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पर्वतीय क्षेत्र को ध्यान में रख खींचे विकास का खाका

इसरो के वैज्ञानिक पद्मश्री वाइएस राजन ने कहा कि उत्तराखंड पर्वतीय क्षेत्रों को केंद्र में रखकर विकास की योजना बनाई जाए। तभी सूबे की आर्थिकी मजबूत होगी।

By Edited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 09:38 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 03:54 PM (IST)
पर्वतीय क्षेत्र को ध्यान में रख खींचे विकास का खाका
पर्वतीय क्षेत्र को ध्यान में रख खींचे विकास का खाका
देहरादून, जेएनएन। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री वाइएस राजन ने कहा कि उत्तराखंड पर्वतीय क्षेत्रों को केंद्र में रखकर विकास की योजना बनाई जाए तभी सूबे की आर्थिकी मजबूत होगी। इसके अलावा महिला सशक्तीकरण और पर्यटन विकास से ही राज्य की तरक्की संभव है। केवल साक्षरता दर अधिक होना विकास का पैमाना नहीं हो सकता है। 
दून विवि में 'उत्तराखंड विजन 2040 सामाजिक-आर्थिक विकास' विषय पर आयोजित सेमीनार के पहले दिन देशभर से जुटे विशेषज्ञों ने उत्तराखंड के भविष्य का खाका खींचा। सेमीनार में मुख्य अतिथि पद्मश्री वाइएस राजन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बदल रही है। कृषि में रोजगार की तलाश में भटक रहे नौजवानों को खपाना मुमकिन नहीं है। देश की योजनाएं भविष्य की जरूरतों को पूरी करने वाली होनी चाहिए। साथ ही विकास की प्रक्रिया में समाज के हर वर्ग की भागीदारी जरूरी होनी चाहिए।
तकनीकी युग ने युवाओं के लिए रोजगार के द्वार खोले हैं। इस दिशा में बेहतर कार्ययोजना बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य में धनोल्टी, हर्षिल, कौसानी, ग्वालदम, रूपकुंड, चोपता जैसे रमणीय क्षेत्रों को समग्र पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए जो रोजगार के अधिक अवसर जुटेंगे। सेमीनार में विशिष्ट अतिथि अतिरिक्त केंद्रीय विकास आयुक्त एमएसएमई आनंद शेरखाने ने कहा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों का देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सर्वाधिक योगदान है। साथ ही देश में सबसे अधिक रोजगार इस क्षेत्र में मौजूद हैं। 
विवि के सेंटर फार पब्लिक पॉलिसी के चेयर प्रोफेसर डॉ. एचएस दास ने भी विचार व्यक्त किए। अध्यक्षीय उद्बोधन दून विवि के कुलपति डॉ. चंद्रशेखर नौटियाल ने दिया। कार्यक्रम में कुलसचिव सुधीर बुड़ाकोटी, डॉ. रीना सिंह, डॉ. मधु बिष्ट, डॉ. संध्या जोशी, डॉ. एच. कुकरेजा, डॉ. सुधाशु जोशी, डॉ. आशीष सिन्हा डॉ. एमएस मंद्रवाल, मुकेश देवराड़ी सहित दून विवि के शिक्षक, छात्र-छात्राएं आदि मौजूद रहे। 
हिमाचल से कम बिजली उत्पादन 
प्लेनरी सत्र में उत्तराखंड जल विद्युत निगम के निदेशक एचआर डॉ. एसी जोशी ने कहा कि हिमाचल और उत्तराखंड में जल विद्युत निर्माण की क्षमताएं लगभग एक जैसी हैं, लेकिन उत्तराखंड जल विद्युत निर्माण में बहुत पीछे रह गया है। उन्होंने उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण पर जोर दिया। इससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। 
स्मार्ट सिटी में धन की बर्बादी 
उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव डॉ. इंदु कुमार पाडे ने कहा नौकरशाही और राजनेताओं में बेहतर तालमेल से ही विकास को गति मिल सकती है। उन्होंने स्मार्ट सिटी बनाने में धन बर्बाद करने के बजाय शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं खड़ी करने की बात कही। कहा उत्तराखंड में सास्कृतिक पर्यटन में असीम संभावनाएं मौजूद है। स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखंड देश के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर सकता है। 
पुस्तक का विमोचन 
सेमीनार में सस्टेनेबल डेवलपमेंट-द वे फावर्ड पुस्तक का विमोचन भी किया है। इस पुस्तक का संपादन डॉ. एचएस दास, डॉ. हर्ष डोभाल और डॉ. प्राची पाठक ने किया। पुस्तक में सेमीनार में प्राप्त हुए शोधपत्रों को प्रकाशित किया गया है। द्वितीय सत्र में शामिल विशेषज्ञ स्वामी रामा हिमालयन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. विजय धस्माना, हिमालया ड्रग कंपनी के निदेशक डॉ. सैयद फारूख, गति फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल, इंडस्ट्री एसोशिएसन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता, लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम के निदेशक वीके शर्मा उपस्थि थे।

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