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यहां सरकारी स्कूलों में लगेगी 'खुशियों की पाठशाला', जानिए

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में अब खुशियों की पाठशाला लगेगी। यहां अब एक ऐसा कोर्स लाया जाएगा जो बच्चों के लिए टेंशन नहीं बल्कि चेहरों पर मुस्कान लेकर आएगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 07:17 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 08:58 PM (IST)
यहां सरकारी स्कूलों में लगेगी 'खुशियों की पाठशाला', जानिए
यहां सरकारी स्कूलों में लगेगी 'खुशियों की पाठशाला', जानिए

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों को अब एक और कोर्स पढ़ाया जाएगा। ये कोर्स बच्चों के लिए टेंशन नहीं बल्कि उनके चेहरों पर मुस्कान लेकर आएगा। जी हां, दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड में भी बच्चों को खुश रखने के लिए 'हैप्पीनेस करिकुलम' की शुरुआत की जाएगी। इसके अलावा गुजरात का गुणोत्सव और वंदे गुजरात, हिमाचल का अखंड शिक्षा ज्योति, मेरे स्कूल से निकले मोती व छात्र संप्राप्ति का ऑनलाइन अनुश्रवण जैसे कार्यक्रम भी यहां की शैक्षिक परिस्थितियों के अनुरूप लागू किए जाएंगे। 

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राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की ओर से 'विद्यालयी शिक्षा में गुणवत्ता' विषय पर आधारित राष्ट्रीय सेमिनार संपन्न हो गया है। समापन सत्र में निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण सीमा जौनसारी ने कहा कि दिल्ली, गुजरात व हिमाचल प्रदेश द्वारा साझा किए नवाचारी प्रयासों का विश्लेषण कर राज्य की शैक्षिक परिस्थितियों के अनुरूप उन्हें लागू किया जाएगा। अपर निदेशक एससीईआरटी अजय कुमार नौडियाल ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए समुदाय के साथ मिलकर कार्य करना होगा। 

दूसरे दिन के प्रथम सत्र में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने नवाचारी कार्यक्रम विषय पर प्रस्तुतिकरण दिया। एससीईआरटी की संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी ने पैनल विशेषज्ञों का परिचय देते हुए शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे नवाचारी प्रयासों की रूपरेखा प्रस्तुत की। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन बेंगलुरु के एसोसिएट प्रोफेसर बीएस ऋषिकेश ने संगठन द्वारा किये जा रहे क्रियाकलापों की जानकारी दी। 

उन्होंने बताया कि वॉलंटरी टीचर्स फोरम में शिक्षक अवकाश के समय भी अपनी इच्छा से विभिन्न गतिविधियों में भाग लेते हैं। फाउंडेशन के विशेषज्ञ अम्बरीश बिष्ट ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए प्रशिक्षण लेने वाले शिक्षकों को प्रशिक्षण क्षेत्र के लिए स्वायत्तता दी जानी जरूरी है। अपर निदेशक प्रारंभिक शिक्षा बीरेंद्र सिंह रावत ने कहा कि गुणवत्ता के लिए हमें सभी कारकों पर ध्यान देना होगा। विद्यालय की भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं के अनुरूप विद्यालयों को अनुसमर्थक देना होगा। 

हिमाचल का मॉडल मुफीद

द्वितीय सत्र में स्टेट लीडर अकादमी के प्राचार्य डॉ. देशराज चौहान ने कहा कि शिक्षण की गुणवत्ता के लिए शैक्षिक प्रयासों में निरंतरता जरूरी है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में पूर्व प्राथमिक कक्षाएं भी संचालित की जा रही हैं। अखंड शिक्षा ज्योति, मेरे स्कूल से निकले मोती व टीचर्स एप के विषय में भी उन्होंने जानकारी दी। बताया कि स्कूल लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत प्रत्येक प्रधानाध्यापक का क्षमता विकास किया जा रहा है। एससीईआरटी के संयुक्त निदेशक कुलदीप गैरोला ने कहा कि हिमाचल व उत्तराखंड के बीच काफी समानताएं हैं। इसलिए हिमाचल प्रदेश द्वारा प्रस्तुत नवाचारी कार्यक्रम उत्तराखंड के लिए भी उपयोगी सिद्ध होंगे। संयुक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा भूपेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि शिक्षा से जुड़ी सभी इकाईयों में शैक्षिक गुणवत्ता के अनुरूप सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। 

नवाचार की अवधारणा को स्पष्ट की 

अंतिम सत्र में डायट और एससीईआरटी स्तर पर किए जा रहे नवाचारी प्रयासों पर संकाय सदस्यों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। एससीईआरटी के उप निदेशक डॉ. एसपी सिंह ने शिक्षा में नवाचार की अवधारणा को स्पष्ट किया। सत्र का संचालन उप निदेशक माध्यमिक शिक्षा गजेंद्र सिंह सोन ने किया। डायट देहरादून के प्राचार्य राकेश जुगरान ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। 

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