अटल आयुष्मान योजना में पकड़ में आ रहे नए घोटाले, अस्पतालों पर लगाया जुर्माना
अटल आयुष्मान योजना में नए-नए घोटाले पकड़ में आ रहे हैं। इस पर संबंधित अस्पतालों पर जुर्माना भी ठोका जा रहा है। इसके बावजूद घोटाले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। अटल आयुष्मान योजना में नए-नए घोटाले पकड़ में आ रहे हैं। इस पर संबंधित अस्पतालों पर जुर्माना भी ठोका जा रहा है। इसके बावजूद घोटाले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना से जुड़े फर्जीवाड़े में दून स्थित विनोद आर्थो क्लीनिक पर कार्रवाई की गई है।
राज्य स्वास्थ्य अभिकरण ने अस्पताल की सूचीबद्धता समाप्त कर दी है। साथ ही अस्पताल पर 9 लाख, 50 हजार, 750 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह रकम सात दिन के भीतर राज्य स्वास्थ्य अभिकरण में जमा करनी होगी। अन्यथा वसूली की कार्रवाई की जाएगी।
विनोद आर्थो क्लीनिक के खिलाफ गलत दस्तावेजों के आधार पर क्लेम प्राप्त करने की शिकायत थी। इसकी जब जांच की गई तो पता चला कि क्लीनिक ने 126 केस में से 22 केस में बिना पूर्व अनुमति के ही सर्जरी कर दी। इसके अलावा अन्य 135 केस में से 75 केस में एक ही रोगी के एक से अधिक पैकेज में इलाज दिखाकर भुगतान प्राप्त किया गया।
इसके अलावा एक मरीज का दून अस्पताल में गैंगरीन से ग्रसित होने के चलते पैर काट दिया गया था। इसके बाद वह मरीज इलाज के लिए दून स्थित विनोद ऑर्थो क्लीनिक में चला गया। वहां वह 17 दिन भर्ती रहा। विनोद ऑर्थो क्लीनिक ने इस बात का फायदा उठाया और मरीज के पैर के ऑपरेशन का भी क्लेम ले लिया।
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना कार्यालय ने इस प्रकार के प्रकरणों को धोखाधड़ी और मरीजों को खतरे में डालना करार दिया है। अस्पताल ने सूचीबद्धता के समय क्लीनिक में तैनात चिकित्सकों के संबंध में गलत जानकारी दी थी। राज्य स्वास्थ्य अभिकरण ने क्लीनिक को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 15 दिनों के भीतर पक्ष रखने को कहा है। योजना के निदेशक-प्रशासन डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि अस्पताल के प्रतिउत्तर के परीक्षण व निष्कर्ष के उपरांत सभी दस आरोपों की पुष्टि हुई है।
जीवन ज्योति हॉस्पिटल पर चार लाख 14 हजार का जुर्माना
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत टिक्कमपुर-सुल्तानपुर, लक्सर रोड स्थित जीवन ज्योति हॉस्पिटल की सूचीबद्धता समाप्त कर दी गई है। अस्पताल पर कुल चार लाख 14 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह रकम उसे सात दिन के भीतर अदा करनी होगी। अन्यथा वसूली की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
जीवन ज्योति हॉस्पिटल ने कुल 94 क्लेम प्रस्तुत किए। अस्पताल ने अपने यहां कार्यरत डॉ. जार्ज सैमुअल का नाम नहीं बताया था। ज्यादातर मामलों में डिस्चार्ज समरी और क्लीनिकल नोट्स में उन्हीं का नाम लिखा है। लिहाजा इलाज ऐसे चिकित्सक से कराना दर्शाया गया जो इनके यहां है ही नहीं। पता चला कि है कि डॉ. सैमुअल 2015 से हरिद्वार के कई राजकीय चिकित्सालयों में संविदा पर तैनात हैं। वर्तमान में पीएचसी रायसी में सेवाएं दे रहे हैं।
जीवन ज्योति अस्पताल में आए ज्यादातर मरीजों की रेफर पर्ची पर डॉ. सैमुअल के ही हस्ताक्षर हैं। उन्होंने किसी मरीज को लंढोरा तो किसी को लक्सर से रेफर दर्शाया। इन अस्पतालों वह पहले काम कर रहे थे।
डॉ. सैमुअल ने रायसी (वर्तमान तैनाती) से भी कई मरीजों को रेफर किया। पर्ची पर लिखा था हायर सेंटर, लेकिन मौखिक रूप से कहा गया कि जीवन ज्योति अस्पताल में ही इलाज कराना है। सात मरीजों का उपचार जिन रेफरल स्लिप पर किया गया उनमें ना किसी के हस्ताक्षर हैं ना मुहर।
अस्पताल ने डॉ. राजीव पांडे को एमबीबीएस को राउंड द क्लॉक एमबीबीएस डॉक्टर दर्शाया गया। वह भी पहले ही अस्पताल छोड़ चुके हैं। योजना के निदेशक-प्रशासन डॉ. अभिषेक कुमार त्रिपाठी ने बताया कि अस्पताल के खिलाफ सभी आरोपों की पुष्टि हुई है।
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