अब आबकारी की बंदूकें होंगी लाइसेंस से लैस, पढ़िए पूरी खबर
बिना लाइसेंस के कार्यालयों में डंप पड़ी आबकारी विभाग की बंदूकों पर जमी गर्द अब हट पाएगी और उनका प्रयोग प्रवर्तन संबंधी कार्यों में हो पाएगा।
देहरादून, जेएनएन। बिना लाइसेंस के कार्यालयों में डंप पड़ी आबकारी विभाग की बंदूकों पर जमी गर्द अब हट पाएगी और उनका प्रयोग प्रवर्तन संबंधी कार्यों में हो पाएगा। जागरण की खबर का संज्ञान लेकर आबकारी विभाग ने लाइसेंसों के नवीकरण के लिए आड़े आ रही बजट की कमी को दूर कर दिया है।
जागरण ने 14 अक्टूबर के अंक में 'आबकारी विभाग के पास बंदूकें हैं पर लाइसेंस नहीं' शीर्षक से प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। खबर में बताया गया कि था कि आबकारी कार्मिक बिना बंदूकों के ही दबिश देने को विवश हैं, लिहाजा तस्करों पर से विभाग का खौफ कम होता जा रहा है। बंदूक साथ लेकर न चलने की वजह यह है कि बड़ी संख्या में इनके लाइसेंसों का नवीकरण नहीं कराया जा सका है। कार्यालयों के पास नवीनीकरण के लिए बजट न होने के चलते यह नौबत आ खड़ी हुई है। त्वरित रूप से इसका संज्ञान लेकर आबकारी आयुक्त सुशील कुमार ने प्रकरण पर जानकारी प्राप्त कर बजट जारी करने के निर्देश जारी किए।
इसी क्रम में आबकारी उपायुक्त (कार्मिक एवं अधिष्ठान) प्रभाशंकर मिश्रा ने सभी सहायक आबकारी आयुक्त व जिला आबकारी अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए। उनकी ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि सभी कार्यालयों में मानक मद-42 में बजट जारी किया गया था। लिहाजा, इस मद से लाइसेंसों का नवीनीकरण कराया जा सकता है। यदि संबंधित कार्यालयों में मद में बजट अवशेष नहीं है तो वह मुख्यालय को प्रस्ताव बनाकर भेज सकते हैं। जो भी प्रस्ताव प्राप्त होंगे, उस पर त्वरित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
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वहीं, उत्तराखंड आबकारी कांस्टेबल हेड कांस्टेबल एसोसिएशन के महामंत्री धर्मपाल सिंह रावत ने आदेश पर राहत व्यक्त की। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यालय को कार्मिकों की डीपीसी व एसीपी के लंबित प्रकरणों पर भी जल्द कार्रवाई करनी चाहिए। ताकि सभी कार्मिक उच्च मनोबल के साथ अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर सकें।
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