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एनएचएम कर्मियों की वार्ता विफल, 9 जून तक बढ़ा आंदोलन; बेमियादी हड़ताल की भी चेतावनी

अपनी नौ सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे एनएचएम संविदा कर्मचारियों की रविवार को प्रबंधन से वार्ता हुई लेकिन उनकी मांगों पर सहमति नहीं बन सकी। इस पर संगठन पदाधिकारियों ने होम आइसोलेशन को नौ जून तक बढ़ाने का फैसला लिया है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 10:01 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 10:01 PM (IST)
एनएचएम कर्मियों की वार्ता विफल, 9 जून तक बढ़ा आंदोलन; बेमियादी हड़ताल की भी चेतावनी
एनएचएम कर्मियों की वार्ता विफल, 9 जून तक बढ़ा आंदोलन।

जागरण संवाददाता, देहरादून। अपनी नौ सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे एनएचएम संविदा कर्मचारियों की रविवार को प्रबंधन से वार्ता हुई, लेकिन उनकी मांगों पर सहमति नहीं बन सकी। इस पर संगठन पदाधिकारियों ने होम आइसोलेशन को नौ जून तक बढ़ाने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा है कि यदि नौ जून तक मांगे पूरी नहीं हुई तो अब बेमियादी आंदोलन किया जाएगा।

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प्रदेश अध्यक्ष सुनील भंडारी ने बताया कि अधिकारियों से ऑनलाइन वार्ता हुई है, लेकिन उसमें कोई सहमति नहीं बन पाई है। ऐसे में आंदोलन फिलहाल जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि एनएचएम कर्मी क्वारंटाइन सेंटर, सैंपलिंग ड्यूटी, रिपोॄटग, आइसोलेशन किट वितरण, टीकाकरण आदि में कोविड ड्यूटी कर रहे हैं। जोखिम के बीच कार्य करते हुए भी सरकार एवं विभाग उनकी सुध लेने को तैयार नहीं हैं। जिससे कर्मचारियों में आक्रोश है।

बता दें कि गोल्डन कार्ड/सामूहिक बीमा, लॉयल्टी बोनस, कोरोनाकाल में हुई मौत पर स्वजन को आर्थिक सहायता और एक सदस्य को नौकरी समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदेशभर के साढ़े चार हजार से अधिक एनएचएम संविदा कर्मी अपनी मांगों को लेकर एक जून से होम आइसोलेशन में हैं। इससे पहले उन्होंने दो दिन काली पट्टी बांध आधा दिन काम किया, जबकि आधा दिन वे होम आइसोलेशन में रहे थे। उनके होम आइसोलेशन में चले जाने से कोविड व तमाम राष्ट्रीय कार्यक्रमों पर असर पड़ा है।

ये हैं मांगें

-सामूहिक बीमा या गोल्डन कार्ड दिया जाए।

-कोरोनाकाल में हुई मौत पर स्वजन को आर्थिक सहायता और एक सदस्य को नौकरी।

-नियमितीकरण किया जाए।

-समान कार्य समान वेतन।

-एचआर पॉलिसी बनाई जाए।

-आउटसोर्स से एनएचएम में नौकरी न दी जाए।

-एनएचएम के कर्मचारियों को समान पदों पर 50 फीसदी आरक्षण।

-वार्षिक वेतन को न्यूनतम दस फीसदी किया जाए।

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