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कस्टम अधिकारी बन ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, मुखिया समेत 14 लोग एसटीएफ के पहुंचने से पहले ही फरार

उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने कस्टम अधिकारी बनकर अमेरिकी नागरिकों के साथ ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। गुरुवार को गिरोह के चार सदस्य एसटीएफ के हत्थे चढ़े हैं। जबकि गिरोह का स्थानीय मुखिया समेत 14 लोग फरार है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 15 Jul 2021 09:59 PM (IST)Updated: Fri, 16 Jul 2021 12:07 AM (IST)
कस्टम अधिकारी बन ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, मुखिया समेत 14 लोग एसटीएफ के पहुंचने से पहले ही फरार
एसटीएफ के डीआइजी नीलेश भरणे ने बताया कि आरोपित अमेरिकी नागरिकों से ठगी करते थे।

जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने कस्टम अधिकारी बनकर अमेरिकी नागरिकों के साथ ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। गुरुवार को गिरोह के चार सदस्य एसटीएफ के हत्थे चढ़े हैं। जबकि, गिरोह का स्थानीय मुखिया समेत 14 लोग फरार है। गिरफ्तार आरोपितों से 20 लैपटाप, दो डेस्क टाप और तीन मोबाइल बरामद हुए हैं। इनका डाटा खंगालने पर गिरोह के सारे राज खुलने की उम्मीद है। गिरोह अमेरिका के वाशिंगटन से संचालित हो रहा था।

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एसटीएफ के डीआइजी नीलेश भरणे ने बताया कि सूचना मिली थी कि सहस्रधारा रोड स्थित आइटी पार्क में ट्रेक नाउ ट्रेवल नाम से एक आफिस चल रहा है। यहां पर विदेशी नागरिकों से ठगी की जा रही है। एसटीएफ की टीम ने वहां छापा मारकर गिरोह के चार सदस्यों का गिरफ्तार कर लिया। इनकी पहचान उत्तम नगर दिल्ली निवासी दीपक, पालम दिल्ली निवासी सिमोन, महेंद्र नगर नेपाल निवासी गगन और मोनू नागरी कि रूप में हुई है। आरोपितों ने आइटी पार्क में ऑफिस के लिए एक भवन 90 हजार रुपये महीने के किराये पर लिया हुआ था। बताया गया कि करीब चार महीने पहले ही उन्होंने यह आफिस खोला था।

एसटीएफ के डीआइजी ने बताया कि आरोपित अमेरिकी नागरिकों से ठगी करते थे। इसके लिए उन्होंने अलग-अलग टीमें बनाई हुई थी। एक टीम वाशिंगटन से अमेरिकी नागरिकों का डाटा एकत्र कर उन्हें फोन करती थी। आरोपित खुद को यूएस कस्टम एंड बार्डर प्रोटेक्शन आफिस का अधिकारी बताकर कूरियर संबंधी जानकारी देते थे। नागरिकों को डराते थे कि उनकी आइडी से कूरियर आया है, जिसमें कुछ संदिग्ध वस्तु है, ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। सुझाव देते थे कि गिरफ्तारी से बचने के लिए वह उनकी लीगल टीम से बात कर सकते हैं।

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पुलिस के अनुसार इसके बाद वाशिंगटन से फोन दिल्ली के लिए ट्रांसफर किया जाता था। दिल्ली बैठी टीम उन्हें डराती थी कि पार्सल की वजह से आपके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट निकला है। आरोपित डराने के लिए फर्जी वारंट भी तैयार करते थे, और पार्सल के मालिक को भेजते थे। इसके बाद फोन देहरादून कार्यालय ट्रांसफर कर दिया जाता था। यहां की टीम अमेरिकी नागिरकों को गिरफ्तारी से बचने का रास्ता सुझाकर इसकी एवज में बिट क्वाइन, शापिंग व गिफ्ट कार्ड के रूप में रकम मंगवाते थे। आरोपितों ने अब तक कितने नागरिकों से ठगी कर चुके हैं, इसकी जांच की जा रही है।

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