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अशासकीय कॉलेज शिक्षक जारी रखेंगे विरोध, शिक्षक अपने परिसरों में काली पट्टी बांधकर करते रहेंगे विरोध प्रदर्शन

मुख्य सचिव ओमप्रकाश की अध्यक्षता में हुई बैठक में सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों के शिक्षकों का अनुदान जारी रखने का निर्णय लिया गया है लेकिन शिक्षक विरोध प्रदर्शन को समाप्त नहीं करेंगे। सरकार ने अंब्रेला एक्ट में संशोधन नहीं किया तब तक शिक्षक काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे।

By Sumit KumarEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 05:54 PM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 05:54 PM (IST)
अशासकीय कॉलेज शिक्षक जारी रखेंगे विरोध, शिक्षक अपने परिसरों में काली पट्टी बांधकर करते रहेंगे विरोध प्रदर्शन
बैठक में सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों के शिक्षकों का अनुदान जारी रखने का निर्णय लिया गया है

जागरण संवाददाता, देहरादून : मुख्य सचिव ओमप्रकाश की अध्यक्षता में हुई बैठक में सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों के शिक्षकों का अनुदान जारी रखने का निर्णय लिया गया है, लेकिन शिक्षक विरोध प्रदर्शन को समाप्त नहीं करेंगे। शिक्षकों का कहना है कि जब तक सरकार ने अंब्रेला एक्ट में संशोधन नहीं किया तब तक शिक्षक हर रोज काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे। सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालय शिक्षक संगठन एक बार फिर मुख्य सचिव ओमप्रकाश से मुलाकात करेगा। उन्हें उत्तर प्रदेश में 320 अशासकीय महाविद्यालयों को जारी अनुदान के नियम का हवाला देंगे। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश विवि अधिनियम 1972 में उत्तराखंड सरकार ने संशोधन कर अनुदान का पैरा समाप्त कर दिया है। एचएनबी गढ़वाल विवि- महाविद्यालय शिक्षक संघ (ग्रूटा) के महामंत्री डॉ. डीके त्यागी ने कहा कि अशासकीय कॉलेजों का अनुदान समाप्त करने से न केवल शिक्षकों के हितों पर कुठाराघात होगा, बल्कि हजारों गरीब छात्र भी उच्च शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। अभी तक दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र-छात्राएं डीएवी, डीबीएस, एमकेपी व श्रीगुरू राम राय पीजी कॉलेज में बेहद कम फीस पर छात्र स्नातक की पढ़ाई करते हैं। इन कॉलेजों का अनुदान बंद होने से यह संस्थान सेल्फ फाइनेंस मोड़ में संचालित करने होंगे।

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ऐसे में छात्रों की फीस कई गुणा बढ़ जाएगी। जिससे गरीब परिवारों के छात्र उच्च शिक्षा से वंचित रह जाएंगे। सरकार को 18 अशासकीय महाविद्यालयों का अनुदान बंद करने से पहले इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। दून के निजी विवि की तर्ज पर डीएवी व डीबीएस कॉलेज यदि फीस वसूलेंगे तो हजारों छात्र उच्च शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। राज्य सरकार एक ओर उच्च शिक्षा को प्रोत्साहित करने के दावे कर रही है। छात्राओं की शिक्षा को अनिवार्य बता रही है। दूसरी तरह प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थानों का निजीकरण किया जा रहा है।

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