Move to Jagran APP

यहां बैरक में मुश्किल से पांव पसार पा रहे हैं बंदी, जानिए

बीस बंदियों की क्षमता वाली सामान्य बैरकों में पहले से ही चालीस से अधिक कैदी ठूंसे गए हैं तो लोकसभा चुनाव के दौरान हुई पुलिसिया कार्रवाई से यह संख्या पचास से भी ऊपर पहुंच गई है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 04:43 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 04:43 PM (IST)
यहां बैरक में मुश्किल से पांव पसार पा रहे हैं बंदी, जानिए
यहां बैरक में मुश्किल से पांव पसार पा रहे हैं बंदी, जानिए

देहरादून, जेएनएन। जेल की बैरकों में बंदियों को पैर फैलाने की भी जगह बमुश्किल मिल पा रही है। बीस बंदियों की क्षमता वाली सामान्य बैरकों में पहले से ही चालीस से अधिक कैदी ठूंसे गए हैं तो लोकसभा चुनाव के दौरान हुई पुलिसिया कार्रवाई से यह संख्या पचास से भी ऊपर पहुंच गई है। ऐसे में जेल की बैरकों का नजारा कुछ ऐसा ही है जैसा मेले के समय बस अड्डों व रेलवे स्टेशनों का होता है। यह सूरतेहाल देहरादून, हरिद्वार समेत सूबे की तकरीबन सभी जेलों का है। 

loksabha election banner

क्षमता से अधिक कैदियों का बोझ ढो रही सूबे की जेलें लोकसभा चुनाव के दौरान हुई पाबंदी और वांछित अपराधियों की ताबड़तोड़ गिरफ्तारी से कराहने लगी हैं। दरअसल, चुनाव को शांतिपूर्ण संपन्न कराने की जद्दोजहद में हुई ताबड़तोड़ कार्रवाइयों के चलते बीते 11 अप्रैल तक जेलों में हर रोज पचास से साठ नए बंदी दाखिल हुए। नतीजा यह हुआ कि इन बंदियों को बैरक आंवटित करने में पसीने छूट गए, जबकि हकीकत यह है कि वर्तमान में जेलों में बंदियों के रखने की कुल क्षमता 3378 के सापेक्ष संख्या पांच हजार के करीब पहुंच चुकी है।

आरटीआइ कार्यकर्ता नदीमुद्दीन को सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी का विश्लेषण करने पर सामने आया कि हल्द्वानी, देहरादून व हरिद्वार की जेलों में तो क्षमता से दोगुने अधिक बंदी रखे गए हैं। इससे इन जेलों में सामान्य व्यवस्था बनाए रखने में कारागार प्रशासन को नाकों चने चबाने पड़ जाते हैं। वर्षों पहले स्थापित जेलों की बैरकें बंदियों से ठसाठस हैं। यहां आ रहे नए बंदियों बमुश्किल पांव पसारने की ही जगह मिल पा रही है। हालात यह है कि मौजूदा समय में जेलों में शांति व कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में कारागार प्रशासन के हाथ-पांव फूले हुए हैं। 

ऐसे आवंटित होती है बंदी को जगह 

जेलों में बीस, चालीस व साठ बंदियों की क्षमता के अनुसार बैरकों का निर्माण होता है। पुराने समय में बनी जेलों की बैरकों में कैदियों के सोने बैठने के लिए चारपाई की शक्ल में चबूतरा होता है। सूबे की जेलों में इसी तरह की बैरकें हैं। वर्तमान में कैदियों की संख्या बढऩे पर चबूतरे के नीचे खाली स्थान और रास्ते में भी कैदी बिस्तर लगाकर सोते बैठते हैं। वहीं, उन बैरकों में थोड़ी राहत होती है, जहां चबूतरे के बजाए सपाट फर्श है, यहां क्षमता से तीन गुने से अधिक आ तो जाते हैं, लेकिन उन्हें पैर फैलाने की जगह भी मुश्किल से मिलती है। 

ऐसे बढ़ी बंदियों की संख्या 

लोकसभा चुनाव का ऐलान होने के साथ ही पुलिस ने भूमिगत चल रहे अपराधियों की तलाश में जुटने के साथ शांति व कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बनने वाले शातिरों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। राज्य पुलिस के आंकड़ों के अनुसार अब तक फरार चल रहे एक हजार के करीब गैर जमानती वारंटियों को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। एनडीपीएस एक्ट में मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में साढ़े तीन सौ से अधिक गिरफ्तारियां हुईं। यह सभी सूबे की अलग-अलग जेलों में रखे गए हैं। इसके अलावा सामान्य दिनों में दर्ज होने वाले मुकदमों और पूर्व में दर्ज मुकदमों के आरोपितों की गिरफ्तारियां भी होती ही रहती हैं, जिसका सीधा जेलों पर पड़ा। 

पांच जिलों में नहीं है जेल 

राज्य गठन के डेढ़ दशक बाद भी सूबे के पांच जिलों में अब तक कारागार की स्थापना नहीं हो पाई है। इसमें बागेश्वर, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चंपावत व रुद्रप्रयाग जिले शामिल हैं, जहां पकड़े गए अपराधियों को आसपास के जिलों की जेलों में रखा जाता है।  

प्रमुख जेलों में बंदियों की स्थिति 

जेल,                          क्षमता, वर्तमान में बंदी 

सेंट्रल जेल सितारगंज,   512,   638 

ओपन जेल सितारगंज,  300,   51 

जिला कारागार अल्मोड़ा, 102, 152 

जिला कारागार नैनीताल, 71,  115 

जिला कारागार टिहरी,     150, 105 

जिला कारागार पौड़ी,        150, 165 

जिला कारागार देहरादून,   580, 1310 

जिला कारागार हरिद्वार,  840, 1202 

जिला कारागार चमोली,   169,   80 

उप कारागार हल्द्वानी,   260, 808 

उप कारागार रुड़की,       244, 371 

कुल,                         3378, 4997  

आइजी जेल पीवीके प्रसाद कहते हैं कि जेलों में पहले से ही कैदियों की संख्या क्षमता से अधिक है। लोकसभा चुनाव के दौरान संख्या और बढ़ी है। जेलों में उपलब्ध संसाधनों में कैदियों को रखने के साथ जेल मैनुअल के अनुसार उन्हें सुविधाएं भी दी जा रही हैं। 

यह भी पढ़ें: ऊर्जा निगम में उपभोक्ताओं से खुली लूट, ऐसे लगा रहे हैं चूना   

यह भी पढ़ें: शहर के कई इलाकों में दिनभर बत्ती रही गुल, लोग रहे परेशान

यह भी पढ़ें: नियमित बिजली आपूर्ति के दावे हुए हवा, कटौती से परेशान उपभोक्ता


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.