21 नए राजस्व गांव बनाने की सिफारिश, समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी
उत्तराखंड में जिलों और तहसीलों-उप तहसीलों के पुनर्गठन से पहले निचले स्तर पर राजस्व गांवों के पुनर्गठन की तैयारी है।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। प्रदेश में जिलों और तहसीलों-उप तहसीलों के पुनर्गठन से पहले निचले स्तर पर राजस्व गांवों के पुनर्गठन की तैयारी है। राजस्व ग्राम सृजन के लिए राजस्व परिषद अध्यक्ष एस रामास्वामी की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में 21 नए राजस्व ग्राम प्रस्तावित किए गए हैं। तीन गांवों को छोड़कर शेष 18 गांवों को राजस्व गांव बनाने के लिए नियमों में शिथिलता देने की सिफारिश की गई है।
प्रदेश सरकार मौजूदा प्रशासनिक इकाइयों के ढांचे को और दुरुस्त करना चाहती है। जिले और तहसीलों के संबंध में गठित समितियों ने अभी तक सरकार को रिपोर्ट नहीं सौंपी है। नए राजस्व गांवों के गठन पर सुझाव देने को 21 दिसंबर, 2018 को गठित समिति ने अब अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
समिति ने राजस्व ग्राम गठन के प्रस्तावों की चार श्रेणियां तय कीं। इनमें मानक पूरे करने वाले, मानक में शिथिलता की सिफारिश वाले, विभिन्न कारणों से पुनर्परीक्षण को जिलाधिकारी को भेजे गए राजस्व ग्राम प्रस्ताव और आरक्षित वन भूमि से अनारक्षित घोषित भूमि से संबंधित राजस्व ग्राम के प्रस्ताव शामिल किए गए हैं। सिर्फ तीन गांव उपला कंडियाल, खिल्यारा और बंदोलगांव ही ऐसे रहे, जिन्होंने राजस्व गांव बनाने के सभी मानक पूरे किए। शासन ने दो गांवों में मानकों को शिथिल करने पर जोर दिया गया है। राजस्व सचिव सुशील कुमार ने नए राजस्व ग्र्रामों की रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की।
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जिलेवार प्रस्तावित राजस्व ग्रामों के नाम
टिहरी जिले में उपला कंडियाल, पिलखी, चाका डाबर, कठिया, केमरा, थोडकी, बगर, भीमल की चलोठी, जाजल-ग्लानिस, मालगांव चटोली, इंदवाणगांव, उत्तरकाशी जिले में खिल्यारा, बंदोलगांव, छणद खालसी, पौलगांव, देहरादून जिले में बुरास्टी, सौड़ा, ऋषिकेश तहसील में मालीदेवल, ऊधमसिंहनगर जिले में अजीतपुर और हरिद्वार जिले में टिहरी विकासनगर, और बंद्राकोटी।
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