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वेंटिलेटर नहीं, हाई फ्लो ऑक्सीजन थैरेपी से हो रहा इलाज; जानिए ये विधि क्यों है कारगर

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में अब भी बेहद कम मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है। अभी तक औसतन तीन फीसद ही मरीज वेंटिलेटर पर रखे जा रहे हैं। ज्यादातर मरीजों का इलाज बाइपैप व हाई-फ्लो ऑक्सीजन थैरेपी के जरिए ही किया जा रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 02 Oct 2020 04:40 PM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2020 04:40 PM (IST)
वेंटिलेटर नहीं, हाई फ्लो ऑक्सीजन थैरेपी से हो रहा इलाज; जानिए ये विधि क्यों है कारगर
वेंटिलेटर नहीं, हाई फ्लो ऑक्सीजन थैरेपी से हो रहा इलाज।

देहरादून, जेएनएन। कोरोना की बढ़ती रफ्तार के बीच सुकून इस बात का है कि दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में अब भी बेहद कम मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है। अभी तक औसतन तीन फीसद ही मरीज वेंटिलेटर पर रखे जा रहे हैं। ज्यादातर मरीजों का इलाज बाइपैप व हाई-फ्लो ऑक्सीजन थैरेपी के जरिए ही किया जा रहा है। हालांकि कॉलेज प्रशासन का कहना है कि वेंटिलेटर की भी अस्पताल में पर्याप्त व्यवस्था है। शुरुआती चरण में सिर्फ चौदह ही वेंटिलेटर थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 80 पहुंच गई है। इनमें तीस वेंटिलेटर हाल ही में केंद्र से मिले हैं। जिसके लिए आवश्यकतानुसार स्टाफ की भी भर्ती की जा रही है।

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उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला पंद्रह मार्च को दून में सामने आया था। इस हिसाब से कोरोना की दस्तक हुए 200 दिन का समय हो गया है। वर्तमान में स्थिति इसलिए ज्यादा चिंताजनक है कि लॉकडाउन-4 में कोरोना के मामले तेज रफ्तार से बढ़े हैं। सिर्फ सितंबर में ही देहरादून में नौ हजार से अधिक नए मामले आए हैं। ऐसे में अस्पतालों पर भी दबाव कई गुना बढ़ गया है। एक तरफ जहां ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है, वहीं आइसीयू बेड को लेकर भी मारामारी मची है।

पर अच्छी बात ये है कि ऐसे मरीजों की संख्या अब भी कम है, जिन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी है। दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने अनुसार वेंटिलेटर की आवश्यकता वाले बहुत कम मरीज हैं। बशर्ते व्यवस्था पूरी है। अभी तक अस्पताल में 50 वेंटिलेटर थे, पर तीस वेंटिलेटर केंद्र से भी मिल गए हैं। भविष्य की आवश्यकता को देखते हुए 12 चिकित्सक, 15 नर्सिंग स्टाफ, तीन आइसीयू टेक्नीशियन और चार लैब टेक्नीशियन की भर्ती की गई है। इसके अलावा आगे भी जरूरत के मुताबिक स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी, जिसके लिए शासन से अनुमति मिल चुकी है। 

उन्होंने बताया कि कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए हाई फ्लो ऑक्सीजन थेरेपी संजीवनी साबित हो रही है। इससे मरीज तेजी से रिकवर हो रहे हैं। यह विधि ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के बीच की है। जिन मरीजों के फेफड़े संक्रमण से काफी खराब हो चुके हैं और वह ऑक्सीजन खींचने लायक नहीं रह जाते, उनके लिए यह विधि इस्तेमाल की जा रही है। हाई फ्लो ऑक्सीजन का यह फायदा हुआ है कि मरीजों के लिए वेंटीलेटर की जरूरत कम पड़ रही है।

हाई फ्लो ऑक्सीजन विधि इसलिए है कारगर

  • हाई फ्लो ऑक्सीजन में कई गुना अधिक ऑक्सीजन फेफड़े तक पहुंचाई जाती है।
  • मास्क के जरिए फेफड़े में प्रति मिनट 5 से 6 लीटर ही ऑक्सीजन जाती है।
  • हाई फ्लो ऑक्सीजन विधि से प्रति मिनट 20 से लेकर 50 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन दी जाती है।
  • यही काम वेंटीलेटर भी करता है लेकिन हाई फ्लो नेजल में यह कार्य आसानी से किया जाता है।

न मंत्री अस्पताल में भर्ती

वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को देर रात दून मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वह कोरोना संक्रमित हैं और पिछले कई दिन से होम आइसोलेशन में थे। सांस लेने में दिक्कत होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उन्हें देख रही है।

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मुख्य सचिव कार्यालय बंद

मुख्य सचिव ओमप्रकाश के प्रमुख निजी सचिव के कोराना संक्रमित होने के बाद मुख्य सचिव कार्यालय रविवार तक के लिए बंद कर दिया गया है। मुख्य सचिव स्वयं आइसोलेशन में चले गए हैं। मुख्य सचिव ओमप्रकाश के प्रमुख निजी सचिव कुछ समय से बीमार चल रहे थे। वह सोमवार को ऑफिस आए थे। इसके बाद उन्हें बुखार आया तो उन्होंने कोरोना जांच कराई। बुधवार रात को उनकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अब मुख्य सचिव कार्यालय सोमवार को खुलेगा। 

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