिंह राणा, भीम सिंह पंवार आदि मौजूद थे।

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