Move to Jagran APP

इस अस्‍पताल में न डिलिवरी और न जांच की ही व्यवस्था

रायपुर अस्पताल में न डिलिवरी की व्यवस्था है और न ही जांच की। इतना ही नहीं अस्पताल में मरीज भी भर्ती नहीं किए जा रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 06 Mar 2018 04:37 PM (IST)Updated: Tue, 06 Mar 2018 04:39 PM (IST)
इस अस्‍पताल में न डिलिवरी और न जांच की ही व्यवस्था
इस अस्‍पताल में न डिलिवरी और न जांच की ही व्यवस्था

देहरादून, [जेएनएन]: प्रदेश सरकार जहां राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक में स्वास्थ्य सेवाएं चाक-चौबंद बनाने का दम भर रही है, वहीं राजधानी के ही अस्पताल स्वास्थ्य व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहे हैं। इसका एक उदाहरण है रायपुर अस्पताल। यहां न डिलिवरी की व्यवस्था है और न ही जांच की। इतना ही नहीं अस्पताल में मरीज भी भर्ती नहीं किए जा रहे हैं।

loksabha election banner

रायपुर अस्पताल में आसपास के ग्रामीण क्षेत्र की एक बड़ी आबादी इलाज के लिए आती है। कुछ वर्ष पहले तक अस्पताल की ओपीडी करीब 200-250 तक रहती थी। लेकिन, इसे पीपीपी मोड पर देकर सरकार ने इसे वेंटीलेटर पर ला दिया। पीपीपी मोड में कई तरह की अनियमितताएं सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इसे अपने हाथ में ले लिया। लेकिन, स्थिति यह है कि यह अस्पताल आज मरीजों को जरूरी उपचार तक मुहैया नहीं करा पा रहा है। कहने के लिए यह अस्पताल 10 बेड का है, लेकिन स्टाफ और संसाधन नहीं होने के कारण डॉक्टर मरीज तक भर्ती नहीं कर रहे हैं। अस्पताल की ओपीडी भी वर्तमान में 100 पर सिमट गई है।

अस्पताल में पर्याप्त नहीं डॉक्टर

अस्पताल में चिकित्सकों के 10 पद सृजित हैं। लेकिन, इसके सापेक्ष महज पांच ही डॉक्टर तैनात हैं। इनमें एक फिजीशियन, एक सामान्य चिकित्साधिकारी,एक चिकित्साधिकारी, एक ईएनटी सर्जन और एक बाल रोग विशेषज्ञ शामिल हैं। इन्हीं चिकित्सकों की ड्यूटी इमरजेंसी में भी रहती है। इमरजेंसी में रात्रि शिफ्ट के बाद चिकित्सक को अगले दिन छुट्टी भी देनी होती है। ऐसी स्थिति में आइपीडी दूर की बात, ओपीडी का हाल भी बुरा है।

मरीज भर्ती करने में दिक्कत 

अगर पैरामेडिकल स्टाफ की बात करें, तो अस्पताल में तीन स्टाफ नर्स और केवल एक फार्मेसिस्ट तैनात है। इसके अलावा सहायक स्टाफ की भी स्थिति बुरी है। ऐसे में इमरजेंसी में जरूर कुछ देर मरीज भर्ती किए जाते हैं, लेकिन आइपीडी में डॉक्टर उन्हें भर्ती करने से परहेज कर रहे हैं।

यहां जांच की भी नहीं व्यवस्था 

अस्पताल की पैथोलॉजी का भी हाल बुरा है। कहने के लिए यहां लैब तकनीशियन तैनात है, लेकिन आवश्यक उपकरण और  सामान न होने के कारण मरीजों की जांच नहीं हो पाती। उस पर एनालाइजर भी खराब पड़ा है। रेडियोलॉजिस्ट का पद सृजित है, लेकिन यह भी रिक्त पड़ा है। 

डिलिवरी भी नहीं 

अस्पताल पर ग्रामीण क्षेत्र की एक बड़ी आबादी का जिम्मा है, लेकिन यहां डिलिवरी तक की व्यवस्था नहीं है। अस्पताल में स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ तक नहीं है। इसके अलावा एनेस्थेसिस्ट का पद भी खाली पड़ा है। आर्थो सर्जन व नेत्र विशेषज्ञ का भी पद खाली है।

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरपीएस राणा का कहना है कि चिकित्सक और अन्य स्टाफ के लिए महानिदेशालय को प्रस्ताव भेजा गया है। पैथोलॉजी के लिए आवश्यक सामान की खरीद सीएमओ स्तर पर होनी है। एनालाइजर के लिए भी अधिकारियों को लिखा गया है।

यह भी पढ़ें: जिला अस्पताल ने भर्ती नहीं किया, पांच घंटे कराहती रही प्रसव पीड़ता

यह भी पढ़ें: अस्पताल ले जाते वक्त गर्भवती महिला ने तोड़ा दम

यह भी पढ़ें: स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, फायदा उठा रहे झोलाछाप और जान गवां रहे गरीब


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.