चावल की सब्सिडी में नहीं उपभोक्ताओं की रुचि
चर्चा में रही राज्य खाद्यान्न योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी कुछ माह बाद ही दम तोड़ने लगी है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: चर्चा में रही राज्य खाद्य सुरक्षा योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी कुछ माह बाद ही बंदी की कगार पर पहुंचने लगी है। योजना में ढाई किलो चावल के बजाय 75 रुपये की सब्सिडी दी जाती है। लेकिन, यह सब्सिडी मामूली होने के कारण खाते से निकालने में भी दिक्कत होती है। इसलिए उपभोक्ता भी सब्सिडी में रुचि नहीं ले रहे हैं। शायद इस बात का आभास विभाग को भी होने लगा है, इसलिए पिछले कई महीनों से योजना की रफ्तार सुस्त होती नजर आ रही है।
दरअसल, राज्य खाद्य सुरक्षा योजना में प्रति कार्ड पांच किलो गेहूं और ढाई किलो चावल दिया जाता है। गेहूं 8.60 रुपये और चावल पांच रुपये प्रति किलो की दर से मिलता है। इसमें विभाग ने इसी वर्ष के शुरुआत से चावल के बजाय सब्सिडी देने की योजना बनाई थी। सब्सिडी के रूप में 75 रुपये सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खाते में पहुंचते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा के परिवारों को बैंक खाते से जोड़ना था। लेकिन, यह सब्सिडी योजना शुरू से ही उपभोक्ताओं को रास नहीं आ रही है। हालांकि विभागीय अधिकारी योजना का संचालन नहीं होने के पीछे राशन कार्डो में बैंक खाता लिंक न होना बता रहे हैं। जिला पूर्ति अधिकारी विपिन कुमार ने कहा कि योजना का संचालन हो रहा है। लेकिन, बैंक खाते लिंक नहीं होने के कारण सब्सिडी बैंक खाते में नहीं आ पा रही है।
नुकसान का सौदा है सब्सिडी
उपभोक्ताओं का कहना है कि सब्सिडी बेहद मामूली है, जबकि चावल का उपभोक्ता घर में उपयोग करते हैं। इससे उन्हें बाजार से महंगी दरों पर चावल खरीदना नहीं पड़ता। सब्सिडी की राशि मामूली होने के कारण निकासी नहीं हो पाती। सब्सिडी से उन्हें कोई फायदा नहीं होता है।