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बीएमपी-दो टैंक से घुप्प अंधेरे में भी नहीं बचेंगे दुश्मन, ऑर्डनेंस फैक्ट्री ने आत्मनिर्भर भारत के तहत विकसित की नाइट साइट

ऑर्डनेंस फैक्ट्री देहरादून (ओएफडी) व ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री (ओएलएफ) सेना की नजर को पैना बनाने का काम करती है ताकि कोई भी दुश्मन बच न पाए। इस दफा ओएलएफ ने बीएमपी-दो टैंक की नजर को अचूक बनाने का काम किया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 18 Mar 2021 07:05 AM (IST)Updated: Thu, 18 Mar 2021 07:05 AM (IST)
बीएमपी-दो टैंक से घुप्प अंधेरे में भी नहीं बचेंगे दुश्मन, ऑर्डनेंस फैक्ट्री ने आत्मनिर्भर भारत के तहत विकसित की नाइट साइट
ओएलएफ सेना की नजर को पैना बनाने का काम करती है, ताकि कोई भी दुश्मन बच न पाए।

जागरण संवाददाता, देहरादून। ऑर्डनेंस फैक्ट्री देहरादून (ओएफडी) व ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री (ओएलएफ) सेना की नजर को पैना बनाने का काम करती है, ताकि कोई भी दुश्मन बच न पाए। इस दफा ओएलएफ ने बीएमपी-दो टैंक की नजर को अचूक बनाने का काम किया है। पहले टैंक के लिए सिर्फ दिन में देखने वाली (डे-साइट) उपलब्ध थी, जबकि अब नाइट साइट भी ईजाद की गई है। सेना ने इस तरह की 156 साइट के ऑर्डर फैक्ट्री को दिए हैं। वहीं, ओएफडी ने असाल्ट राइफल के लिए डे-साइट विकसित की है। बुधवार को आयुध निर्माणी दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित रक्षा उत्पाद प्रदर्शनी में यह जानकारी ओएलएफ व ओएफडी अधिकारियों ने साझा की।

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ओएलएफ के महाप्रबंधक एसके यादव के मुताबिक मिसाइट साइट भी विकसित की गई है। हैदराबाद के बीडीएल (भारत डाइनेमिक्स लि.) से 250 मिसाइट साइट के ऑर्डर मिले हैं। इसके साथ ही इनकी मरम्मत का काम भी फैक्ट्री कर रही है। वहीं, ओएफडी के महाप्रबंधक पीके दीक्षित ने बताया कि पहले एसएलआर (सेल्फ लोडिंग राइफल) के लिए साइट का निर्माण किया जाता था। अब असाल्ट राइफल के लिए डे-साइट तैयार की गई है। इसके फील्ड परीक्षण किए जा रहे हैं। विदेशी कंपनियों की साइट से इसकी तुलना करने पर पता चला कि आत्मनिर्भर भारत के तहत बनाई गई साइट से अधिक सटीक निशाना लगाया जा सकता है।

सीमा पर तनातनी और लॉकडाउन के बीच बढ़ी सेना की मांग

ऑर्डनेंस फैक्ट्री के महाप्रबंधक पीके दीक्षित व ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री के महाप्रबंधक एसके यादव ने कहा कि बीते कुछ समय में सीमा पर अधिक तनातनी देखने को मिली है। इस लिहाज से सेना को रक्षा उत्पादों की अधिक जरूरत महसूस हुई। अभी भी रक्षा उत्पादों के तमाम कंपोनेंट विदेश से मंगाए जाते हैं। लॉकडाउन के दौरान यह संभव नहीं हो पाया। इस लिहाज से आयुध निर्माणियों पर अधिक से अधिक कंपोनेंट के निर्माण की जिम्मेदारी भी आ पड़ी थी। निर्माणी कार्मिकों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और वर्तमान में 100 के करीब कंपोनेंट का देश में ही निर्माण संभव हो पाया है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सेना की मांग पहले के मुताबिक करीब ढाई गुना हो गई।

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