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रोजेदारों ने बेजुबानों के लिए किया पानी का इंतजाम, सूखे तालाब को फिर पानी से भरा

केदारवाला में रोजेदारों ने बेजुबानों की प्यास बुझाने के लिए सूखे तालाब को फिर पानी से लबालब कर दिया। यह तालाब सहसपुर विस के अंतर्गत चांदपुर के जंगल में है।

By Edited By: Published: Tue, 26 May 2020 01:41 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 08:03 PM (IST)
रोजेदारों ने बेजुबानों के लिए किया पानी का इंतजाम, सूखे तालाब को फिर पानी से भरा
रोजेदारों ने बेजुबानों के लिए किया पानी का इंतजाम, सूखे तालाब को फिर पानी से भरा

विकासनगर, जेएनएन। इस्लाम में रमजान को इबादत का महीना माना गया है। कहते हैं कि माह-ए-रमजान में नेक काम करने पर अल्लाह अपने बंदों की हर मुराद पूरी करता है। जबकि ईद-उल-फितर का मतलब खुशी और दान से है। यही वजह है कि ईद के मौके पर केदारवाला में रोजेदारों ने बेजुबानों की प्यास बुझाने के लिए सूखे तालाब को फिर पानी से लबालब कर दिया। यह तालाब सहसपुर विस के अंतर्गत चांदपुर के जंगल में है।

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सोमवार को ईद की नमाज अदा करने के बाद केदारवाला के रोजेदार टैंकर लेकर वहां पहुंचे और तालाब की सफाई करने के बाद उसे पानी से भर दिया। रोजेदारों का कहना था कि लगातार गर्मी बढ़ने से जंगलों में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है। ऐसे में पशु-पक्षियों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। 

इसी को देखते हुए उन्होंने तालाब को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया। इस दौरान पूरी तरह शारीरिक दूरी के नियमों का पालन किया गया। रोजेदारों ने बताया कि इस तालाब को आगे भी वो समय-समय पर भरते रहेंगे। उन्होंने वन विभाग से यहां पक्का तालाब बनाने की भी मांग की। ग्रामीणों ने कहा कि सिर्फ ईद या रमजान में ही नहीं बल्कि लोगों को नेक काम के लिए हमेशा आगे आना चाहिए।

वर्तमान में कोरोना महामारी के कारण कई लोगों के पास खाने के लिए भोजन नहीं है। ऐसे में हम सभी को गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए। तालाब भरने के कार्य में मुख्य रूप से केदारवाला के सामाजिक कार्यकर्ता फिरोज खान, मोहम्मद इकबाल, अब्दुल हसन, मो.इल्ताफ, जावेद अली आदि ने सहयोग किया।

लॉकडाउन से आसन झील में पसरा सन्नाटा

कोरोना महामारी ने पर्यटन व्यवसाय को पूरी तरह से चौपट कर दिया है। लॉकडाउन के चलते जीएमवीएन के आसन पर्यटन स्थल पर पर्यटक नदारद हैं। इन दिनों आसन झील में बोटिंग व भ्रमण पर प्रतिबंद होने से गढ़वाल मंडल विकास निगम प्रबंधन को लाखों का घाटा हो चुका है। जीएमवीएन के आसन पर्यटन स्थल पर प्रबंधक समेत 12 कर्मचारियों का वेतन तक नहीं निकल पा रहा है। मार्च से जून तक बोटिंग व रेस्टोरेंट से जीएमवीएन पंद्रह से बीस लाख रुपये तक कमी आमदनी कर लेता था। कोरोना महामारी ने पर्यटन व्यवसाय को बुरी तरह से प्रभावित किया है। जौनसार बावर के पर्यटन स्थल सूने पड़े हैं। लोकल पर्यटक तक दूरी बना रहा है। 

आसन झील में बोटिंग के लिए गर्मी में काफी संख्या में पर्यटक रोजाना आते थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते पर्यटक नदारद हैं। जीएमवीएन को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जीएमवीएन के आसन पर्यटन स्थल पर बोटिंग के साथ ही रेंस्टोरेंट व रहने के लिए कॉटेज आदि की सुविधाएं हैं। शांत वातावरण व झील का सौंदर्य देखने और बोटिंग करने को हर साल भारी संख्या में पर्यटक उमड़ते थे, लेकिन इस बार सन्नाटा पसरा हुआ है। बोटिंग समेत सभी सुविधाएं बंद पड़ी हैं।

जीएमवीएन के आसन पर्यटन स्थल के प्रबंधक विश्वनाथ बेंजवाल के अनुसार मार्च से जून माह में आने वाले पर्यटकों से ही जीएमवीएन को 15 से बीस लाख रुपये की आमदनी हो जाती थी, क्योंकि गर्मी के ये चार माह में ही सबसे अधिक पर्यटक आते थे, सालभर का औसत इन चार महीनों में निकल जाता था, लेकिन कोरोना महामारी ने पर्यटन व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित किया है। जिसके लंबे समय बाद पटरी पर आने की उम्मीद है।

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