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फिर से महक बिखेरेगी दून की बासमति, किसानों को मिलेंगे जैविक बीज

अपनी महक के लिए देश-विदेशों में प्रसिद्ध देहरादून की बासमती का व्यवसायिक उत्पादन आसान हो गया है। जीबी पंत विश्वविद्यालय ने इसका जैविक बीज तैयार कर ओपन मार्केट में उपल्ध करा दिए।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 12:42 PM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 08:26 PM (IST)
फिर से महक बिखेरेगी दून की बासमति, किसानों को मिलेंगे जैविक बीज
फिर से महक बिखेरेगी दून की बासमति, किसानों को मिलेंगे जैविक बीज

देहरादून, जेएनएन। अपनी महक के लिए देश-विदेशों में प्रसिद्ध देहरादून की बासमती का व्यवसायिक उत्पादन आसान हो गया है। गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर ने दून बासमती का जैविक प्रजनक बीज (सीड) तैयार कर ओपन मार्केट में निजी कंपनी को उपलब्ध करवा दिया है।

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बढ़ते औद्योगिकरण के चलते दून बासमती देहरादून से लगभग समाप्त हो गई थी, लेकिन पंतनगर विवि ने करीब 10 कुंतल प्रजनक बीज तैयार कर प्रमाणीकरण के बाद कृषकों को उपलब्ध करवा दिया हैं। इसमें से साढ़े तीन कुंतल जैविक बीच शामिल है। विवि के बीज विभाग के अनुसार दून बासमती की 'टाइप-थ्री' नब्बे के दशक तक देशभर में प्रसिद्ध थी। यह धीरे-धीरे कम होती गई। आज इसका उत्पादन लगभग समाप्त होने की कगार पर है। 

विवि ने पिछले तीन सालों से बासमती धान की 'टाइप-थ्री' पर शोध किया और इसे जैविक रूप में तैयार किया है। विवि के प्रयोगशाला में इस पर शोध पूरा होने के बाद प्रजनक बीज का टेस्टिंग उत्पादन भी किया जा चुका है। अब विवि ने प्रथम चरण में दस कुंतल बीज निजी कंपनी को दिया है। इसके बाद जैसे-जैसे डिमांड आएगी विवि प्रमाणिक सरकार बीज निगम व अन्य निजी बीज कंपनियों को उपलब्ध करवाती रहेगी।

छह हजार से 11 एकड़ में सिमटी बासमती

बीज प्रमाणीकरण कंपनियों की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 1981 तक देहरादून जिले में करीब छह हजार एकड़ में दून बासमती की पैदावार की जाती थी। जो वर्ष 1990 में घटकर दो सौ एकड़ रह गई। वर्ष 2010 आते-आते यह केवल 55 एकड़ में बची रह गई। वर्ष 2019 में मात्र 11 एकड़ के आसपास खेती में ही दून बासमती उगाई जाती है। जो बासमती उगाई भी जा रही है उसमें टाइप थ्री दून बासमती बेहद कम है।

जीबी पंत विवि पंतनगर की संयुक्त निदेशक (सीड) डॉ. प्रभा शंकर शुक्ला के अनुसार गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर में दून बासमती की टाइप थ्री का जैविक प्रजनक सीड का व्यवसायिक उत्पादन शुरू कर दिया है। देहरादून सहित प्रदेश में बीज की बेहद डिमांड है। दून बासमती की देश में अपनी एक अलग पहचान है। इसी पहचान को बनाए रखने के लिए विवि ने कार्य किया। जिस निजी कंपनी को 10 कुंतल बासमती सीड उपलब्ध करवाया गया है। करीब साढ़े तीन सौ हेक्टयेर में दून बासमती का उत्पादन हो सकता है।

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विवि में 6000 कुंतल बीज उत्पादन

जीबी पंतनगर विवि के करीब छह सौ एकड़ कृषि फार्म में प्रतिवर्ष छह हजार कुंतल प्रजनक बीज तैयार होता है। जो देश के 18 राज्यों को निर्यात किया जाता है। जिनमें गेहूं, धान, गन्ना, तिलहन, दलहल आदि के बीज शामिल हैं। विवि की ओर से हिमाचल, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, असम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ तमिलनाडु, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों को बीज उपलब्ध करवाया जाता है। विवि में बीज प्रमाणीकरण की डीएनए फिंगर प्रिंट प्रयोगशाला भी है।

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