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भिक्षा मांगने वाले नौनिहालों के हाथों में शिक्षा की डोर, उत्तराखंड के सभी जिलों में चलेगा ये अभियान

सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों के हाथों में अब किताबें नजर आएंगी। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने भिक्षावृत्ति पर रोक लगाने जनता को बच्चों को भिक्षा न देने और भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों के पुनर्वास का बीड़ा उठाया है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 01:25 PM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 01:25 PM (IST)
भिक्षा मांगने वाले नौनिहालों के हाथों में शिक्षा की डोर, उत्तराखंड के सभी जिलों में चलेगा ये अभियान
भिक्षा मांगने वाले नौनिहालों के हाथों में शिक्षा की डोर।

जागरण संवाददाता, देहरादून। सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों के हाथों में अब किताबें नजर आएंगी। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने भिक्षावृत्ति पर रोक लगाने, जनता को बच्चों को भिक्षा न देने और भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों के पुनर्वास का बीड़ा उठाया है। प्रदेश में सभी जिलों के साथ कुंभ मेला क्षेत्र में एक मार्च से 30 अप्रैल तक दो महीने का 'भिक्षा नहीं शिक्षा दो' और 'एजुकेशन चाइल्ड' अभियान शुरू किया जा रहा है।  

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पुलिस मुख्यालय के जनसंपर्क अधिकारी देवेंद्र सिंह नेगी के अनुसार, अभियान के अंतर्गत देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर व नैनीताल में एक एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट सहित चार पुलिस की टीमें नियुक्त की जाएंगी। पुलिस टीम में एक एसआइ व चार कांस्टेबल नियुक्त किए जांएगे। अन्य जनपदों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की ओर से अभियान को चलाया जाएगा। रेलवे में भी एक टीम का गठन किया जाएगा। प्रत्येक टीम में एक महिलाकर्मी भी नियुक्त होगी। कुंभ मेला क्षेत्र में यह अभियान बड़े स्तर पर संचालित किया जाएगा।

तीन चरणों में चलेगा अभियान 

अभियान को तीन चरणों में चलाया जाएगा। पहला चरण एक से 15 मार्च तक चलेगा, जिसमें भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों व उनके स्वजनों का विवरण तैयार कर संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित कर बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाया जाएगा। दूसरे चरण में 16 से 31 मार्च तक सभी स्कूल, कॉलेज, सार्वजनिक स्थानों, चौराहों, सिनेमाघरों, रेलवे स्टेशन, धार्मिक स्थलों व कुंभ मेला क्षेत्र में बच्चों को भिक्षा न देने को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

तीसरे चरण में एक से 30 अप्रैल तक बच्चों को भिक्षावृत्ति से हटाकर उनकी एवं उनके स्वजनों की काउंसिलिंग करवाई जाएगी। बच्चों के दोबारा भिक्षावृत्ति में लिप्त पाए जाने पर उनके स्वजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। किसी भी प्रकार का संदेह होने पर डीएनए टेस्ट की कार्रवाई की जाएगी।

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