छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म मामले में बोर्डिंग स्कूल की निरस्त होगी एनओसी
छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य स्तर पर स्कूल की एनओसी निरस्त की जाएगी।
देहरादून, [जेएनएन]: छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में प्रदेश सरकार स्कूल प्रबंधन को किसी हाल में बख्शने के मूड में नहीं है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य स्तर पर स्कूल की एनओसी निरस्त की जाएगी। इस तरह के मामलों को लेकर सरकार बेहद संवेदनशील है और सीबीएसई मुख्यालय को तुरंत ही मान्यता रद करने को पत्र भेज दिया गया था।
सीएम ने कहा कि अनापत्ति प्रमाण पत्र निरस्त करने की एक प्रक्रिया है और इसमें वक्त लगता है। एक बात और ये सामने आई है कि स्कूल ने अनापत्ति व मान्यता को लेकर बड़ा गोलमाल किया है। किसी अन्य विद्यालय की मान्यता पर यहां बच्चे पढ़ाए जा रहे थे। इस पहलू की भी जांच की जाएगी।
उन्होंने कहा कि इन सारी घटनाओं के बीच एक अच्छी बात यह भी है कि किसी भी तरह के अन्याय के खिलाफ बेटियां खुलकर खड़ी हो रही हैं। हम उनके हिम्मत और हौसले को सलाम करते हैं।
यह है मामला
देहरादून के भाऊवाला स्थित जीआरडी बोर्डिंग स्कूल में छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगा था। इसके बाद स्कूल प्रबंधन के लोगों सहित नौ को गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि प्रबंधन ने दुष्कर्म की घटना को छिपाने का प्रयास किया। साथ ही छात्रा का गर्भपात भी कराया।
सीबीएसई की कार्यशैली पर सवाल
इसे सिस्टम की लापरवाही कहें या लाचारी। प्रदेश के शिक्षा विभाग से लेकर सीबीएसई का क्षेत्रीय कार्यालय तक स्कूल पर कार्रवाई की संस्तुति कर चुका है। यहां तक कि खुद शिक्षा सचिव ने इस मामले में सीबीएसई निदेशक को पत्र भेजा है।
लेकिन, सीबीएसई मुख्यालय अब तक हरकत में नहीं आया है। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या सीबीएसई नजीर पेश करने की जगह एक और बड़ी घटना के इंतजार में है। इस घटना और शिक्षा विभाग के निरीक्षण में मानकों की अनदेखी पर अभिभावक संघ और महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य तक ने शिक्षा मंत्री से कार्रवाई की मांग की।
इसे लेकर सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी रणबीर सिंह का कहना है कि स्कूल की मान्यता रद करने के लिए मुख्यालय को पत्र भेजा जा चुका है। इसके अलावा संबद्धता को लेकर जमा किए गए दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है। दस्तावेजों की जांच में यदि कोई गड़बड़ी पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी।
अभिभावक संघ में गुस्सा
नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के अध्यक्ष आरिफ खान का कहना है कि पूरे मामले में स्कूल प्रबंधन की संलिप्तता सामने आई है। एक नाबालिग छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म का राजधानी में यह अकेला मामला है। ऐसे में राज्य सरकार व सीबीएसई को तुरंत कार्रवाई करनी थी ताकि यह और स्कूलों के लिए भी नजीर बने।
बोर्डिंग स्कूल के प्रबंध तंत्र की होगी पेशी
दून के बोर्डिंग स्कूल के प्रबंधन को सहसपुर पुलिस पोक्सो कोर्ट में पेश करेगी। इस दौरान पुलिस मुकदमे में बढ़ाई गई धाराओं के संदर्भ में दस्तावेजी साक्ष्य भी पेश करेगी। आरोपितों की ओर से अदालत में दाखिल जमानत अर्जी पर भी सुनवाई होनी है। पुलिस का प्रयास होगा कि कोर्ट के सामने साक्ष्यों और सबूतों के जरिये जमानत अर्जी खारिज करा दी जाए।
देहरादून के भाऊवाला स्थित बोर्डिंग स्कूल में नाबालिग छात्रा से 14 अगस्त को सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी। जिसके बाद छात्रा गर्भवती हो गई थी। इस बात का पता चलने पर प्रबंधन ने दुष्कर्म के आरोपित छात्रों को पुलिस के सुपुर्द करने के बजाय उल्टे छात्रा को धमकाना शुरू कर दिया था।
जांच में सामने आया था कि स्कूल की निदेशक लता गुप्ता के कहने में आकर प्रशासनिक अधिकारी दीपक मल्होत्रा की पत्नी और आया मंजू ने छात्रा को देसी नुस्खे से तैयार दवा पिला दी, जिससे छात्रा को रक्तस्राव शुरू हो गया।
इसी के बाद तबीयत बिगड़ने पर प्रबंधन छात्रा को राजपुर रोड स्थित निजी नर्सिंग होम में ले जाया गया था, जहां उसका उपचार हुआ। गर्भपात की पुष्टि हो जाने के बाद मामले में पुलिस ने और धाराएं बढ़ा दी थीं।
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