बार्डर पैदल पार कर रहे उत्तर प्रदेश से पहुंचे यात्री
विकासनगर सहारनपुर-विकासनगर बस सेवा के संचालित नहीं होने से यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यात्री राज्य में प्रवेश के लिए पैदल चल रहे हैं इसके बाद उन्हें ई रिक्शा या अन्य साधन लेना पड़ रहा है।
संवाद सहयोगी, विकासनगर: सहारनपुर-विकासनगर बस सेवा के संचालित नहीं होने से यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश में प्राइवेट यात्री बसों के संचालन को मिली छूट के चलते सभी बसें उत्तराखंड के दर्रारीट बार्डर पर आकर सवारियों को छोड़ जा रही हैं, जहां से तमाम यात्री पैदल बार्डर पार करके प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं। इसके बाद यात्रियों का आगे का सफर ई रिक्शा, बाइक व अन्य साधनों से तय करना पड़ रहा है।
कोरोना महामारी की वजह से मार्च में हुए लॉकडाउन से अब तक विकासनगर से सहारनपुर के लिए प्राइवेट बसों का संचालन शुरू नहीं हो पाया है। जिससे प्राइवेट बस मालिक, चालक व परिचालकों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से डांवाडोल हो गई है। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राइवेट व रोडवेज बसों के संचालन को छूट दे दी है। इससे सहारनपुर से विकासनगर के लिए चलने वाली बसें सिर्फ उत्तराखंड बार्डर के दर्रारीट चेकपोस्ट तक ही आ पा रही हैं, उसके बाद बसों को उत्तराखंड बार्डर से प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। विकासनगर-सहारनपुर बस सेवा का विधिवत संचालन नहीं होने के कारण यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश में सहारनपुर से आने वाली यात्री बसों को प्रवेश की अनुमति नहीं होने के चलते बसें दर्रारीट बार्डर तक ही सवारियां लेकर आ रही हैं। जहां से यात्री पैदल बार्डर को पार करके उत्तराखंड में प्रवेश कर रहे हैं। उत्तराखंड बार्डर को पार करके थोड़ा पैदल चलने के बाद उनके सामने ई रिक्शा, बाईक व अपने अन्य यातायात साधनों से अपने गंतव्यों तक जाना पड़ रहा है। सहारनपुर-विकासनगर बस यूनियन के स्थानीय प्रभारी मुनीर अहमद का कहना है कि सरकार को प्राइवेट बसों के लिए बार्डर खोल देना चाहिए। सहारनपुर से बसें सिर्फ बार्डर तक आ पा रही हैं, जिससे यात्रियों की दुश्वारियां बढ़ गई है। वहीं यात्रियों को अधिक समय व अतिरिक्त खर्च भी करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश से बसें सीमा तक आ रही हैं, ठीक उसी प्रकार उत्तराखंड से भी बसों का संचालन बार्डर तक किया जाना चाहिए। इससे यात्रियों को आर्थिक व मानसिक परेशानियां न उठानी पड़े और बस मालिकों की आर्थिकी भी सुधर सके।