अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच 22 से करेगा आंदोलन, जानिए क्या है मांगें
उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच ने मांगों को लेकर 22 जनवरी से आंदोलन की चेतावनी दी है।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी समन्वय मंच ने मांगों को लेकर 22 जनवरी से आंदोलन की चेतावनी दी है। मंच की ओर से जन जागरण अभियान के तहत यमुना कालोनी स्थित सिंचाई विभाग और लोक निर्माण विभाग के कार्यालयों में गेट मीटिंग कर आम सभा की।
मंगलवार को आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि 14 जनवरी तक समस्त जनपदों में जनजागरण, मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दिए गए हैं। अब 22 जनवरी को परेड ग्राउंड में धरना देंगे, जबकि 27 जनवरी को प्रदेश स्तरीय महारैली निकाली जाएगी। कहा कि अगर इसके बाद शासन की ओर से सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई तो अनिश्चित कालीन हड़ताल की तिथि घोषित की जाएगी।
मंच के मुख्य संयोजक नवीन कंडपाल और सचिव संयोजक सुनील कोठरी ने कहा कि समन्वय मंच की ओर से पूर्व वित्त मंत्री स्व. प्रकाश पंत के साथ पांच अगस्त 2018 को हुए समझौते के अनुरूप कार्मिकों को अटल आयुष्मान योजना लागू करना और पदोन्नति में शिथिलीकरण बहाल करने के लिए आगामी कैबिनेट में प्रस्ताव रखा जाना था, लेकिन अभी तक इन मांगों पर शासनादेश जारी नहीं हुआ।
ऐसे में कार्मिकों को मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। इस मौके पर प्रांतीय प्रवक्ता पूर्णानंद नौटियाल और संयोजक समन्वय मंच हरीश चंद्र नौटियाल, पंचम सिंह बिष्ट, सुभाष देवलियाल, रमेश रमोला, प्रताप सिंह पंवार, संदीप कुमार मौर्य, प्रवेश सेमवाल, अजय गुप्ता, जीएस कपरवाण, राजेंद्र सिंह पंवार, राजेंद्र सिंह चौहान, बलराम कुर्मी, महावीर तोमर, केदार फरस्वाण, योगंबर सिंह, रघुबीर सिंह, डीसी नौटियाल आदि मौजूद रहे।
मंच की मुख्य मांगें
- वर्तमान में पदोन्नति पर लगी रोक को तत्काल हटाते हुए पदोन्नति के आदेश जारी किए जाए।
- यू-हेल्थ स्मार्ट कार्ड की सुविधा केंद्र सरकार की तर्ज पर सेवारत, सेवानिवृत्त कार्मिकों के लिए तत्काल लागू हो।
- अर्हकारी सेवा में शिथिलीकरण की पूर्ववर्ती व्यवस्था को यथावत लागू रखा जाए।
- स्थानांतरण अधिनियम में राज्य के कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल हो।
- प्रदेश के सभी कार्मिकों को पूरे सेवाकाल में न्यूनतम तीन पदोन्नतियां या पूर्ववर्ती व्यवस्था के अनुसार पदोन्नति, वेतनमान प्रदान किया जाए।
- एक अक्टूबर 2005 के बाद नियुक्त कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था शीघ्र बहाल की जाए।
- स्थानांतरण अधिनियम में सेवानिवृत्ति की अंतिम वर्ष वाले कार्मिकों को ऐच्छिक स्थान पर स्थानांतरित, पदस्थापना का प्रावधान किया जाए।
- विभिन्न संवर्गीय संगठनों के साथ किए गए समझौतों के अनुरूप शासनादेश जारी किए जाए।
महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने आंदोलन की चेतावनी दी
पूर्व में जारी शासनादेश के तहत ग्रेड-पे बढ़ाने और एसीपी का लाभ नहीं मिलने से महिला स्वास्थ्य कर्मियों (एएनएम) ने नाराजगी जताई। एएमएम ने चेतावनी दी कि यदि 16 फरवरी तक उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा।
उत्तराखंड मातृ शिशु एवं परिवार कल्याण महिला कर्मचारी संघ का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती से मिला। उन्होंने बताया कि महिला स्वास्थ्य कर्मियों की सीधी भर्ती में नियुक्ति 2800 ग्रेड वेतन में हुई थी। उन्हें दूसरी एसीपी 5400 रुपये और तीसरी एसीपी 6600 किए जाने का शासनादेश पूर्व में जारी हो चुका है, लेकिन इसपर अब तक अमल नहीं हुआ। इसका खामियाजा महिला स्वास्थ्य कर्मियों को भुगतना पड़ रहा है। कहा कि शासनादेश जारी होने के बाद कई महिला स्वास्थ्य कर्मी सेवानिवृत्त भी हो चुकी हैं।
यह भी पढ़ें: विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में व्यवहारिक नहीं है मोबाइल प्रतिबंध
इस पर स्वास्थ्य महानिदेशक ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि वित्त अनुभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर महिला स्वास्थ्य कर्मियों को मिलने वाले एसीपी के लाभ को लेकर सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा। संगठन की प्रांतीय अध्यक्ष गुड्डी मटूड़ा ने कहा कि यदि पूर्व में जारी शासनादेश के अनुरूप महिला स्वास्थ्य कर्मियों को एसीपी का लाभ नहीं मिलता है तो आगामी 16 फरवरी से दोबारा आंदोलन शुरू किया जाएगा। देय तिथि तक संघ ने पल्स पोलियो अभियान के बहिष्कार का कार्यक्रम स्थगित करने का निर्णय लिया है।
यह भी पढ़ें: बढ़ती महंगाई समेत कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस करेगी प्रदेशव्यापी आंदोलन
प्रतिनिधिमंडल में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष ठाकुर प्रहलाद सिंह, जिलाध्यक्ष ओमवीर चौधरी, महानिदेशालय के सहायक निदेशक परिवार कल्याण डॉ. अमलेश कुमार, राष्ट्रीय कार्यक्रम के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार आदि मौजूद रहे।
यह भी पढ़ें: मोबाइल फोन पर बवाल, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री के खिलाफ सड़कों पर उतरे छात्र संगठन