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पंचायत चुनावः ढाई साल बाद भी कांग्रेस इंच-इंच संघर्ष को मजबूर

उत्तराखंड कांग्रेस को प्रदेश में अपनी खोई हुई सियासी जमीन को इंच-इंच हासिल करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में यह साबित हो गया।

By Edited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 09:41 PM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 10:44 AM (IST)
पंचायत चुनावः ढाई साल बाद भी कांग्रेस इंच-इंच संघर्ष को मजबूर
पंचायत चुनावः ढाई साल बाद भी कांग्रेस इंच-इंच संघर्ष को मजबूर

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। उत्तराखंड कांग्रेस को प्रदेश में अपनी खोई हुई सियासी जमीन को इंच-इंच हासिल करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के सबसे आखिर में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में यह साबित हो गया। 

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हरिद्वार को छोड़कर राज्य के कुल 12 जिलों में हुए ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव में 31 फीसद सीटों पर काबिज होने वाली कांग्रेस जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 25 फीसद तक सिमट गई। विधानसभा में कुल करीब 16 फीसद तक सिमट चुकी कांग्रेस को ढाई साल बाद हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी वजूद बचाने के लिए लड़ना पड़ रहा है। 

विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार मिलने के बाद पहले नगर निकाय और अब पंचायत चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस को कुछ हद तक राहत पहुंचा दी है। हालांकि पार्टी के लिए अब भी अपनी सियासी जमीन को वापस पाना सबसे बड़ी चुनौती बनी है। तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत से सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार की व्यूह रचना के जवाब में कांग्रेस को बैकफुट पर खेलकर अपने किले बचाने पड़े। 

जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर 12 जिलों में हुए चुनाव में तीन जिलों उत्तरकाशी, चमोली और अल्मोड़ा में कांग्रेस को विजयश्री मिल तो गई, लेकिन इसमें पार्टी के क्षेत्रीय नेताओं की ओर से झोंकी गई ताकत की अहम भूमिका रही है। नगर निकाय की तर्ज पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी आम सहमति से प्रत्याशी चुनने की कांग्रेस की रणनीति कुछ हद तक कारगर साबित हो गई।

गढ़ में कांग्रेस को भाजपा की चुनौती पंचायतों में कांग्रेस का पारंपरिक बड़ा जनाधार रहा है, लेकिन बड़े बहुमत से सत्ता की सीढ़ी चढ़ने में सफल रही भाजपा ने पंचायतों में भी कांग्रेस के सामने चुनौती पेश कर दी है। क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायत सदस्यों में कांग्रेस समर्थित और उसकी विचारधारा से जुड़े सदस्यों को बतौर निर्दल जिसतरह जीत मिली, उसे ब्लॉक प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों की सीटों में तब्दील करने में पार्टी की रणनीति को सीमित कामयाबी ही मिल पाई। 

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नतीजे भाजपा के लिए आईनाः प्रीतम 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने पंचायत चुनाव के नतीजों को भाजपा सरकार के लिए आईना करार दिया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में किए गए वायदे पूरे नहीं करने की वजह से जनता ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा को जवाब दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की कथनी और करनी में बहुत अन्तर है। उसकी नीतियों से समाज का प्रत्येक वर्ग आहत है।

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