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अब यहां मरीज से मिलने के लिए लेना होगा कार्ड, पढ़िए खबर

अब दून मेडिकल कॉलेज में जिस व्यक्ति के पास अस्पताल प्रशासन द्वारा जारी कार्ड होगा। केवल वही मरीज से मिल पाएगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 02:28 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 09:01 PM (IST)
अब यहां मरीज से मिलने के लिए लेना होगा कार्ड, पढ़िए खबर
अब यहां मरीज से मिलने के लिए लेना होगा कार्ड, पढ़िए खबर

देहरादून, [जेएनएन]: दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में अब नई व्यवस्था लागू की जा रही है। जिस व्यक्ति के पास अस्पताल प्रशासन द्वारा जारी कार्ड होगा, केवल वही मरीज से मिल पाएगा। एक समय में केवल एक ही व्यक्ति मरीज का हालचाल ले सकेगा। यहां तक कि तीमारदार के लिए भी कार्ड जरूरी होगा। इस कार्ड पर मरीज का बेड नंबर, अनुक्रमांक संख्या आदि दर्ज किए जाएंगे। 

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दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में न केवल शहर बल्कि पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों व यूपी-हिमाचल के सीमावर्ती इलाकों से भी मरीज उपचार के लिए आते हैं। यहां हर दिन औसतन दो से ढाई हजार तक की ओपीडी रहती है। आइपीडी में भी मरीजों का अत्याधिक दबाव रहता है। ऐसे में भर्ती मरीजों से मिलने वाले लोगों की भीड़ से निजात पाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने यह कदम उठाया है। यह कार्ड अधिकतम 15 दिनों के लिए जारी होगा। तीमारदार के अलावा यदि मरीज से मिलने कोई रिश्तेदार आता है तो तीमारदार को अपना कार्ड उन्हें देकर स्वयं वार्ड से बाहर होना पड़ेगा। तभी वह लोग मरीज के मिल सकेंगे। मरीज से मिलने के लिए सुबह 10 से 11 और शाम के वक्त 4 से 5 बजे का समय निर्धारित किया गया है। 

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि अगले चरण में वाहन पार्किंग के लिए भी कार्ड जारी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कुछ लोग अपने अन्य कामों के लिए भी अस्पताल में गाडिय़ां पार्क करके चले जाते हैं, जिसमें पार्किंग में भीड़ लग जाती है। इसलिए तीमारदार को अगले कुछ वक्त में वाहन पार्किंग का कार्ड भी जारी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि केवल गंभीर मामलों में तीमारदार को मरीज के साथ रुकने की स्वीकृति दी जाएगी। पास की व्यवस्था दून व दून महिला अस्पताल, दोनों जगह लागू होगी। 

नेत्र चिकित्सालय भेजेंगे सामान्य प्रसव के मामले 

दून महिला अस्पताल में सामान्य प्रसव के मामले अब गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय भेजे जाएंगे। इसके लिए अस्पताल प्रशासन एंबुलेंस की व्यवस्था करेगा। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने प्राचार्य के सामने यह प्रस्ताव रखा है। उनका कहना है कि नेत्र चिकित्सालय में प्रसव की समुचित व्यवस्था है। न केवल बेड बल्कि चिकित्सक भी पर्याप्त संख्या में हैं। क्योंकि महिला अस्पताल पर अत्याधिक दबाव रहता है, इसलिए सामान्य प्रसव के मामले वहां भेजे जा सकते हैं। यदि अस्पताल आवागमन की सुविधा देता है, तो मरीज या उसके परिजन को भी समस्या नहीं होगी। 

मनोरोग वार्ड में मरीज भर्ती करना मुश्किल 

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के मनोरोग वार्ड में मरीज भर्ती करने में दिक्कत आ रही है। कहने के लिए वार्ड में आठ बेड हैं, पर डॉक्टर मरीज भर्ती करने से बच रहे हैं। कारण स्टाफ की कमी है। 

दून अस्पताल व दून महिला अस्पताल को एकीकृत कर मेडिकल कॉलेज में तब्दील किया गया तो लगा कि सुविधाएं बढ़ेंगी। लेकिन मरीज किसी न किसी कारण दिक्कत झेल रहे हैं। अब मनोरोग विभाग का ही हाल लीजिए। यहां वार्ड में आठ बेड जरूर लगे, पर मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे।

कारण यह कि दो बजे बाद वार्ड में स्टाफ ही नहीं रहता। अन्य वार्ड के स्टाफ के जरिए वैकल्पिक इंतजाम किया गया, पर यह व्यवस्था भी ज्यादा दिन नहीं चली। चिकित्सकों का कहना है कि स्टाफ ही नहीं है तो वह मरीज किस तरह भर्ती करें। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के अनुसार अस्पताल में स्टाफ नर्स आदि की कमी है। अन्य वार्ड के स्टाफ से काम लिया जा रहा है। इसके अलावा उच्चाधिकारियों से स्टाफ की मांग भी रखी गई है।

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