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Coronavirus: उत्तराखंड में पंचायतों को पहली बार मिलेगा कोरोना के लिए फंड

क्वारंटाइन केंद्रों और उनमें प्रवासियों के लिए जरूरी व्यवस्थाओं से जूझ रही प्रदेश की 7791 ग्राम पंचायतों को राहत मिलने जा रही है। इनको पहली बार कोरोना के लिए फंड को मंजूरी दी गई।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 12:38 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 12:38 PM (IST)
Coronavirus: उत्तराखंड में पंचायतों को पहली बार मिलेगा कोरोना के लिए फंड
Coronavirus: उत्तराखंड में पंचायतों को पहली बार मिलेगा कोरोना के लिए फंड

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। क्वारंटाइन केंद्रों और उनमें प्रवासियों के लिए जरूरी व्यवस्थाओं से जूझ रही प्रदेश की 7791 ग्राम पंचायतों को राहत मिलने जा रही है। इन ग्राम पंचायतों को पहली बार कोरोना के लिए फंड को मंजूरी दी गई है। 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों से मिलने वाली अनुदान राशि का 20 फीसद या इससे ज्यादा धन पंचायतें कोरोना से बचाव पर खर्च कर सकेंगी। अनुदान की पहली किस्त के रूप में ग्राम पंचायतों और क्षेत्र पंचायतों पर करीब 50 करोड़ की धनवर्षा होने जा रही है। 

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प्रदेश सरकार अन्य प्रदेशों से वापसी कर रहे प्रवासियों के लिए क्वारंटाइन केंद्र बनाने का हुक्म ग्राम पंचायतों को सुना चुकी है। हालांकि, इसके एवज में उन्हें पहले कोई वित्तीय मदद नहीं दी जा सकी थी। बाद में इस मामले में आवाजें उठने पर सरकार ने जिलाधिकारियों को क्वारंटाइन केंद्रों में फौरी व्यवस्थाएं जुटाने के लिए ग्राम प्रधान को 10 हजार रुपये की वित्तीय मदद देने के आदेश जिलाधिकारियों को दिए। 

हकीकत ये है कि सरकार के इस आदेश के बावजूद ग्राम प्रधानों को जिलाधिकारियों से उक्त धनराशि नहीं मिल पा रही है। हालांकि क्वारंटाइन केंद्रों का खर्च मुख्यमंत्री राहत कोष से वहन किया जाएगा। इसका आदेश सरकार जारी कर चुकी है।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ग्राम पंचायतों और प्रधानों के कोरोना से जंग में योगदान को सराह चुके हैं। अब प्रदेश सरकार ने ग्राम पंचायतों की कोरोना से लड़ाई में आर्थिक दिक्कत दूर कर दी है। ये पंचायतों अब 15वें वित्त आयोग की सिफारिश के मुताबिक मिलने वाली अनुदान राशि का 20 फीसद या इससे अधिक कोरोना से बचाव को जरूरी बंदोबस्त पर खर्च कर सकेंगे।

इस संबंध में प्रस्ताव को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का अनुमोदन मिल चुका है। अनुदान राशि को सबसे पहले पंचायत प्रतिनिधियों के मानदेय पर खर्च किया जाएगा। इसके बाद शेष धनराशि में से 20 फीसद को कोरोना से जनजागरूकता, बचाव के उपाय और क्वारंटाइन केंद्रों पर भी खर्च किया जा सकेगा। 

15वें वित्त आयोग की सिफारिश के मुताबिक ग्राम पंचायतों को 28.50 करोड़ व 95 क्षेत्र पंचायतों को 21.25 करोड़ की धनराशि जल्द जारी की जा रही है। जिला पंचायतों को बीती 21 अप्रैल को धन दिया जा चुका है। वित्त सचिव अमित नेगी ने कहा कि पंचायतों को उक्त फंड मिलने से कोरोना से बचाव के उपाय करने में उन्हें मदद मिलेगी। 

ग्राम पंचायतों को 75 फीसद अनुदान के आदेश

प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायतों के अनुदान में ग्राम पंचायतों की हिस्सेदारी 75 फीसद होगी। वहीं क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत की हिस्सेदारी क्रमश: 10 फीसद व 15 फीसद होगी। वहीं अब शहरी निकायों के अनुदान में से 3.54 फीसद छावनी बोर्ड को मिलेगा। वित्त सचिव अमित नेगी ने इस संबंध में आदेश जारी किए। 

मंत्रिमंडल ने बीती 21 मई को 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए त्रिस्तरीय पंचायतों, स्थानीय निकायों और छावनी बोर्डों के लिए अनुदान हिस्सेदारी तय की। मंत्रिमंडल के फैसले के बाद उक्त संबंध में वित्त सचिव ने नई हिस्सेदारी को लेकर शहरी विकास सचिव और पंचायतीराज सचिव को आदेश जारी किए। 

15वें वित्त आयोग ने चालू वित्तीय वर्ष में कुल 852 करोड़ अनुदान में पंचायतों और शहरी निकायों की हिस्सेदारी क्रमश: 67.5 फीसद और 32.5 फीसद तय की है। पंचायतीराज संस्थाओं को 574 करोड़ और शहरी निकायों को 278 करोड़ मिलेगा। 

त्रिस्तरीय पंचायतों को मिलने वाले अनुदान में ग्राम पंचायतों को पिछले राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों की तुलना में 40 फीसद ज्यादा अनुदान मिलेगा। नई हिस्सेदारी के अनुसार ग्राम पंचायतों को 75 फीसद अब उन्हें मिलेगा। उनकी हिस्सेदारी में 40 फीसद का इजाफा हुआ है।

क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों की मौजूदा हिस्सेदारी क्रमश: 20 फीसद और 25 फीसद घट तो गई, लेकिन उन्हें भी फायदा मिला है। दरअसल 14वें वित्त आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायतों में से सिर्फ ग्राम पंचायतों के लिए ही अनुदान की सिफारिश की थी। 15वें वित्त आयोग के समक्ष क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के प्रतिनिधियों ने अपना पक्ष रखा था। इसके बाद आयोग ने अनुदान में क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों की हिस्सेदारी भी तय कर दी।  

छावनी बोर्डों को भी मिलेगा अनुदान

इसीतरह राज्य में पहली बार छावनी बोर्डों को भी राज्य सरकार के शहरी निकायों के खाते में से अनुदान मिलेगा। 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर जनसंख्या और क्षेत्रफल के आधार पर राज्य के करीब नौ छावनी बोर्डों की हिस्सेदारी 3.54 फीसद तय की गई है। छावनी बोर्ड को कुल शहरी निकायों को मिलने वाली 278 करोड़ राशि में से इस साल 9.8 करोड़ मिलेंगे। यह राशि छावनी बोर्डों को मिलेगी। 

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7791 ग्राम पंचायतों को मिलेंगे 430.50 करोड़

सरकार के आदेश के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष के अनुदान के लिए तय की गई नई हिस्सेदारी में से प्रदेश की 7791 ग्राम पंचायतों को करीब 430.5 करोड़, 95 क्षेत्र पंचायतों को 57.4 करोड़ और 13 जिला पंचायतों को 86.1 करोड़ मिलेगा।

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