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देवभूमि उत्‍तराखंड में गंगा संरक्षण की अलख जगाएंगे एनसीसी कैडेट

राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए केंद्र और राज्य सरकारें तो जुटी हैं हीं अब इसमें जनसामान्य की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है। इसी कड़ी में एनसीसी व एनएसएस के स्वयंसेवी भी गंगा संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 02:59 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 02:59 PM (IST)
देवभूमि उत्‍तराखंड में गंगा संरक्षण की अलख जगाएंगे एनसीसी कैडेट
एनसीसी व एनएसएस के स्वयंसेवी भी गंगा संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए केंद्र और राज्य सरकारें तो जुटी हैं हीं, अब इसमें जनसामान्य की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है। इसी कड़ी में नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) व राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के स्वयंसेवी भी गंगा संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) की पहल पर नमामि गंगे परियोजना के तहत भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) द्वारा वेबिनार के जरिये एनसीसी कैडेटों और एनएसएस के स्वयंसेवियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। कोविड के दृष्टिगत परिस्थितियां सामान्य होने के बाद ये स्वयंसेवी गंगा संरक्षण के लिए जनजागरण में जुटेंगे। इसे लेकर खाका खींचा जा रहा है।

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गंगा की स्वच्छता के लिए चल रही नमामि गंगे परियोजना के तहत सीवरेज और गंदे नालों को गंगा में गिरने से रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड में गंगा से सटे 15 शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने के साथ ही गंदे नालों की टैपिंग की जा रही है। एसटीपी के अधिकांश प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। केवल नौ प्रोजेक्ट पर काम जारी है, जो अगले साल नवंबर तक पूरे होने की उम्मीद है। इसके साथ ही चयनित 135 नालों की टैपिंग हो चुकी है। यही नहीं, गंगा से सटे क्षेत्रों के गांवों को गंगा ग्राम के तौर पर विकसित तो किया जा रहा, गंगा व उसकी सहायक नदियों के जल समेट क्षेत्रों में जल संरक्षण के काम चल रहे हैं। गंगा वाटिकाएं तैयार की जा रही है। ऐसे एक नहीं अन्य कई कदम सरकार के स्तर पर चलाए जा रहे हैं। इनके सकारात्मक नतीजे भी आने लगे हैं।

इस सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण है जनसामान्य की जागरूकता। यदि सभी व्यक्ति थोड़े-थोड़े प्रयास कर गंगा स्वच्छता में योगदान दें तो सरकार के प्रयासों को गति मिल सकेगी। इसी के दृष्टिगत नमामि गंगे परियोजना में जनजागरण पर जोर दिया गया है। उत्तराखंड को लें तो यहां भी यह पहल कोरोना संकट से पहले जोर-शोर से चल रही थी। मेलों, तीज-त्योहारों के अवसर पर जनसामान्य को गंगा संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा था तो कई विश्वविद्यालयों समेत अन्य शिक्षण संस्थानों को इस पहल से जोड़ा गया।

हालांकि, कोरोना संकट ने जनजागरण की इस मुहिम में रुकावट डाली है, लेकिन इसके लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। इसी कड़ी में हाल में एनसीसी कैडेटों और एनएसएस के स्वयंसेवियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया। इसके तहत उन्हें गंगा के महत्व, गंगा बेसिन में जलीय जीवन, गंगा संरक्षण को चल रहे कार्यों के साथ ही स्वयंसेवियों की गंगा संरक्षण के बारे में जानकारी दी गई। परिस्थितियां सामान्य होने पर गंगा संरक्षण को लेकर जनजागरण में इनकी भागीदारी सुनिश्चित करने की तैयारी है। नमामि गंगे परियोजना में इसे लेकर कार्ययोजना तैयार की जा रही है। एनसीसी व एनएसएस के स्वयंसेवी जनसामान्य से ऑनलाइन संपर्क तो साधेंगे ही, परिस्थितियां सामान्य होने पर अपने- अपने शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों और जनता को गंगा संरक्षण के लिए प्रेरित करेंगे।

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