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नगर निकायों के उपचुनाव ने साबित किया मोदी के बगैर भाजपा को ठौर नहीं

लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथों बड़ी हार झेल चुकी कांग्रेस के लिए नगर निकायों के प्रमुख की जीत के बड़े मायने हैं। चुनाव ने साबित किया कि मोदी के चेहरे के बगैर संगठन कुछ नहीं है।

By Edited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 11:36 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 11:13 AM (IST)
नगर निकायों के उपचुनाव ने साबित किया मोदी के बगैर भाजपा को ठौर नहीं

देहरादून, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस ने आखिरकार प्रदेश के दो नगर निकायों के प्रमुख पदों पर कब्जा जमा लिया। विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथों बड़ी हार झेल चुकी कांग्रेस के लिए इस छोटी जीत के भी बड़े मायने हैं। इस चुनाव में सत्तारूढ़ दल के पूरी ताकत के साथ चुनाव में जुटने के बावजूद कांग्रेस शिकस्त देने में कामयाब रही। वहीं सरकार और सत्तारूढ़ संगठन ने भी साबित कर दिया कि चुनाव छोटा हो या बड़ा, यदि मोदी का चेहरा नहीं तो वे भी कुछ नहीं हैं। 

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बीते वर्ष प्रदेश के कुल 84 नगर निकायों में हुए चुनाव में भी जिला मुख्यालयों की तकरीबन सभी प्रमुख नगर पालिका परिषदों में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन से भाजपा के माथे पर बल डाल दिए थे। अब दो नगर निकायों में एक मैदानी जिले ऊधमसिंहनगर की बाजपुर नगरपालिका परिषद ओर दूसरी पर्वतीय जिले पौड़ी की श्रीनगर नगरपालिका परिषद के प्रमुखों के चुनाव में भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। 

प्रदेश में पहले विधानसभा चुनाव और अभी लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हार चुकी कांग्रेस के लिए यह छोटी जीत बड़ी आस की तरह है। इसी वजह से कांग्रेस ने इस चुनाव में ताकत झोंक दी थी। दोनों ही निकायों में चुनाव प्रचार के लिए प्रदेश के तमाम दिग्गज नेता पहुंचे। 

इसके अलावा पार्टी स्थानीय स्तर पर प्रभाव रखने वाले बड़े नेताओं को जनसंपर्क में लगाने की कांग्रेस की रणनीति असरकारक साबित हुई। पार्टी की हालिया रणनीति छोटी-छोटी जीत के जरिये सत्तारूढ़ दल भाजपा के मजबूत किले में सेंध लगाने की है। 

दोनों निकायों के बोर्डो में भी निर्दलीयों की संख्या अधिक है। इन निर्दलीयों में अधिकतर को कांग्रेस समर्थक माना जाता है। कांग्रेस ने इस चुनाव को बड़ी सावधानी से स्थानीय मुद्दों से भटकने नहीं दिया। ये प्रमुख विपक्षी पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में भाजपा की सुनामी को झेल चुकी है। 

वहीं निकाय चुनाव में भाजपा और सरकार की ओर से भी पूरा दमखम लगाया गया, लेकिन सत्तारूढ़ दल को मायूसी हाथ लगी है। इस चुनाव के नतीजे ने ये भी साबित कर दिया कि मोदी के बगैर भाजपा के लिए छोटे चुनाव भी किसी चुनौती से कम नहीं हैं। 

बाजपुर और श्रीनगर नगर निकायों में भाजपा सरकार के कई मंत्रियों और विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। चुनाव से ऐन पहले संबंधित जिलों के प्रभारी मंत्रियों ने भी बैठकें की थी। 

उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने दोनों निकायों के नवनिर्वाचित प्रमुखों को बधाई देते हुए कहा कि चुनाव नतीजों से साबित हो गया कि प्रदेश में सरकार और भाजपा के खिलाफ जनता में रोष है। प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ 15 जुलाई को धरना-प्रदर्शन भी किया जाएगा।

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